Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

Sahara Scam: देवरिया में तबाही के कगार पर हैं सहारा के निवेशक, दिहाड़ी मजदूर से लेकर तमाम लोग अब हैं भगवान भरोसे

देवरिया : सहारा इंडिया फाइनेंस कंपनी में अपनी गाढ़ी कमाई जमा करने वाले देवरिया जिले के हजारों निवेशक तबाही के कगार पर हैं। सहारा के एजेंटो ने लोगों को कम समय में रकम दूना करने का सब्जबाग दिखाया। लालच में आकर उपभोक्ताओं ने अपने खून पसीने की कमाई का अधिकांश हिस्सा सहारा में जमा कर दिया। मगर मैच्योरिटी पूरा होने पर कंपनी ने निवेशकों को रुपया देने की बजाय ठेंगा दिखा दिया और ब्याज की कौन कहे मूलधन भी वापस नहीं हुआ। अपना पैसा वापस लेने के लिए सहारा आफिस का चक्कर काटते-काटते कई निवेशक बूढ़े हो गए और कई दिवालिया होकर मजाक के पात्र बने हैं।

इनाम जीतने का सुनहरा मौका, यहां क्लिक कर इस आसान सर्वे के सवालों का दें जवाब

मैच्योरिटी पूरा होने पर पैसा देने की वजाय, दोबारा करा दिया डिपॉजिट
देवरिया जिले के उमा नगर (अमेठी) निवासी चंद्रिका चौहान मजदूरी करके परिवार का भरण पोषण करते हैं। 15 साल पहले सहारा कंपनी के एजेंट ने चंद्रिका को 5 साल में रकम दुना करने का लालच दिया। झांसे में आकर चंद्रिका ने स्वयं और अपनी पत्नी प्रभावती देवी के नाम से 50 हजार रूपये एकमुश्त जमा कर दिया। मैच्योरिटी होने पर एजेंट ने उस रकम को दोबारा 5 साल के लिए डिपॉजिट करा दिया।
ब्याज की कौन कहे मूलधन भी है भगवान भरोसे
मैच्योरिटी का समय पूरा होने पर चंद्रिका अपना पैसा लेने के लिए एजेंट और सहारा के ऑफिस का चक्कर काटने लगे। मगर अब तक पैसा नहीं मिला। चंद्रिका की माने तो कंपनी के एजेंटों ने एक ही रकम को पांच 5/5 वर्ष के बाद तीन बार डिपॉजिट कराया। ऐसे में सहारा कंपनी से उनको व उनकी पत्नी को लगभग 4 लाख मिलना चाहिए। मगर लगातार दौड़ने के बाद भी सहारा ने ब्याज छोडिए उनका मूलधन भी वापस नहीं किया। अब थक हारकर भगवान के भरोसे बैठ गए हैं।

पत्नी का गहना बेचकर जवाहिर ने किया था डिपॉजिट
देवरिया के घटैला गाजी गांव निवासी जवाहिर विश्वकर्मा ने भी अपना पैसा सहारा में जमा किया था। जवाहिर दिहाड़ी मजदूर हैं। जिस दिन काम मिला उस दिन चूल्हा जला वरना उधारी का ही भरोसा रहता है। लगभग 14 साल पहले मजदूरी करने के दौरान इनकी मुलाकात सहारा के एक एजेंट से हुई। एजेंट के कहने पर जवाहिर ने अपनी पत्नी का गहना बेचकर और कुछ रिश्तेदारों से उधार लेकर एक लाख सहारा कंपनी में डिपाजिट किया था।

पैसा के लिए दौड़ते- दौड़ते बूढ़े हो गए जवाहिर
रकम 5 साल में दोगुना होनी थी। 5 वर्ष बाद एजेंट ने झांसा देकर उस पैसे को फिर 5 साल के लिए डिपॉजिट करा दिया। 3 साल पहले वह रकम भी मैच्योर हो गई। मगर जवाहिर को अब तक उनका पैसा नहीं मिला। अब एजेंट फरार है और जवाहिर ऑफिस का चक्कर काटते-काटते बूढ़े हो गए और अब थक हार कर बैठ गए हैं। इन मामलों को लेकर नवभारत टाइम्स ने सहारा इंडिया फाइनेंस कंपनी देवरिया के रीजनल मैनेजर सुशील कुमार पांडे से बात करने की कोशिश की मगर उनका फोन ऑफ जा रहा था और बात नहीं हो सकी।

निवेशकों को लुभाने के लिए सहारा ने हर गांव में बनाया था नेटवर्क
निवेशकों से पैसा जमा कराने के लिए सहारा इंडिया फाइनेंस कंपनी ने देवरिया जिले के हर गांव में अपना नेटवर्क तैयार किया था। कम समय में रकम दूना करने का लालच देकर कंपनी के अभिकर्ता लोगों से निवेश कराते थे। मैच्योरिटी होने पर निवेशक को पैसा देने की वजाय उस रकम को दोबारा डिपॉजिट करा देते थे। जिले का शायद ही कोई ऐसा गांव होगा जहां सहारा के निवेशक न हों। कंपनी के दिवालिया होने के बाद उपभोक्ताओं के दबाव के चलते जो एजेंट कमजोर थे वह घर छोड़कर फरार हो गए। मगर जो लोग मजबूत हैं वह अब दूसरा धंधा करने लगे हैं।