Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

Yogi Government 2.0: योगी सरकार 2.0 के लिए ये हैं 5 बड़ी चुनौतियां, बड़ा सवाल कैसे निपटेंगे

लखनऊ: योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में दूसरा कार्यकाल शुरू कर चुके हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में भारी जीत के साथ पहुंची भारतीय जनता पार्टी के लिए चुनौतियां बड़ी होने वाली हैं। कई ऐसे मामले हैं, जिन्हें पहले कार्यकाल के दौरान पूरा कराने में सरकार को सफलता नहीं मिली। अब दूसरे कार्यकाल के दौरान इसे पूरा कराना योगी सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी। इसमें सबसे बड़ा मसला किसानों और युवाओं का है। रोजगार के क्षेत्र में पिछले कार्यकाल के दौरान योगी सरकार को बड़ी सफलता नहीं मिल पाई। इसे विपक्ष ने मुद्दा बनाया और चुनावी मैदान में यह मुद्दा गरमाता दिखा। वहीं, गन्ना किसानों का मामला भी सुलझाना योगी सरकार के लिए प्रमुख रहने वाला है। आइए जानते है, योगी सरकार के समक्ष पांच बड़ी चुनौतियां क्या रहने वाली हैं…

गन्ना किसानों के भुगतान का मामला
यूपी में गन्ना किसानों के भुगतान का मामला काफी गंभीर रहा है। समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल गठबंधन ने इस मामले में योगी सरकार को घेरने की कोशिश की। सरकार की ओर से भुगतान के मामले को चुनावी मुद्दा बनाते हुए सरकार बनने की स्थिति में 15 दिनों में गन्ना कीमतों का भुगतान किए जाने का दावा किया गया। गन्ना किसानों की नाराजगी भाजपा को ऐसी भारी पड़ी कि प्रदेश के गन्ना विकास मंत्री सुरेश कुमार राणा थाना भवन विधानसभा सीट पर अपनी विधायकी नहीं बचा पाए। अब योगी सरकार को चुनावी घोषणापत्र में किए गए दावे के अनुसार, 14 से 15 दिनों के भीतर गन्ना का भुगतान कराने की व्यवस्था करनी होगी।

नियुक्तियों पर देना होगा विशेष ध्यान
यूपी में सरकारी नौकरी दिए जाने का मामला चुनावी मैदान में खूब उछला। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सरकार बनने की स्थिति में 22 लाख रोजगार देने का वादा किया था। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी के अनुसार, यूपी में बेरोजगारों की संख्या 17.07 करोड़ पहुंच गई है। कोरोना काल में 16 लाख से अधिक लोगों का रोजगार छिन गया। भाजपा ने भी 10 लाख रोजगार के अवसर पैदा करने का वादा घोषणापत्र में किया गया है। सरकार को अब इस दिशा में गंभीरता से कार्य करना होगा। कई नियुक्तियां कोर्ट में फंसी हैं। उसके लिए तत्काल कानूनी इंतजाम करने होंगे।

आवारा पशुओं को लेकर बनानी होगी नीति
आवारा और छुट्टा जानवरों की समस्या ने चुनावी मैदान में भारतीय जनता पार्टी को खासा परेशान किया। आवारा जानवर गांव के साथ-साथ शहर तक में ट्रैफिक सिस्टम के लिए चुनौती पेश कर रहे हैं। चुनावी माहौल में मुद्दा गरमाने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने भी इस मामले में सरकार बनने के बाद नीति बनाने की बात कही थी। किसानों की फसल के लिए आवारा पशु बड़ी परेशानी का कारण बन रहे हैं। ऐसे में भाजपा ने इस समस्या को दूर करने के लिए विशेष रूप से कार्यक्रम तैयार करने का दावा किया है। जल्द ही सरकार को इस समस्या से निपटने के लिए अपनी नीति को स्पष्ट करना होगा।

विधायक और अफसरों के बीच तालमेल
योगी सरकार के पिछले कार्यकाल में अफसरशाही के विधायिका पर हावी होने का दावा किया गया। कई स्थानों पर जन प्रतिनिधियों और अफसरों के बीच टकराव की खबरें आईं। इस कारण कई विधायकों की ओर से खुलकर सरकार के विरोध में बात कही गई। अब सरकार के सामने चुनौती होगी कि विधायकों और सरकारी कर्मचारियों के बीच एक बेहतर तालमेल बढ़े, ताकि कार्य के माहौल को बेहतर बनाया जा सके। इसके लिए मुख्यमंत्री को स्वयं अपने स्तर पर अधिकारी और विधायकों के दायरे के बारे में बात करनी होगी। टकराव की स्थिति माहौल को खराब कर सकती है।

बाढ़ और कर्मचारियों का मसला भी महत्वपूर्ण
पूर्वांचल में बाढ़ की समस्या काफी गंभीर है। इन इलाकों में लोगों को बारिश के मौसम में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस प्रकार की स्थिति से निपटने के लिए बाढ़ की समस्या को योगी सरकार के पिछले कार्यकाल में जलकुंडी परियोजना तैयार की गई थी। अब इस परियोजना को जमीन पर उतारने का प्रयास किया जाना जरूरी होगा। वहीं, कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन स्कीम के मुद्दे पर चुनाव में भाजपा को घेरा। पोस्टल बैलेट में भाजपा को कम वोट कर्मचारियों की नाराजगी को साफ करते हैं। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद की ओर से इस मामले को गंभीरता से उठाया गया। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले कर्मचारियों के इस मसले का हल सरकार को निकालना होगा।

अगला लेखYogi Cabinet 2.0: योगी के ये 52 मंत्री, जानिए किसका घटा कद, किसको मिल गया बड़ा विभाग