Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

आगरा: कक्षा 12वीं के छात्र का कटा हुआ हाथ जोड़ा, पांच चिकित्सकों की टीम ने 10 घंटे किया ऑपरेशन

Default Featured Image

आगरा में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के वरिष्ठ सदस्यों ने जटिल ऑपरेशन कर कक्षा 12वीं के छात्र का कटा हुआ हाथ जोड़ा है। छात्र का बायां हाथ कटकर अलग हो गया था। 23 अप्रैल को पांच डॉक्टरों ने दस घंटे तक ऑपरेशन किया। अब मरीज की हालत में तेजी से सुधार हो रहा है। हाथ व बांह जीवित हैं और रक्त का संचार सुचारु रूप से हो रहा है।

आईएमए के सचिव डॉ. पंकज नगायच ने बताया कि थाना डौकी के समोगढ़, मुस्तगील निवासी सुरेंद्र यादव के पुत्र रोहित यादव (आयु 17 वर्ष) टेंपो में बैठक विद्यालय पढ़ने जा रहे थे। रोहित ड्राइवर के बगल में बैठा था, टेंपो पलटने से उसका बायां हाथ कोहनी के पास से कटकर बिल्कुल अलग हो गया, उसके पिता तत्काल एसआर हॉस्पिटल लेकर पहुंचे।

10 घंटे तक चला ऑपरेशन

प्लास्टिक सर्जन डॉ. ओमकांत गुप्ता, हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपक गोयल को बुलाया गया। पिता की सहमति के बाद डॉ. ओमकांत गुप्ता, डॉ. अजय सिंहल, डॉ. मनीष शर्मा, हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपक गोयल व एनेस्थीसिया के डॉ. जेके अल्वी की टीम ने 10 घंटे ऑपरेशन कर के हाथ जोड़ने में सफलता पाई।

डॉ. ओमकांत गुप्ता के मुताबिक इस ऑपरेशन में क्षतिग्रस्त मांस, विभिन्न प्रकार की नसों, त्वचा व हड्डी की बहुत बारीकी से सफाई व हटाया जाता है, इसके बाद क्रमश: हड्डी, मांस व खून की नसों और अन्य नसों व त्वचा को जोड़ा जाता है। ऑपरेशन करना तभी संभव है जब मरीज व कटा हुआ हाथ या अन्य हिस्सा 6 घंटे में उचित विशेषज्ञ के पास पहुंच जाए।

कटे हुए हिस्से को कम तापमान करीब चार डिग्री सेल्सियस पर रखा जाए तो 10-12 घंटे तक भी ऑपरेशन कर सकते हैं। जितना जल्द ऑपरेशन हो सके उतना अच्छा है। रोहित यादव को लेकर उनके पिता दुर्घटना के दो घंटे में ही हॉस्पिटल पहुंच गए थे।

इन बातों का ध्यान रखना चाहिए

– दुर्घटना के बाद कटे हुए अंगों को प्लास्टिक की थैली में सील करना चाहिए। आइस बॉक्स में या पानी भरी थैली जिसका तापमान 4 डिग्री सेल्सियस हो जाता है में भी रख सकते हैं। एकदम बर्फ में रखने से मांस जम सकने की वजह वह खराब हो जाता है।
– मरीज का खून बहने से रोकने के लिए जो भी साफ कपड़े उपलब्ध हों उसे सीधे घाव पर रखकर 10 मिनट तक दबाएं रखें फिर पट्टी बांधना चाहिए।
– मरीज में हाथ व बांह जीवित बचने के बाद भी हाथ को काम करने में महीनों व एक-दो साल लग जाते हैं। कुछ और ऑपरेशन की जरूरत पड़ सकती है।