Editorial: आईडी घोटाले में कर्नाटक कांग्रेस विधायक पर FIR – Lok Shakti

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Editorial: आईडी घोटाले में कर्नाटक कांग्रेस विधायक पर FIR

आईडी घोटाले में कर्नाटक कांग्रेस
विधायक मुनीरथना नायडू पर FIR
कांग्रेस व राहुल गांधी के असली चेहरे को
समझना मतदाताओं के लिये हुआ सहज
गुजरात विधानसभा चुनाव के समय राहुल गांधी ने अपनी माता जी की गलती से सबक लेते हुये कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं को यह कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी पर कोई व्यक्तिगत आक्षेप नहीं किया जाये। सोनिया गांधी जी ने २००७ के गुजरात विधानसभा के चुनाव के समय मोदी जी को मौत का सौदागर कह दिया था। परंतु मणिशंकर अय्यर ने मोदी जी को नीच कहकर कांग्रेस की हार पर मुहर लगा दी थी।
वही गलती आज अपनी प्रेस कांफ्रेंस में राहुल गांधी ने की। उनका पूरा फोकस मोदी जी पर रहा। इण्डिया टीवी के संवाददाता ने प्रेस कांफ्रेंस में राहुल गांधी से प्रश्र किया कि कर्नाटक विधानसभा का चुनाव क्या २०१९ के प्रधानमंत्री पद के लिये है। यह प्रश्र इसलिये पूछा गया क्योंकि राहुल गांधी के दिल की बात जुबान पर आ गई थी, इसलिये उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी बड़ी पार्टी के रूप में आई तो वे प्रधानमंत्री होंगे।
आज की प्रेस कांफ्रेंस में मोदी जी को घेरने की कोशिश में वह बात राफेल पर लेकर चले गए. लेकिन, कर्नाटक के चुनाव प्रचार के आखिरी दिन राफेल डील के बहाने मोदी जी को घेरने की उनकी रणनीति कांग्रेस के लिये नुकसान दायक ही होगी ?
अपनी प्रधानमंत्री बनने की आंकाक्षा को उन्होंने अपने पिछले अमेरिका प्रवास के समय भी स्पष्ट कर दिया था कि वे प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे। इससे यह स्पष्ट हुआ कि कांंग्रेस में प्रजातंत्र नही है। कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी को बनाते समय भी नाम के लिये चुनाव आयोग को दिखाने के लिये चुनाव हुआ। शहजादा पूनावाला तथा एक और कांग्रेस का नेता प्रत्याशी बनना चाहते थे परंतु उन्हेें ऐसा नहीं करने दिया गया।
अब कांगे्रस की कार्यकारिणी में कांग्रेस की ओर से प्रधानमंत्री पद के लिये उम्मीदवार घोषित किया भी नहीं है कि वे अपने आपको प्रधानमंत्री पद के दावेदार बनाते घूम रहे हैं।
कांग्रेस को तो नेहरू-गांधी परिवार अपनी मुट्ठी में समझते ही रहा है। अब आज की प्रेस कांफ्रेंस से यह सिद्ध हुआ कि वे विपक्षी पार्टियों को भी अपनी मु_ी में ही समझते हैें। इसलिये वे अपने आपको विपक्ष का नेता समझ बैठे हैं। थोड़ी बहुत कमी है तो उसे समझाने का अपने वक्तव्यों से प्रयत्न कर रहे हैं।
यूपीए शासन के समय भी दिल्ली की प्रेस कांफ्रेंस में उन्ही की सरकार द्वारा पारित अध्यादेश की प्रतिलिपि को फाड़कर हवा में उछालकर यह सिद्ध कर दिया था कि तत्कालिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मैडम सोनिया गांधी के इशारे पर ही नहीं चलते हैं बल्कि राहुल गांधी भी उनकी पगड़ी उछालने की शक्ति रखते हैं।
राहुल गांधी येन-केन-प्रकारेण प्रधानमंत्री बनने के इच्छुक हैं। इस जल्दबाजी में उनके लिये न पार्लियामेंट का महत्व है और न ही सुप्रीम कोर्ट का। चुनाव आयोग को तो वे कुछ समझते ही नही है।
यही कारण है कि आज फेक आईडी कार्ड घोटाले के संबंध में चुनाव आयोग द्वारा उनके कांग्रेस के विधायक पर एफआईआर दर्ज कराये जाने के बावजूद वे इस घटना को सहज समझ, महत्वहीन समझ रहे हैं। परंतु कर्नाटक के मतदाताओं को चाहिये कि वे इस घटना से यह समझ लें कि कांग्रेस यूपीए शासनकाल जैसे ही अभी भी पूर्णत: नीचे से ऊपर तक भ्रष्टाचार में लिप्त है।
यह कितना हास्यप्रद है कि फिरोज खान के पौत्र और जिसकी पार्टी के शासन में भगवाआतंक और सैफरन टेरर का प्रचार किया गया और इस षडयंत्र को और गहरा करने के लिये राहुल गांधी ने स्वयं अमेरिका में यह कहा था कि लश्कर से भी अधिक खतरनाक हिन्दू आतंकवाद है।
