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Explained: MLA और MLC में क्या अंतर है, कैसे होता है इनका चुनाव, यहां जानिए सबकुछ

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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों के बाद अब विधान परिषद (UP MLC Chunav 2022) चुनावों की हलचल तेज हो गई है। यूपी में 9 अप्रैल को विधान परिषद के चुनाव होंगे और 12 अप्रैल को नतीजे घोषित होंगे। विधानसभा और विधान परिषद चुनावों में क्या अंतर होता है? इन दोनों सदनों के सदस्यों को क्या कहकर बुलाया जाता है? MLA और MLC में क्या फर्क होता है? दोनों का कार्यकाल कितना होता है, दोनों पर क्या-क्या जिम्मेदारियां होती है? ऐसे कई प्रश्न हमारे जेहन में तब आते हैं, जब हम विधान परिषद के चुनावों के बारे में पढ़ते हैं। इन दोनों के बीच के फर्क को हम इस एक्सप्लेनर के जरिए समझाने का प्रयास कर रहे हैं।

दोनों के बीच का बुनियादी अंतर समझिए
MLA का पूरा फुलफॉर्म Member of Legislative Assembly होता है। वहीं एमएलसी का फुल फॉर्म Member of Legislative Council होता है। MLA किसी राज्य की विधान सभा का सदस्य होता है। वहीं एमएलसी किसी राज्य के विधान परिषद् का सदस्य होता है। MLA चुने जाने के लिए न्यूनत्तम उम्र 25 वर्ष होती है जबकि एमएलसी चुने जाने की न्यूनत्तम उम्र 30 साल होती है। MLA का निर्वाचन सीधे तौर पर जनता करती है, जबकि एमएलसी का चुनाव अप्रत्यक्ष होता है। MLA का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है जबकि एमएलसी की कार्यावधि 6 साल की होती है।

सिर्फ 6 राज्यों में है विधानपरिषद
देश के सभी राज्यों में जहां विधानसभा का अस्तित्व है। वहीं दूसरी ओर विधान परिषद देश के 6 राज्यों में ही है। जिनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक शामिल है।

कैसे चुने जाते हैं विधान परिषद के सदस्य
विधान परिषद के सदस्य का कार्यकाल छह साल के लिए होता है। चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम 30 साल उम्र होनी चाहिए। एक तिहाई सदस्यों को विधायक चुनते हैं। इसके अलावा एक तिहाई सदस्यों को नगर निगम, नगरपालिका, जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायत के सदस्य चुनते हैं। वहीं, 1/12 सदस्यों को शिक्षक और 1/12 सदस्यों को रजिस्टर्ड ग्रैजुएट चुनते हैं। यूपी में विधान परिषद के 100 में से 38 सदस्यों को विधायक चुनते हैं। वहीं 36 सदस्यों को स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्र के तहत जिला पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य (BDC) और नगर निगम या नगरपालिका के निर्वाचित प्रतिनिधि चुनते हैं। 10 मनोनीत सदस्यों को राज्यपाल नॉमिनेट करते हैं। इसके अलावा 8-8 सीटें शिक्षक निर्वाचन और स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के तहत आती हैं।

विधानपरिषद की सीटों का गुणा-गणित जानिए
विधान परिषद में एक निश्चित संख्या तक सदस्य होते हैं। विधानसभा के एक तिहाई से ज्यादा सदस्य विधान परिषद में नहीं होने चाहिए। उदाहरण के तौर पर समझिए यूपी में 403 विधानसभा सदस्य हैं तो यूपी विधान परिषद में 134 से ज्यादा सदस्य नहीं हो सकते हैं। इसके अलावा विधान परिषद में कम से कम 40 सदस्य होना जरूरी है। हालांकि एमएलसी का दर्जा विधायक के ही बराबर होता है।

कैसे चुने जाते हैं एमएलए
राज्य के प्रत्येक क्षेत्र से जन प्रतिनिधि के रूप में एक विधायक (MLA) का चुनाव किया जाता हैं। क्षेत्रों की संख्या मतदाताओं की संख्या पर आधारित रहती हैं, मतदाताओं के मतदान करने के बाद ही विधायक का चुनाव किया जाता है | इसके साथ ही सभी विधायक अपनें-अपनें क्षेत्र की सभी समस्याओं का समाधान कराने के लिए विधानसभा में उन सभी समस्याओं को पेश करते हैं, तथा राज्य सरकार की ओर से जारी की गई सभी योजनाओं को जनता तक पहुंचाने का काम करते है। इसके अलावा जनता की सभी समस्याओं का समाधान करने की कोशिश करते है।