लखनऊ: डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान (RML Institute of Medical Schience) में छोटे बाल और क्लीन शेव देखकर ही एमबीबीएस प्रथम वर्ष (MBBS First Year Student) के छात्रों को पहचाना जा सकता है। इसके लिए संस्थान में कोई नियम नहीं है, बल्कि यह सीनियरों का फरमान है। इसके साथ इनका ड्रेस कोड भी तय है। जूनियर नैरो बॉटम यानी पतली मोहरी की पैंट नहीं पहन सकते। ये सिर्फ चौड़ी मोहरी की पैंट ही पहन सकते हैं। हालांकि, संस्थान की ओर से इसे रैगिंग के रूप में नहीं लिया जा रहा है। संस्थान प्रबंधन प्रथम वर्ष के छात्रों में नियमों को लेकर जागरूकता की बात कही जा रही है।
लोहिया संस्थान में साल 2019 में भी नए बैच के सभी छात्रों के बाल छोटे करवा दिए गए थे। इसके बाद कुछ छात्रों को नोटिस जारी किया गया, लेकिन किसी पर कार्रवाई नहीं हुई। इसी का खमियाजा है कि इस बार भी सीनियर्स ने नए बैच के छात्रों को बाल कतरवाने का फरमान सुना दिया है, जबकि संस्थान में जूनियर और सीनियर छात्रों का हॉस्टल अलग है। सीनियर स्टूडेंट कैंपस से दूर शहीद पथ स्थित एलडीए के फ्लैट में रह रहे हैं। इसके बावजूद सीनियरों का दबदबा कायम है।
बड़े बाल मतलब सीनियर
लोहिया संस्थान में सीनियर ही बड़े बाल रख सकते हैं। ऐसे में जूनियर बड़े बाल वाले स्टूडेंट को देखते ही सिर झुका लेते हैं। इतना ही नहीं, पास आते ही नमस्ते या गुड मॉर्निंग कहते हैं। एक छात्र ने बताया कि ऐडमिशन के बाद पहली बार हॉस्टल पहुंचने पर सब सिर झुकाने के साथ अभिवादन करने लगे। काफी देर तक समझ नहीं आया। फिर एक छात्र से पूछा तो पता चला कि मेरे बाल बड़े होने के कारण सब सीनियर समझ रहे थे। जैसे ही बताया कि प्रथम वर्ष का हूं तो उसने समझाया कि तुरंत बाल छोटे करवा लो वरना किसी सीनियर ने देख लिया तो आफत हो जाएगी।
दो चोटियां करती हैं लड़कियां
लड़कों की तरह पहले साल की लड़कियों को भी उनकी सीनियर्स ने दो चोटी करने का फरमान दे रखा है। इसके बाद शुरुआत में सभी छात्राओं ने दो चोटी करना शुरू किया। इस बीच कुछ महिला शिक्षकों का ध्यान इस पर गया और पूछताछ शुरू हो गई। ऐसे में मामले को तूल पकड़ता देख सीनियर छात्राओं ने दो छोटी की बाध्यता खत्म कर दी।
लोहिया संस्थान की निदेशक सोनिया नित्यानंद ने दिए जवाब
फ्रेशर के पूरे बैच के बाल छोटे हैं, ऐसा संस्थान का नियम है?
ये अडवाइजरी है, जो सीनियरों ने दी है, जूनियर की मर्जी- माने या नहीं।
अडवाइजरी संस्थान की वेबसाइट या कैंपस में कहीं चस्पा नहीं है ?
अब सब कुछ लिखित तो होता नहीं है। कुछ चीजें मौखिक भी होती हैं।
अगर संस्थान की अडवाइजरी है तो सिर्फ प्रथम वर्ष के छात्रों पर क्यों लागू है ?
कहा तो सबको जाता है, लेकिन प्रथम वर्ष वाले मान लेते हैं, सीनियर नहीं मानते।
आपको नहीं लगता कि सीनियरों का जूनियरों के बाल कटवाना रैगिंग का हिस्सा है।
हमारे कैंपस में रैगिंग नहीं होती। पूरा ध्यान रखा जाता है। यह बिल्कुल भी रैगिंग नहीं है।
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