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Hamirpur News: हमीरपुर में सैकड़ों साल पहले पीपल के पेड़ से निकली थी चौरादेवी की मूर्ति, अंग्रेज कलेक्टर की पत्नी ने मूर्ति के लिए बनवाया था चबूतरा

हमीरपुर: उत्तर प्रदेश के हमीरपुर शहर में यमुना नदी किनारे चौरादेवी मंदिर आज भी अपनी भव्यता को संजोए है। इस मंदिर का इतिहास भी सैकड़ों साल पुराना है। देवी मां की मूर्ति पीपल के पेड़ से निकली थी। अंग्रेजी हुकूमत में हमीरपुर के पहले कलेक्टर मि.एम. एन्सले की पत्नी ने पीपल के पेड़ के अंदर रखी देवी की मूर्ति के सामने चूने और कंकरीट से चबूतरा बनवाकर पूजा की थी, तभी से इस मंदिर का नाम चौरादेवी पड़ा।

हमीरपुर शहर में डीएम बंगले के बगल में यमुना नद किनारे चौरादेवी मंदिर पूरे क्षेत्र के लिए आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है। इस मंदिर का इतिहास भी सैकड़ों साल पुराना है। किसी जमाने में यह स्थान जंगल में तब्दील था। शाम ढलते ही लोग इस स्थान के आसपास भी जाने से घबराते थे। मंदिर के बुजुर्ग पुजारी सुरेश चन्द्र ने बताया कि अंग्रेजी हुकूमत में यहां के पहले कलेक्टर (प्रशासक) मि.एम. एन्सले की पत्नी को सपने में पीपल के पेड़ की ओट पर देवी की मूर्ति दिखाई दी तो वह सुबह उठकर अंग्रेजी फौजों के साथ इस स्थान पर पहुंचीं और बड़े ही श्रद्धा भाव से देवी मां की पूजा की। अंग्रेज कलेक्टर की पत्नी ने तुरंत देवी मूर्ति के सामने चूना कंकरीट से एक बड़ा चबूतरा बनवाया, तभी से यह स्थान चौरादेवी मंदिर के नाम से विख्यात हो गया। बताया कि शुरू में चौरादेवी की मूर्ति पीपल के पेड़ की ओट में ही विराजमान थी, जिसे कुछ दशक पहले वहां से मूर्ति को हटवाकर मंदिर के अंदर स्थापित करा दी गई है। मंदिर के संरक्षक सुरेन्द्र चन्द्र शर्मा ने बताया कि चौरादेवी मां का मंदिर भव्य बनाने के साथ ही परिसर में तमाम देवी और देवताओं के मंदिरों के निर्माण भी स्थानीय लोगों की मदद से कराए गए हैं। राधा कृष्ण, श्रीगणेश, साईं बाबा, शनिदेव, दुर्गा मंदिर व शिवजी मंदिर सहित ग्यारह मंदिरों में इन दिनों नवरात्रि की धूम मची हुई है।

अंग्रेज अफसर भी चौरादेवी मंदिर में आते थे हाजिरी लगाने
हमीरपुर के रिटायर्ड कलेक्ट्रेट कर्मी सहदेव कुमार और सतीश कुमार सहित तमाम बुजुर्गों का कहना है कि अपने पूर्वजों से चौरादेवी मंदिर के बारे में सुना गया था कि यहां पीपल के पेड़ के अंदर रखी देवी की अद्भुत मूर्ति के सामने अंग्रेज प्रशासक मि.एम. एन्सले ने न सिर्फ माथा टेका था, बल्कि मूर्ति के सामने चबूतरा बनवाया था। बताया कि अंग्रेज अफसर अपने परिवार के साथ रोजाना मां के दरबार में हाजिरी लगाने आते थे। मंदिर के पुजारी ने बताया कि शुरू में यह मंदिर छोटा था, लेकिन पिछले कुछ दशकों में इसे भव्य स्वरूप दिया गया है। अब तो चौरादेवी मंदिर के बड़े प्रांगण में ही एक दर्जन के करीब मंदिर बन चुके हैं। नवरात्रि पर्व पर यहां मांगलिक कार्यक्रम भी होते है। वहीं, माता रानी के सामने वैवाहिक कार्यक्रम भी होते हैं।

देवी मां के दरबार में हरिद्वार के संत भी आते हैं हाजिरी लगाने
चौरादेवी मंदिर के पुजारी सुरेन्द्र चन्द्र द्विवेदी हमीरपुर के ही रहने वाले हैं। ये सबसे पहले रोटीराम बाबा के यहां कई साल तक सेवक के रूप में रहे थे। रोटीराम बाबा के निधन के बाद ये चित्रकूट चले गए थे। जहां से कुछ सालों बाद ये दिल्ली स्थित अवधूत आश्रम चले गए थे। करीब ढाई दशक बाद सुरेश चन्द्र यहां चौरादेवी मंदिर आए और हमेशा के लिए मां के दरबार में डेरा जमा लिया है। बताया कि मां चौरादेवी की प्रेरणा से अवधूत आश्रम छोड़ यहीं धुनी जमाई है। बताया कि मां का दरबार बड़ा ही चमत्कारी है, इसलिए हरिद्वार के महान संत स्वामी हंसानंद महाराज भी अक्सर माता रानी के दर्शन करने आते है।