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आगरा की बहादुर बेटी: पापा, दादा और बुआ ने सिखाया, सात साल की अवनी ने घर को लुटने से बचाया

घर का दरवाजा अंजान लोगों के लिए नहीं खोलना चाहिए। अगर, कोई दरवाजा खटखटाकर बाहर बुलाए तो अंदर से चेहरा देखें। परिवार का व्यक्ति होने और जानकार होने पर ही दरवाजा खोलें। माता-पिता नहीं हैं तो घर से बाहर नहीं निकलें। बदमाश आ जाएं तो डरें नहीं, हिम्मत से मुकाबला करें। मौका पाकर घर से बाहर निकलकर शोर मचाएं। पुलिस को कॉल कर दें। आगरा में सात साल की अवनी को पापा उर्वेश कुमार, दादा राजेंद्र सिंह-बृजेंद्र सिंह और बुआ निशा ने यही सिखाया है। तभी तो उसने अपने घर को लुटने से बचा लिया।

अवनी एयरफोर्स स्कूल में कक्षा तीन में पढ़ती हैं। उसके चाचा जितेंद्र कुमार ने बताया कि सेना और पुलिस में परिवार के लोग हैं। उर्वेश कुमार (अवनी के पिता) बीएसएफ में हैं। बीकानेर में तैनात हैं। दादा राजेंद्र सिंह सीआरपीएफ में हवलदार थे। वह नक्सल प्रभावित इलाके में रहे थे। बाद में नौकरी छोड़ दी थी। घर के पास ही रहने वाले दूसरे दादा पीएसओ हैं। वहीं बुआ निशा सिपाही हैं।

इन दिनों खेतों पर फसल कट रही है। इस कारण राजेंद्र सिंह गांव चले गए थे। उर्वेश ड्यूटी पर थे। रेखा अक्सर बेटी अवनी और तीन साल की श्रव्या के साथ अकेली रहती हैं। अवनी को दादा, पिता और बुआ बदमाशों से बचने के बारे में बताती थीं। इस पर अवनी उनसे सवाल भी करती थी कि बदमाश हथियार लेकर आए तो क्या करें? अकेले में फंस जाएं तो कैसे बचें? घर में अकेले हैं तो कोई अंजान आ जाए तो दरवाजा खोलें या नहीं? अकेले में कोई बुलाए तो क्या करें? इन सब के बारे में दादा, पापा और बुआ ने उसे बता रखा था।

पिता को कॉल करने के लिए उठाया था मोबाइल

अवनी ने बताया कि जब मंगलवार को दो बदमाश उसके घर में आए तो सबसे पहले पिता को फोन करने के बारे में सोचा। मगर, उसे लगा कि फोन पर बात हो जाएगी, लेकिन पिता मदद के लिए नहीं आ पाएंगे। इसलिए वो घर से बाहर निकल गई। वह बिना रुके शोर मचाते हुए बाहर भागी। बदमाशों का एक साथी बाहर खड़ा हुआ था। वह उसके पीछे दौड़ा, लेकिन वो घबराई नहीं। वो दौड़ती रही। सीधे अपने दादा बृजेंद्र सिंह के घर पहुंच गई। तब घर में दादी मिल गईं। बाद में कॉलोनी के लोग आ गए। इस पर बदमाश भाग गए।

क्राइम आधारित सीरियल देखती हैं…

अवनी क्राइम आधारित सीरियल भी देखती हैं। इसलिए उसे पता था कि बदमाश क्या करते हैं? उनसे कैसे बचना है? वह माता-पिता की लाडली है। जब भी घर का दरवाजा कोई खटखटाता है, तब वह घर के अंदर से ही पूछती है। जानकार और परिवार का व्यक्ति होने पर ही बाहर जाती है। अंजान व्यक्ति के बारे में अपनी मां को बताती हैं। उसकी समझदारी से परिवार लुटने से बच गया। अब सभी उसकी तारीफ कर रहे हैं। अब अवनी एक ही सवाल पूछ रही है कि बदमाश पकड़े गए या नहीं? पुलिस ने अब तक क्या किया?

बीमार रहती हैं रेखा

परिवार के लोगों ने बताया कि रेखा बीमार रहती हैं। इस समय नवरात्र में व्रत भी रखे थे। इसके बावजूद बदमाशों के घुसने पर उनसे भिड़ गईं। डरी नहीं। बदमाश के तमंचे से प्रहार करने पर भी घबराई नहीं। उन्हें घर से खदेड़ने के बाद ही दम लिया। पुलिस ने अब उनसे बदमाशों का हुलिया पूछा है। तीनों की उम्र तकरीबन 25 से 30 साल थी। उन्हें यह नहीं पता था कि घर में कैमरे लगे हैं। तभी तो चेहरे खोलकर आए थे।