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स्‍टूडेंट से फर्जी रेप केस: 7 साल सलाखों में कैद रहा कैमिस्‍ट्री टीचर, अब बाइज्‍जत बरी…जानिए पूरी कहानी

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लखनऊ: केंद्रीय विद्यालय गोमतीनगर के पूर्व केमिस्ट्री शिक्षक रामचंद्र तिवारी को रेप के आरोपों से बरी कर दिया गया है। मामला इतना भी सरल नहीं है और न ही न्यायपालिका ने एक शिक्षक पर लगे आरोपों के मामले में त्वरित सुनवाई कर कोई फैसला सुनाया है। रेप के आरोपी से दोषमुक्त होने में सात सालों का लंबा वक्त गुजर गया। अब कोर्ट ने तमाम मामलों की जड़ तक पहुंचने के बाद आदेश दिया है तो परिवार खुश है। एक कलंक छंटने की खुशी है। ऐसा अपराध, जो नहीं किया, उसकी सजा से मुक्त होने का गम भी है। लखनऊ की पॉक्सो कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के बाद पीड़िता के आरोपों को सही नहीं पाया है और पूरे मामले से शिक्षक को मुक्त कर जेल से रिहा करने का आदेश दे दिया है।

केमिस्ट्री टीचर जेल से बाहर तो आ जाएंगे, लेकिन इस कलंक का असर उन्हें पूरी जिंदगी अब भुगतना पड़ेगा। छात्रा के शिक्षक पर रेप का आरोप लगाए जाने की पूरी कहानी सामने आने के बाद यह फिल्मी लगती है। छात्रा अपने शिक्षक पर घर बुलाकर पढ़ाने का आरोप लगाती है। फिर नशा मिलाया हुआ पेय पिलाकर रेप का आरोप लगाती है। रेप के महज 25 दिनों में ही गर्भपात कराने के लिए अल्ट्रासाउंड सेंटर ले जाने का भी दावा करती है। इन आरोपों के आधार पर शिक्षक जेल पहुंच जाते हैं और अंत में पूरा मामला फर्जी निकलता है।

बार-बार बयान बदलती रही छात्रा
रेप और अबॉर्शन का आरोप लगाने वाली छात्रा ने पुलिस के सामने और कोर्ट में बार-बार बयान बदला, इसके बाद घटना को लेकर शक गहराता गया। मेडिकल एग्जामिनेशन की रिपोर्ट में भी लड़की के प्रेग्नेंट होने या फिर गर्भपात के कोई लक्षण नहीं दिखे। लड़की ने शिक्षक पर अपने आवास पर बुलाकर बोर्ड परीक्षा का एक्स्ट्रा क्लासेज लेने का आरोप लगाया। लेकिन, जब मामले की जांच शुरू हुई तो पाया गया कि शिक्षक ने अपने घर पर कोई क्लास लिया ही नहीं था। लड़की ने पहले अकेले क्लास लिए जाने की बात कही। बाद में उसने माना कि उसके साथ एक्स्ट्रा क्लास में अन्य छात्र भी आते थे। छात्रा ने शिक्षक पर दबाव बनाने का आरोप लगाया। लेकिन, कोर्ट ने पाया कि शिक्षक जब जेल में थे तो वे किस प्रकार लड़की को नुकसान पहुंचा सकते हैं। साथ ही, छात्रा ने अल्ट्रासाउंड कराने के लिए डायग्नोस्टिक सेंटर ले जाने का दावा किया, लेकन उसका नाम वह नहीं बता पाई।

पॉक्सो कोर्ट ने मामले को बताया फर्जी
केवी गोमतीनगर में केमिस्ट्री शिक्षक रामचंद्र तिवारी पर लगे रेप के आरोपों को पॉक्सो कोर्ट ने इस मामले को गलत पाया है। इसके बाद उन्हें तमाम आरोपों से बरी कर दिया गया। कोर्ट ने शिक्षक की रिहाई का आदेश जारी किया है। अब इस मामले की चर्चा हो रही है। मामला लखनऊ के केंद्रीय विद्यालय गोमतीनगर का है। अब इस स्कूल में सेवारत रहे शिक्षक को उनपर लगे तमाम आरोपों से मुक्त कर दिया गया है। केवी गोमतीनगर में केमिस्ट्री टीचर रामचंद्र तिवारी पर 12वीं कक्षा की छात्रा ने यौन उत्पीड़न और गर्भपात कराने का आरोप लगाया था। लड़की के परिवार की ओर से शिकायत दर्ज कराई गई। आरोपों के तहत, दिसंबर 2014 में केमिस्ट्री टीचर ने कथित तौर पर लड़की के साथ रेप किया था।

लड़की जब बोर्ड परीक्षा से पहले एक्स्ट्रा क्लासेज के लिए स्कूल परिसर स्थित शिक्षक के आधिकारिक आवास गई तो इस घटना को अंजाम दिया गया। आरोप में कहा गया कि शिक्षक ने उसे एक नशीला पेय दिया। लड़की के बेहोश होने के बाद उसके साथ रेप किया। परिजनों का आरोप था कि किसी को बताने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी देकर लड़की के साथ हमेशा शोषण किया गया। परिजनों की शिकायत पर फरवरी 2015 में केस दर्ज किया गया। इसके बाद टीचर को बर्खास्त कर दिया गया।

शिक्षक पर लगाया गर्भपात कराने के दबाव का आरोप
लड़की के माता-पिता ने दावा किया था कि उनकी बेटी को जनवरी 2015 में गर्भपात कराने के लिए मजबूर किया गया। इसके बाद उसने सबकुछ बताया। माता-पिता ने यह भी आरोप लगाया कि केवी शिक्षक की पत्नी अनीता तिवारी, डॉ. विजय श्री और डॉ. आशका सिद्दीकी ने उसका गर्भपात कराया और शिक्षक के अपराध को छिपाने में मदद की। सभी आरोपियों को फरवरी 2015 में बलात्कार, आपराधिक धमकी और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। केमिस्ट्री टीचर के वकील नितिन खन्ना ने कहा कि अनीता, डॉ विजय श्री और डॉ सिद्दीकी को छह महीने बाद जमानत मिल गई, लेकिन वे जेल में ही रहे।

मेडिकल बोर्ड ने कई चीजें की साफ
अदालत ने देखा कि सीएमओ की ओर से गठित मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट में कहा गया है कि क्लिनिकल एग्जामिनेशन और अल्ट्रासाउंड में गर्भावस्था या गर्भपात का कोई सबूत नहीं दिखाया। जिरह के दौरान लड़की और उसके माता-पिता के बयान भी विरोधाभासी थे। लड़की ने पहले कहा कि वह आरोपी के घर पर अकेली पढ़ती थी, लेकिन बाद में कहा कि उसके साथ कुछ और छात्र भी पढ़ते थे। उसने इस तथ्य को छुपाया कि उन्हें किसी प्रकार का खतरा हो सकता है। वह उस डायग्नोस्टिक सेंटर का नाम भी नहीं बता पाई, जहां उसे 9 जनवरी 2015 को अल्ट्रासाउंड के लिए ले जाया गया था। 15 दिसंबर 2014 को रेप की घटना के महज 25 दिनों के भीतर गर्भपात और अल्ट्रासाउंड कराने को भी मेडिकली सही नहीं पाया गया। कोर्ट ने तमाम पहलुओं को ध्यान में रखते हुए शिक्षक को आरोपमुक्त कर दिया है।