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विश्व के कई देशों में गलत नीतियों के चलते खाद्यान्न संकट गहराता जा रहा है। श्रीलंका, पाकिस्तान, अफगानिस्तान समेत एशिया, यूरोप और अफ्रीका के कई देशों में महंगाई और कम उत्पादन से अनाज का संकट है। लोग भूखे सोने को मजबूर हैं। इन देशों के ऐसे संकट के समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेहद दरियादिली के साथ आगे आए हैं। उन्होंने एक बड़े बयान में कहा है कि विश्व व्यापार संगठन यानी डब्ल्यूटीओ मंजूरी दे तो भारत पूरी दुनिया को अनाज दे सकता है। विश्व के करोड़ों लोगों का पेट भर सकता है। भारत में केंद्र सरकार की किसान हितैषी नीतियों और मेहनतकश किसानों के चलते खाद्यान्न के पर्याप्त भंडार हैं।

दुनिया के सामने खाद्यान्न की कमी बड़ा संकट, रूसयूक्रेन के बीच जारी युद्ध का भी असर प्रधानमंत्री ने कहा कि पूरी दुनिया के विभिन्न हिस्सों में खाद्य भंडार घट रहा है। आज दुनिया एक अनिश्चित स्थिति का सामना कर रही है। ऐसे संकट में भारत वसुधैव कुटुंबकम की नीति पर चलते हुए दूसरे देशों की मदद करना चाहता है। यह वास्तव में इसलिए बहुत बड़ी बात क्योंकि जहां अमेरिका दूसरे देशों के साथ हथियार और चीन कर्ज देने के लिए सौदेबाजी करता है, ताकि इन देशों का अकूत खजाना बढ़ता रहे। इसके विपरीत भारत जीवन के लिए सबसे जरूरी खाद्यान्न के लिए दुनिया को ऑफर कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक कार्यक्रम के दौरान रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध का जिक्र किया। कहा, ‘इस जंग के कारण दुनिया के विभिन्न हिस्सों में खाद्य भंडार घट रहा है। आज दुनिया एक अनिश्चित स्थिति का सामना कर रही है,

 क्योंकि किसी को वह नहीं मिल रहा है जो उसे चाहिए। दुनिया के सामने अब एक नई और बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। वो यह है कि दुनिया का अन्न भंडार खाली हो रहा है।’पीएम मोदी के आह्वान पर मिस्र ने भारत को गेहूं आपूर्तिकर्ता के रूप में मंजूरी दीवाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण और कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विश्व की चिंता कर रहे हैं। ऐसे देशों में जहां अन्न का संकट है, वहां और इसके अलावा अन्य देशों में भी भारतीय किसान दुनिया का पेट भरने के लिए तैयार हैं। खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री गोयल के मुताबिक मिस्र ने भारत को गेहूं आपूर्तिकर्ता के रूप में मंजूरी दे दी है। हमारे किसानों ने सुनिश्चित किया है कि हमारे अन्न भंडार अतिप्रवाहित हों और हम दुनिया की सेवा के लिए तैयार हैं।

पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से भी की थी डब्लूटीओ से अनुमति की बात
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी बताया कि उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से भी इस बारे में बातचीत की थी। उन्होंने कहा, ‘मैं अमेरिका के राष्ट्रपति से बात कर रहा था तो उन्होंने भी इस गंभीर मुद्दे को उठाया। मैंने सुझाव दिया कि यदि डब्लूटीओ अनुमति देता है, तो भारत दुनिया को खाद्य भंडार की आपूर्ति करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।’ पीएम मोदी ने यह भी कहा, ‘हमारे पास अपने लोगों के लिए पहले से ही पर्याप्त खाद्यान्न है, लेकिन ऐसा लगता है कि हमारे किसानों ने पूरी दुनिया को खिलाने की व्यवस्था कर ली है। लेकिन हमें दुनिया के कानूनों के मुताबिक चलना है। इसलिए विश्व व्यापार संगठन की अनुमति के बाद हम तत्काल आपूर्ति करेंगे।’

दरअसल, विश्व व्यापार संगठन यानी डब्ल्यूटीओ एक बहुपक्षीय संस्था है जो अंतरराष्ट्रीय व्यापार का नियमन करती है। इसमें 164 देश सदस्य हैं और इसका मुख्यालय स्विटजरलैंड के जेनेवा शहर में है। भारत शुरू से ही डब्ल्यूटीओ का सदस्य रहा है। डब्ल्यूटीओ का मकसद संरक्षणवाद (प्रोटेक्शनिज्म) को खत्म कर भेदभावरहित, पारदर्शी और मुक्त व्यापार व्यवस्था बनाना है ताकि सभी देश एक-दूसरे के साथ बिना किसी बाधा (अत्यधिक टैरिफ या प्रतिबंध) के व्यापार कर सकें। संयुक्त राष्ट्र में जहां पांच स्थायी सदस्यों को वीटो पावर प्राप्त है, वहीं डब्ल्यूटीओ में किसी भी राष्ट्र को विशेषाधिकार प्राप्त नहीं है। मतलब यहां सब बराबर हैं।