अब भारत की जनता को बहुरूपीये जनेऊधारी के असली चेहरे को पहचान जाना चाहिये।
गुजरात विधानसभा चुनाव के समय राहुल गांधी ने अपनी माता जी की गलती से सबक लेते हुये कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं को यह कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी पर कोई व्यक्तिगत आक्षेप नहीं किया जाये। सोनिया गांधी जी ने २००७ के गुजरात विधानसभा के चुनाव के समय मोदी जी को मौत का सौदागर कह दिया था। परंतु मणिशंकर अय्यर ने मोदी जी को नीच कहकर कांग्रेस की हार पर मुहर लगा दी थी।
वही गलती आज अपनी प्रेस कांफ्रेंस में राहुल गांधी ने की। उनका पूरा फोकस मोदी जी पर रहा। इण्डिया टीवी के संवाददाता ने प्रेस कांफ्रेंस में राहुल गांधी से प्रश्र किया कि कर्नाटक विधानसभा का चुनाव क्या २०१९ के प्रधानमंत्री पद के लिये है। यह प्रश्र इसलिये पूछा गया क्योंकि राहुल गांधी के दिल की बात जुबान पर आ गई थी, इसलिये उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी बड़ी पार्टी के रूप में आई तो वे प्रधानमंत्री होंगे।
आज की प्रेस कांफ्रेंस में मोदी जी को घेरने की कोशिश में वह बात राफेल पर लेकर चले गए. लेकिन, कर्नाटक के चुनाव प्रचार के आखिरी दिन राफेल डील के बहाने मोदी जी को घेरने की उनकी रणनीति कांग्रेस के लिये नुकसान दायक ही होगी ?
अपनी प्रधानमंत्री बनने की आंकाक्षा को उन्होंने अपने पिछले अमेरिका प्रवास के समय भी स्पष्ट कर दिया था कि वे प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे। इससे यह स्पष्ट हुआ कि कांंग्रेस में प्रजातंत्र नही है। कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी को बनाते समय भी नाम के लिये चुनाव आयोग को दिखाने के लिये चुनाव हुआ। शहजादा पूनावाला तथा एक और कांग्रेस का नेता प्रत्याशी बनना चाहते थे परंतु उन्हेें ऐसा नहीं करने दिया गया।
अब कांगे्रस की कार्यकारिणी में कांग्रेस की ओर से प्रधानमंत्री पद के लिये उम्मीदवार घोषित किया भी नहीं है कि वे अपने आपको प्रधानमंत्री पद के दावेदार बनाते घूम रहे हैं।
कांग्रेस को तो नेहरू-गांधी परिवार अपनी मुट्ठी में समझते ही रहा है। अब आज की प्रेस कांफ्रेंस से यह सिद्ध हुआ कि वे विपक्षी पार्टियों को भी अपनी मु_ी में ही समझते हैें। इसलिये वे अपने आपको विपक्ष का नेता समझ बैठे हैं। थोड़ी बहुत कमी है तो उसे समझाने का अपने वक्तव्यों से प्रयत्न कर रहे हैं।
यूपीए शासन के समय भी दिल्ली की प्रेस कांफ्रेंस में उन्ही की सरकार द्वारा पारित अध्यादेश की प्रतिलिपि को फाड़कर हवा में उछालकर यह सिद्ध कर दिया था कि तत्कालिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मैडम सोनिया गांधी के इशारे पर ही नहीं चलते हैं बल्कि राहुल गांधी भी उनकी पगड़ी उछालने की शक्ति रखते हैं।
राहुल गांधी येन-केन-प्रकारेण प्रधानमंत्री बनने के इच्छुक हैं। इस जल्दबाजी में उनके लिये न पार्लियामेंट का महत्व है और न ही सुप्रीम कोर्ट का। चुनाव आयोग को तो वे कुछ समझते ही नही है।
यही कारण है कि आज फेक आईडी कार्ड घोटाले के संबंध में चुनाव आयोग द्वारा उनके कांग्रेस के विधायक पर एफआईआर दर्ज कराये जाने के बावजूद वे इस घटना को सहज समझ, महत्वहीन समझ रहे हैं। परंतु कर्नाटक के मतदाताओं को चाहिये कि वे इस घटना से यह समझ लें कि कांग्रेस यूपीए शासनकाल जैसे ही अभी भी पूर्णत: नीचे से ऊपर तक भ्रष्टाचार में लिप्त है।
यह कितना हास्यप्रद है कि फिरोज खान के पौत्र और जिसकी पार्टी के शासन में भगवाआतंक और सैफरन टेरर का प्रचार किया गया और इस षडयंत्र को और गहरा करने के लिये राहुल गांधी ने स्वयं अमेरिका में यह कहा था कि लश्कर से भी अधिक खतरनाक हिन्दू आतंकवाद है।
अब भारत की जनता को बहुरूपीये जनेऊधारी के असली चेहरे को पहचान जाना चाहिये।