डालीबाग स्थित गन्ना संस्थान सभागार में बतौर मुख्य अतिथि जाने-माने फिल्म निर्देशक पद्म श्री डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी ‘राष्ट्र निर्माण में भारतीय भाषाओं की भूमिका’विषय पर व्याख्यान दे रहे थे। इसी दौरान उन्होंने अटल जी से जुड़ा वो किस्सा साझा किया। पद्म श्री डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने बताया कि 1993-94 की बात है जब हिंदी की सेवा के लिए दो व्यक्तियों को आमंत्रित किया गया था। पहले व्यक्ति से पूरा विश्व परिचित है। वह अटल बिहारी वाजपेयी जी हैं। उनके साथ उस दिन दूसरा व्यक्ति मैं था।
उन्हें यूएन में हिंदी में भाषण देने के लिए यूपी सरकार ने सम्मानित किया था। उनके साथ ही टेलीविजन में हिंदी का प्रयोग करने के लिए मुझे पुरस्कार दिया गया था। उसकी कुछ यादें इसी हॉल(डालीबाग स्थित गन्ना संस्थान) से जुड़ी हैं। उस दिन मैं अटल जी के सामने नहीं बोला था।
डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने बताया कि अटल जी को एक लाख रुपये का पुरस्कार दिया गया था और मुझे पचास हजार रुपये का। अटल जी ने हिंदी के उत्थान के लिए तुरंत पुरस्कार लौटा दिया था। जब मेरी बारी आई तो मैंने अटल जी से कहा कि आप मुझ पर दबाव मत बनाइए। मैं अपने पैसे लौटने वाला नहीं हूं। उसका कारण है कि आप कुंवारे हैं जबकि मैं गृहस्थ होने वाला हूं। बता दें कि डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने अपने सीरियल चाणक्य में चाणक्य की भूमिका निभाकर ऐसी छाप छोड़ी कि लोग उन्हें चाणक्य नाम से पुकारते हैं।
इसके बाद पद्म श्री द्विवेदी ने कहा कि उस दिन अटल जी ने एक महत्वपूर्ण बात कही थी। अटल जी ने बताया कि एक बार उनकी मुलाकात ब्रिटेन की प्रधानमंत्री मारग्रेट थैचर से हुई। इस दौरान इंदिरा गांधी ने अटल जी का थैचर से यह कहते हुए परिचय कराया कि ये अटल जी हैं, हिंदी में बहुत अच्छा भाषण देते हैं।
अटल जी ने कहा कि एक बार ऐसा सोच कर देखें कि अगर मैं ब्रिटेन में हूं और कोई मेरा परिचय उनसे कराए और कहे कि यह मारग्रेट थैचर हैं और बहुत अच्छी अंग्रेजी बोलती हैं, तो कैसा लगेगा। अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा कि अगर हिंदी में हम अपनी बात नहीं कहेंगे तो किस भाषा में कहेंगे।
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