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उत्तर प्रदेश सिन्धी अकादमी द्वारा विचार संगोष्ठी कार्यक्रम का आयोजन

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उत्तर प्रदेश सिन्धी अकादमी द्वारा आजादी के 75वें अमृत महोत्सव वर्ष एवं सिंधी भाषा दिवस के उपलक्ष्य में आज उत्तर प्रदेश सिंधी अकादमी के कार्यालय में विचार संगोष्ठी कार्यक्रम का आयोजन सफलतापूर्वक किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अकादमी उपाध्यक्ष श्री नानक चन्द लखमानी द्वारा कहा गया कि प्रत्येक बच्चों के प्रथम अध्यापक उनके माता पिता होते है इसलिए प्रत्येक घरों में अपने-अपने बच्चों से सिंधी भाषा में ही बोलना चाहिए जिससे प्रत्येक बच्चा आगे चलकर सिंधी भाषा बोल सके तथा भविष्य में सिंधी भाषा से स्नातक एवं परास्नातक की पढ़ाई करने के उपरान्त प्रशासनिक सेवाओं में भी अपना योगदान दे सके।
कार्यक्रम में सर्वप्रथम अकादमी उपाध्यक्ष श्री नानक चन्द लखमानी, श्री सत्येन्द्र भवनानी, श्री हरि बख्श सिंह, निदेशक उत्तर प्रदेश सिंधी अकादमी, श्री प्रकाश गोधवानी, श्रीमती ज्योति संगवानी द्वारा भगवान झूलेलाल की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर शुभारम्भ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता अकादमी उपाध्यक्ष श्री नानक चन्द लखमानी जी द्वारा की गयी।
कार्यक्रम में वक्ता श्री डी.सी. चन्दानी, श्री सत्येन्द्र भवनानी, श्री नितेश कुमार मंध्यान, श्रीमती ज्योति संगवानी, श्रीमती आशा सेवलानी, श्रीमती पूनम लखमानी, श्रीमती कविता खत्री, श्रीमती लाजवती, श्रीमती बरखा मंध्यान ने वक्ता के रूप में प्रतिभाग लिया।  कार्यक्रम में वक्ताओं द्वारा अवगत कराया गया कि भारत सरकार ने सिंधियों की न्यायोचित माँग और देशभक्ति को देखते हुये दिनांक 10 अप्रैल 1967 को चेटीचंड के पावन दिवस पर ही सिंधी भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में मान्यता प्रदान की गयी थी और इस वर्ष 55 साल पूर्ण हुये हैं। वक्ताओं द्वारा सिंधी भाषा के उत्थान हेतु विभिन्न आयामों पर चर्चा की गयी।
श्री सत्येन्द्र भवनानी द्वारा अपने वक्तव्य में कहा गया कि वर्तमान में युवा  पीढ़ी सिंधी एकल विषय से सिंधी आई0ए0एस0 की तैयारी कर रहें हैं। सिंधी विषय से पढ़ने के कारण आई0ए0एस0 के साथ ही सिंधी भाषा से प्रोफेसर तथा अन्य सरकारी पदों पर जा रहें है। इस तरह सिंधी विषय रोजगार परक होती जा रही हैै। अकादमी निदेशक श्री हरि बख्श सिंह जी ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया।