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मोदी सरकार में तेजी से हो रहा मेडिकल शिक्षा में सुधार,

मोदी सरकार सबको गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। 2014 से लगातार इस दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। इसका नतीजा है कि मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से सुधार हो रहा है। मोदी सरकार ने मंगलवार (22 मार्च, 2022) को एक लिखित प्रश्न के जवाब में राज्यसभा में बताया कि अंडर-ग्रेजुएट मेडिकल सीटों की संख्या 75 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 89,875 हो गई हैं, जो 2014 से पहले 51,348 थी। वहीं पोस्ट ग्रेजुएट सीटों की संख्या 2014 के पहले तक 31,185 थी, जो 93 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 60,202 हो चुकी है।

157 नए मेडिकल कॉलेज स्वीकृत, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने बताया कि सरकार ने देश में डॉक्टरों की उपलब्धता को और बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं। सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए जिला/ रेफरल अस्पतालों को अपग्रेड करके नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना के लिए कदम उठाए गए हैं। मोदी सरकार की योजना के तहत 157 नए मेडिकल कॉलेज स्वीकृत किए गए हैं और 71 पहले से ही कार्यरत हैं। मोदी सरकार की ओर से चलाई गई योजनाओं के कारण केंद्र व राज्य सरकारों के मेडिकल कॉलेजों को मजबूत बनाने

इसकी वजह से कॉलेजों में एमबीबीएस और पीजी पाठ्यक्रमों की सीटें भी बढ़ी हैं। केंद्रीय योजनाओं की वजह से ही सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉकों के निर्माण कार्य में भी वृद्धि हुई है। स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया ने कहा कि कुल 75 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है और 55 को पूरा किया गया है। इसके अलावा, देश में संबद्ध चिकित्सा सीटों की संख्या में तेजी से वृद्धि के लिए, सरकार ने संबद्ध और स्वास्थ्य देखभाल व्यवसायों के लिए राष्ट्रीय आयोग (एनसीएएचपी) अधिनियम, 2021 को बनाया गया है।

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि जो भारतीय छात्र एमबीबीएस करने और विदेशी चिकित्सा योग्यता प्राप्त करने के लिए विदेश जाते हैं, उन्हें भारत में चिकित्सक के रूप में रजिस्ट्रेशन के लिए एफएमजीई यानि फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जाम क्वालीफाई करना होता है। मोदी सरकार की बड़ी पहल मोदी सरकार ने निजी मेडिकल कॉलेजों की 50 प्रतिशत सीटों की फीस को सरकारी मेडिकल कॉलेजों के बराबर कर दिया। मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए MCI को रद्द करके इसकी जगह पर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) का गठन किया।

मेडिकल शिक्षा में ओबीसी को 27 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का ऐतिहासिक फैसला किया। मोदी सरकार ने 22 नए एम्स की स्थापना को मंजूरी दी। उनमें से 19 में स्नातक पाठ्यक्रम शुरू हो चुके हैं। देश के सभी सरकारी, डीम्ड यूनिवर्सिटी और निजी मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए एक समान प्रवेश परीक्षा नीट को अनिवार्य किया।