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Kashi Vishwanath Gyanvapi case: 6 मई को होगी अधिवक्ता कमीशन की वीडियोग्राफी, वादी महिलाएं भी रहेंगी मौजूद

वाराणसी : काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी से जुड़े एक मामले में सिविल जज वाराणसी ने एक अहम नोटिस जारी किया है। नोटिस श्रृंगार गौरी मंदिर और उससे जुड़े विग्रहों के विडियोग्राफी और फोटोग्राफी से जुड़े मामले में दिया है। श्रृंगार गौरी और अन्य विग्रहों की एक अधिवक्ता कमीशन के जरिये विडियोग्राफी अब 6 मई को दोपहर 3 बजे से शुरू होगी।

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बताया गया अगर एक दिन में ये काम पूरा नहीं हुआ तो अगले दिन ये अधिवक्ता कमीशन विडियोग्राफी और फोटोग्राफी के कार्य को जारी रखेंगे। कमीशन को 10 मई को पूरी रिपोर्ट सिविल जज के सामने प्रस्तुत करनी है।

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जिला प्रशासन की आपत्तियों को सिविल जज ने किया दरकिनार
20 अप्रैल को सुनवाई के दौरान जिला प्रशासन ने संवेदनशील मामला बताते हुए इस पर रोक की सिफारिश की थी। जिला प्रशासन ने श्रृंगार गौरी और अन्य विग्रहों के विडियोग्राफी के लिए मस्जिद परिसर के अंदर सिर्फ मुसलमानों और सुरक्षाकर्मियों के रेड जोन में जाने की बात कही थी। याचिकाकर्ता रेखा शर्मा व अन्य की ओर से पैरविकर्ता जितेंद्र सिंह बिसेन ने बताया कि 18 अप्रैल को ही विडियोग्राफी होनी थी लेकिन जिला प्रशासन ने इस पर आपत्ति जताई थी। जिस पर सुनवाई करते हुए सिविल जज ने इन आपत्तियों को खारिज करते हुए सभी प्रतिवादियों और उनके वकीलों को भी विडियोग्राफी के दौरान उपस्थित रहने का आदेश दे दिया है।

अब 6 मई को दोपहर 3 बजे से अधिवक्ता कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा के देख रेख में सुरक्षा के साथ होगी। सिविल जज रवि कुमार दिवाकर ने इस बार के आदेश में स्पष्ट किया है कि जब तक पूरी विडियोग्राफी और कमीशन न हो इस अभियान को चलाया जाएगा। साथ ही कमीशन की रिपोर्ट 10 मई को न्यायालय के सामने पेश करना होगा।

इंतेजामिया कमेटी की याचिका को हाई कोर्ट ने किया था खारिज
श्रृंगार गौरी और अन्य विग्रहों के वीडियोग्राफी के इस प्रक्रिया को रोकने के लिए अंजुमन इंतेजामिया कमेटी मसाजिद ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका डाली थी। जिस पर सुनवाई करते हुए 21 अप्रैल को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया था। जिसके बाद 26 अप्रैल को इस मामले को लेकर वाराणसी के सिविल जज के न्यायालय में फिर से सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद श्रृंगार गौरी और विग्रहों के वीडियोग्राफी का रास्ता साफ हो गया।

पहली बार रेड जोन और मस्जिद क्षेत्र में महिलाएं कर सकती हैं प्रवेश
याचिकाकर्ता की ओर से पैरविकर्ता जितेंद्र सिंह बिसेन ने बताया कि कोर्ट के आदेश के बाद ऐसा पहली बार होगा कि रेड जोन के इलाके में महिलाएं प्रवेश कर सकेंगी। रेखा शर्मा व अन्य 5 महिलाओ ने अगस्त 2021 में श्रृंगार गौरी व अन्य विग्रहों के नियमित दर्शन पूजन को लेकर वाराणसी के सिविल जज कोर्ट में याचिका दी थी जिस पर कोर्ट ने वास्तविक भौतिक वस्तुस्थिति को जानने के लिए विडियोग्राफी और कमीशन कराने का फैसला दिया है।

जितेंद्र सिंह बिसेन ने ये भी बताया कि आदेश दोपहर 2 बजे से ही कमीशन कराने का था लेकिन मुस्लिम पक्ष ने नमाज़ का हवाला दे कर 3 बजे से प्रक्रिया शुरू करने का निवेदन किया जिसके बाद 6 मई दोपहर 3 बजे का समय तय किया गया है।

याचिका कोर्ट से खारिज होने के बाद भी मुस्लिम पक्ष करेगा विरोध
वाराणसी सिविल जज के इस फैसले के खिलाफ ज्ञानवापी मस्जिद की ओर से अंजुमन कमेटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दी थी। और इस कमीशन की कार्रवाई में सुरक्षा कर्मी और गैर मुस्लिम के रेड ज़ोन या मस्ज़िद के अंदर जाने के फैसले को रद्द करने की अपील की थी । जिस पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया गया था।

जिसके बाद 26 अप्रैल को वाराणसी सिविल जज ने वादी और प्रतिवादीयों के सामने कमीशन की कार्यवाही के अपने पुराने आदेश को बहाल कर दिया था। लेकिन अब इस फैसले के खिलाफ अंजुमन इंतजामिया कमेटी खुलकर सामने आ गई है कमिटी के संयुक्त सचिव एस एम यासीन ने तर्क दिया है कि रेड जोन या मस्जिद परिसर के अंदर सुरक्षाकर्मी और मुस्लिमों के अलावा किसी ने आज तक प्रवेश नहीं किया है यहां तक कि मीडिया को भी जाने की इजाजत नहीं है ऐसे में वहां की वीडियोग्राफी कराना गलत है। इस से सुरक्षा को खतरा होगा।