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Allahabad HighCourt : पैसा लेकर थाने से आरोपियों को छोड़ने में सिपाहियों के निलंबन पर लगाई रोक

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिना नियमित विभागीय कार्रवाई के सिपाहियों को सस्पेंड करने के आदेश पर बुधवार को रोक लगा दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव जोशी ने याची सिपाही अतुल कुमार नागर और सुमित शर्मा की याचिकाओं पर दिया किया है। दोनों सिपाहियों ने याचिका दाखिल कर निलंबन आदेश को चुनौती दी थी।

याची सिपाहियों के अधिवक्ता विजय गौतम और अतिप्रिया गौतम ने कोर्ट को बताया कि याचीगण साइबर क्राइम थाना जनपद गौतमबुद्धनगर में कार्यरत थे। उनके खिलाफ  मंजू चौहान ने थाना फेस-तीन में मुकदमा दर्ज कराया। प्रभारी निरीक्षक साइबर क्राइम थाना नोएडा के सेक्टर-36 ने रिपोर्ट भेज कर कहा कि पैसा लेकर आरोपियों को छोड़ने का कृत्य गंभीर और दुराचरण की श्रेणी में आता है। साथ ही इन्होंने पुलिस विभाग की छवि को भी गंभीर क्षति पहुंचाई है।

दो घंटे बाद छोड़ने के बदले सात लाख मांगे
शिकायतकर्ता के आरोपों के अनुसार पांच लोग सादे कपड़े में आए। उन्होंने अपने आप को नोएडा साइबर थाने की पुलिस बताया। फिर उसकी कंपनी के कार्यालय से वसीम, परवेज और सुहेल को पूछताछ करने के बहाने पकड़कर साथ ले गए। दो घंटे बाद इनको छोड़ने के बदले सात लाख रुपये मांगे।

पांच लाख में सौदा तय हो गया। वादिनी का आरोप था कि उसने दो लाख इन लोगों को दे दिए। बाकी तीन लाख अगले दिन इंतजाम करके देने के लिए कहा। इस पर सिपाहियों ने तीनों आदमियों को छोड़ दिया। पुलिस अधीक्षक साइबर क्राइम यूपी के आदेश पर 15 फरवरी 2021 को सिपाहियों को सस्पेंड कर दिया गया।

निलंबन को नियम विरुद्ध बताया

याचियों की तरफ से कहा गया कि निलंबन आदेश बिना किसी ठोस साक्ष्य के पारित किया गया है। न तो सिपाहियों को अभी तक कोई चार्जशीट दी गई है और न ही नियमित विभागीय कार्रवाई प्रचलित है।

कोर्ट ने निलंबन पर रोक लगाते हुए कहा कि रिकॉर्ड देखने से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि याचीगणों के खिलाफ प्रारंभिक जांच विचाराधीन है। कोर्ट ने कहा कि जब नियमित जांच प्रचलित हो तभी निलंबित किया जा सकता है। अत: निलंबन आदेश विधि द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों के खिलाफ  है। कोर्ट ने याचिका पर सरकारी वकील से 4 सप्ताह में जवाब मांगा है।