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हाइपरसोनिक हथियारों को लेकर भारत की तारीफ कर रहा अमेरिका, समझिए क्या होती है ये तकनीक

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अमेरिका के एक सांसद ने कहा कि उन्नत तकनीक के क्षेत्र में अब अमेरिका उतना प्रभावशाली नहीं है, जबकि चीन, भारत और रूस ने हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकी में काफी तरक्की कर ली है। सीनेट आर्म्ड सर्विस कमेटी के अध्यक्ष जैक रीड ने बुधवार को एक नामांकन की पुष्टि के लिए हो रही बहस में कहा कि हम ऐसी स्थिति में हैं जहां हम तकनीक संबंधी सुधार कर रहे हैं। कभी तकनीक के क्षेत्र में हमारा वर्चस्व हुआ करता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। ‘हाइपरसोनिक’ प्रौद्योगिकी में स्पष्ट रूप से चीन, भारत और रूस ने काफी तरक्की कर ली है।
हाइपरसोनिक हथियार को ‘मैक पांच’ या आवाज की गति से पांच गुना अधिक रफ्तार से चलने वाली मारक मिसाइलों के तौर पर जाना जाता है। इसकी गति करीब 3,800 मील प्रति घंटा या साधारण भाषा में कहें तो इन मिसाइलों की गति 6100 किलोमीटर प्रतिघंटा होती है। हालांकि अंतर महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें इससे अधिक गति से मार कर सकती हैं लेकिन इनके रास्ते का पूर्वानुमान लगाकर इन्हें रास्ते में ही नष्ट किया जा सकता है।
वहीं दूसरी ओर हाइपरसोनिक हथियार हमले की स्थिति में अपना रास्ता बदल सकते हैं। हाइपरसोनिक मिसइलों की स्पीड और दिशा में बदलाव करने की क्षमता बेहद सटीक और ताकतवर होती है और यही कारण है कि इन्हें ट्रैक करना और हवा में मार गिराना लगभग अंसभव होता है। हाइपरसोनिक हथियारों की यही खासियत इन्हें सबसे ज्यादा घातक बनाती है।
हाइपरसोनिक हथियार दो तरह के होते हैं। पहला- ग्लाइड व्हीकल्स यानी हवा में तैरने वाले हाइपरसोनिक हथियार और दूसरा है क्रूज मिसाइल। अभी दुनिया का फोकस ग्लाइड व्हीकल्स पर है। बता दें कि ग्लाइड व्हीकल्स के पीछे छोटी मिसाइल लगाई जाती है, इसके बाद इसे मिसाइल लॉन्चर से फायर किया जाता है। एक निश्चित दूरी तय करने के बाद इसमें से मिसाइल अलग हो जाती है। उसके बाद ग्लाइड व्हीकल्स आसानी से उड़ते हुए टारगेट पर हमला करता है। इन हथियारों में आमतौर पर स्क्रैमजेट इंजन लगा होता है, जो हवा में मौजूद ऑक्सीजन का उपयोग करके तेजी से उड़ता है।