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स्थापना दिवस विशेष: कोरोना काल में जीरो पर पहुंचा, फिर संभला… अब पकड़ी पर्यटन ने रफ्तार

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दुनिया की सबसे खूबसूरत इमारत ताजमहल पर कोरोना पहुंचा तो लॉकडाउन में ताज के दरवाजे सैलानियों के लिए बंद कर दिए गए। एक दो दिन नहीं, बल्कि 188 दिन तक अभूतपूर्व बंदी ने 2500 करोड़ के कारोबार वाले पर्यटन उद्योग को शून्य पर ला दिया। अपने जज्बे, जुनून और ताजमहल के जादू के कारण चार लाख लोगों की रोजी रोटी से जुड़ा पर्यटन उद्योग संभला और अब पाबंदियां हटने के बाद फिर से रफ्तार पकड़ चुका है।

कोरोना के कारण दो साल तक घूमने फिरने से बचे भारतीय पर्यटकों पर ताज का ऐसा जादू चला कि अब कोरोना संक्रमण काल से पहले की तरह ताज पर सैलानियों की भीड़ उमड़ने लगी है। हालांकि होटल, रेस्टोरेंट, एंपोरियम, हैंडीक्राफ्ट और अन्य कारोबार धीमे धीमे आगे बढ़ रहे हैं।

पर्यटन कारोबार से जुड़े हैं चार लाख लोग

ताजनगरी में पर्यटन कारोबार पर चार लाख लोग प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से आश्रित हैं। जनवरी, 2020 में चीन में कोरोना संक्रमण फैलने के साथ ही आगरा का पर्यटन कारोबार प्रभावित होना शुरू हो गया था। देश में कोरोना के दस्तक देने पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने 17 मार्च, 2020 से देशभर के स्मारक बंद कर दिए थे।

स्मारक बंद करने से पूर्व सरकार ने वीजा सर्विस और इसके बाद इंटरनेशनल फ्लाइट स्थगित कर दी थीं। 188 दिनों की रिकॉर्ड बंदी के बाद ताजमहल तो खुल गया था, लेकिन पर्यटन उद्योग ठप हो गया था। होटल संचालकों ने पर्यटकों के न आने के कारण अपने होटल खेाले ही नहीं।

कोरोना की दूसरी लहर के जून में खत्म होने के बाद अक्तूबर के पर्यटन सीजन से होटल संचालकों ने धीमे धीमे होटल खोलने शुरू किए और दिसंबर तक 300 से ज्यादा इकाइयां खुल गईं। दिसंबर से ही पर्यटकों की संख्या का ग्राफ बढ़ा, पर जनवरी में फिर तीसरी लहर के कारण पर्यटक कम हो गए। मार्च में होली पर पर्यटन उद्योग फिर से रफ्तार पकड़ने लगा।

ताजमहल का क्रेज

सरकार ने कोरोना संक्रमण के कारण लगी पाबंदियों को हटाया तो ताजमहल पर सैलानियों का सैलाब उमड़ने लगा। होली के बाद जब स्थितियां सामान्य हुई तो ताज का जादू दिखने लगा। महज तीन दिनों में ही ताज पर एक लाख से ज्यादा सैलानी पहुंचे। ताजमहल के दीदार के लिए अब जो सैलानी पहुंच रहे हैं, उनसे पर्यटन उद्योग को उम्मीद बंधी है कि जल्द ही पुराने दिन लौट आएंगे।

ताज के  साथ लॉयन सफारी को जोड़ा
कोरोना काल से पहले की ऊंचाइयों को छूने के लिए आगरा के पर्यटन उद्योग ने नई पहल भी की है। केवल ताज, किला और सीकरी तक सीमित रहे आगरा के पर्यटन के साथ बीहड़ का रोमांच जोड़ा और लॉयन सफारी, इटावा के साथ नया सर्किट तैयार किया। इसमें शेरो की दहाड़ के साथ सूर सरोवर पक्षी विहार में चहचहाते प्रवासी पक्षियों को भी शामिल किया गया। हाथियों का अस्पताल चुरमुरा में तो कीठम में भालू संरक्षण केंद्र को साथ लिया।

इस तरह रोमांच के साथ दिल्ली एनसीआर के पर्यटक ताजमहल देखने के बाद आगरा लखनऊ एक्सप्रेस वे से 90 मिनट में इटावा के लॉयन सफारी पहुंच रहे हैं। दो महीने में इस सर्किट के कारण न केवल सूर सरोवर पक्षी विहार, बल्कि लॉयन सफारी पर भी वीक एंड में सैलानियों की संख्या एक हजार से ज्यादा पहुंच रही है।

अब नई उम्मीदें
होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश चौहान ने कहा कि जब से होश संभाला, तब से सबसे बुरे दौर से पर्यटन उद्योग गुजरा, लेकिन बुरे सपने की तरह बीत गया। अब नई उम्मीदें हैं। नए रास्ते खुल रहे हैं। कारोबार का तरीका बदला है और कोरोना के कई वैरिएंट के बीच उम्मीद है कि पर्यटकों की आवाजाही अब बरकरार रहेगी।
अब आवाजाही शुरू
टूरिज्म गिल्ड के उपाध्यक्ष राजीव सक्सेना ने बताया कि पर्यटन उद्योग में सबसे ज्यादा प्रभावित हैंडीक्राफ्ट उद्योग हुआ। गोकुलपुरा, ताजगंज के हजारों कारीगर काम न होने के कारण ट्रेड बदलने को मजबूर हो गए। अब विदेशी पर्यटकों की आवाजाही शुरू हुई है, उम्मीद है कि हैंडीक्राफ्ट उद्योग फिर से पनपेगा।
नए तरीके से आगे बढ़ रहे
होटल ऑनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश वाधवा ने कहा कि कोरोना संक्रमण ने बहुत कुछ छीन लिया, पर हम भारतीय है, इस बुरे दौर से न केवल निकले बल्कि कारोबार में आए बदलाव को भी समझ गए। अब नए तरीके से, तकनीक के साथ नई जरूरतों के मुताबिक होटल और रेस्टोरेंट का संचालित कर रहे हैं।
आत्मनिर्भर बनना पड़ेगा
आगरा टूरिज्म डेवलपमेंट फाउंडेशन के अध्यक्ष संदीप अरोड़ा ने कहा कि सरकार से उम्मीदों की दरकार थी, पर जैसा रुख केंद्र और राज्यों की सरकार ने दिखाया, उससे लगा कि अपने पैरों पर ही खड़ा होना होगा। हमने ऐसा किया भी। एमएसएमई, कृषि समेत सभी उद्योगों को सरकार ने मदद की, पर हम कह सकते हैं कि हम खुद संभले और जैसे तैसे जूझकर कारोबार चला रहे हैं।