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Editorial:भारत ने चीन की कमर तोड़ दुनिया को दिया संदेश

17-4-2022

मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से भारत की सेना पहले की तुलना में अधिक शक्तिशाली हुई है। लड़ाकू विमानों और भारी तोप से लेकर पनडुब्बी रोधी विमानों के द्वारा भारत के सशस्त्र बलों को और मजबूत किया जा रहा है। यह मोदी सरकार की ही नीतियों की देन है कि आज रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान रूस के खिलाफ ना जाने के बाद भी अमेरिका जैसा देश भारत पर दबाव बनाने में नाकाम रहा है। देश आज रक्षा क्षेत्र में इतना आगे बढ़ चूका है की कोई भी देश भारत के खिलाफ युद्ध तो दूर कुछ भी अनर्गल बोलने से बचते हुए दिखाई पड़ता है।
इसी क्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन को कड़ा संदेश दिया है और कैसे भारत के सशक्त पहलू को राजनाथ सिंह ने डटकर दुनिया के सामने रखा है। तो चलिए अविलंब आरंभ करते हैं। राजनाथ सिंह ने कहा है कि “अगर भारत को नुकसान हुआ तो भारत किसी को भी नहीं बख्शेगा”, उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत एक शक्तिशाली देश के रूप में उभरा है और दुनिया के शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। राजनाथ सिंह ने सैन फ्रांसिस्को में भारतीय-अमेरिकी समुदाय को अपने संबोधन में अमेरिका को एक सूक्ष्म संदेश भी भेजा कि नई दिल्ली “5द्गह्म्श-ह्यह्वद्व द्दड्डद्वद्ग की कूटनीति में विश्वास नहीं करती है। उन्होंने कहा, “भारत एक द्विपक्षीय संबंध बनाने में विश्वास करता है जो किसी भी देश के लिए उचित है।”
उन्होंने आगे कहा कि “अगर भारत के एक देश के साथ अच्छे संबंध हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि किसी अन्य देश के साथ उसके संबंध खराब हो जाएंगे। भारत ने इस तरह की कूटनीति कभी नहीं अपनाई है। भारत इसे (इस तरह की कूटनीति) कभी नहीं अपनाएगा।”
रक्षा मंत्री यहां वाशिंगटन डीसी में भारत यूएस 2+2 मंत्रिस्तरीय बैठक में भाग लेने के लिए आए थे। इस बैठक में सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास द्वारा उनके सम्मान में आयोजित एक स्वागत समारोह में, रक्षा मंत्री ने चीन के साथ सीमा पर भारतीय सैनिकों द्वारा दिखाई गई वीरता के बारे में बताया।
राजनाथ सिंह ने कहा, “मैं खुले तौर पर यह नहीं कह सकता कि उन्होंने (भारतीय सैनिकों ने) क्या किया और हमने (सरकार ने) क्या फैसले लिए। लेकिन मैं निश्चित रूप से कह सकता हूं कि चीन को एक संदेश गया है कि अगर भारत को नुकसान हुआ तो भारत किसी को नहीं बख्शेगा।”
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आपको बता दें कि 5 मई, 2020 को पैंगोंग झील क्षेत्रों में हिंसक झड़प के बाद भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच लद्दाख सीमा गतिरोध शुरू हो गया। 15 जून, 2020 को गलवान घाटी की झड़पों के बाद भारत-चीन के बीच । झड़पों में 20 भारतीय सैनिक और अनिर्दिष्ट संख्या में चीनी सैनिक मारे गए। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि चीन के लगातार पीठ में छुरा घोंपने और भारत की कीमत पर अपने क्षेत्र का विस्तार करने के उत्साह के कारण भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंध ऐतिहासिक स्तर पर गिर गए हैं।
भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख गतिरोध को सुलझाने के लिए अब तक 15 दौर की सैन्य वार्ता की है। वार्ता के परिणामस्वरूप, दोनों पक्षों ने पिछले साल पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे और गोगरा क्षेत्र में अलगाव की प्रक्रिया पूरी की।

आपको बता दें कि यूक्रेन संकट पर भारत की स्थिति और रियायती रूसी तेल की खरीद के अपने फैसले पर वाशिंगटन के साथ तनाव के बीच उनकी टिप्पणी आई। भारतीय समुदाय को अपने संबोधन में, राजनाथ सिंह ने कहा कि अतीत में यदि दुनिया का कोई भी देश विकसित और समृद्ध होना चाहता था, तो वे हमेशा भारत के साथ एक जीवंत व्यापार स्थापित करने के बारे में सोचते थे। भारत की छवि बदल गई है। भारत का मान बढ़ा है। अगले कुछ सालों में दुनिया की कोई ताकत भारत को दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्था बनने से नहीं रोक सकती।

रक्षा मंत्री ने कहा कि “आठ वर्षों में मोदी सरकार ने देश को “बदल दिया” और भारत की छवि बेहतर के लिए बदल गई है। (विश्व स्तर पर) लोगों ने अब महसूस किया है कि भारत अब एक कमजोर देश नहीं है। यह विश्व का शक्तिशाली देश है। आज भारत में दुनिया का नेतृत्व करने की क्षमता है। भारत की यह क्षमता एक ऐसी चीज है जिसे अब दुनिया ने महसूस किया है।” उन्होंने कहा कि “इतने कम समय में भारत जैसे देश के लिए इससे बड़ी उपलब्धि और कुछ नहीं हो सकती। आज हमारे पास एक नया और आत्मविश्वास से भरा भारत है, भारत अब एक आत्मनिर्भर देश बनने की ओर अग्रसर है और मोदी सरकार इस संबंध में रक्षा क्षेत्र सहित कई महत्वपूर्ण कदम उठा रही है।”