एटा के जलेसर कस्बा की बड़े मियां दरगाह में चढ़ावे के करोड़ों रुपयों का घोटाला सामने आने के बाद इस दरगाह से जुड़े नौ लोगों पर मुकदमा दर्ज किया जा चुका है। यहां दरगाह की प्रबंध समिति बनी हुई थी, इसके आधार पर कार्रवाई आगे बढ़ रही है, लेकिन छोटे मियां की दरगाह पर आज तक कोई समिति ही नहीं बनाई गई। ऐसे में इस दरगाह से जुड़े जिम्मेदार लोगों को चिह्नित करने में प्रशासन जुटा हुआ है।
जलेसर में दोनों ही दरगाह की धार्मिक मान्यता है। जात के लिए यहां आने वाले लोग दोनों मजारों पर पहुंचकर पूजा-पाठ करते हैं। लंबे अरसे से दरगाह प्रबंधन की कार्यप्रणाली को लेकर असंतोष और सवाल उठते रहे हैं। खासतौर से बड़े मियां की दरगाह को लेकर आपत्तियां अधिक रही थीं। प्रशासन ने जब 2000 से 2018 के बीच जब इस एक दरगाह पर आने वाले चढ़ावे का आंकलन किया तो 83 से 99 करोड़ रुपये जमा होने की बात सामने आई।
दरगाह प्रबंध समिति के खाते में नहीं पहुंची रकम
दरगाह के इंतजामों के लिए बनाई गई प्रबंध समिति के खाते में एक भी पैसा नहीं था। यह पूरी धनराशि मनमाने ढंग से आपस में बांट ली गई। कुछ इसी तरह की कहानी दूसरी मजार छोटे मियां की दरगाह की भी है। यहां भी बड़ी मात्रा में चढ़ावा आता है। जिस पर बड़े मियां दरगाह प्रबंध समिति के पदाधिकारियों से जुड़े लोग ही बैठते थे। जबकि यहां का जैन समाज एक हिस्सा अपने नाम होने का दावा करता है। जात के दौरान वह भी बैठते थे।
उनका आरोप है कि दरगाह में उनकी आधी हिस्सेदारी है, लेकिन यहां बैठने वाले लोग उन्हें चढ़ावा आदि का उचित हिस्सा नहीं देते थे। बहरहाल बड़े मियां दरगाह का मामला उठने के बाद इस दरगाह से जुड़े लोग भी फरार हैं। एसडीएम अलंकार अग्निहोत्री ने बताया कि छोटे मियां दरगाह की भी जांच कराई जा रही है। इससे जुड़े सभी लोगों को बृहस्पतिवार को साक्ष्य प्रस्तुत करने को कहा गया है। जांच में गड़बड़ी मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।
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