Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

आयकर छापों के 48 घण्टे बाद भी खुलासा नहीं, खड़े हुए कई प्रश्न

Default Featured Image

कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक छापो में कुछ नहीं मिला है पर आयकर अधिकारिओ और मीडिया मैं छपी रिपोर्ट कुछ अलग बयां कर रही है। वास्तिविकता क्या है यह समझ से परे है।
छत्तीसगढ़ में पिछले दो दिनों से आयकर विभाग के छापों ने और उस पर बढ़ा-चढ़ाकर प्रसारित खबरों ने सुर्खियां तो खूब बटोरी पर छापों के 48 घण्टे बाद भी आयकर विभाग द्वारा किसी भी प्रकार के खुलासे या प्रेस ब्रीफिंग नही करने से लोगों के मन में कई तरह के प्रश्न खड़े कर दिए है।
आयकर विभाग के छापों पर कई मीडिया हाउस ने बढ़चढ़कर दिलचस्पी दिखाई। जिन लोगों के यहां छापे नहीं भी पड़े उनके नाम भी लेकर प्रमुखता से गलत खबरों को जनता के सामने सनसनी बनाकर पेश किया गया। इस पूरे घटनाक्रम में एक बार फिर पूरे देश में छत्तीसगढ़ के कई मीडिया हाउस का पुराने लोगों के साथ प्रेम नजर आया है और अफवाहों के बाजार को गरम करने में और बढ़चढ़कर गलत खबरों को प्रसारित करने में अहम भूमिका नजर आयी।
यदि हम बात करें आयकर विभाग के छापों कि तो यह यदि सामान्य प्रक्रिया के तहत होते तो छापे के 48 घण्टे बाद जब प्रक्रिया पूरी तरह पूर्ण होने को है, तब भी किसी तरह का खुलासा न किया जाना, न ही प्रेस को किसी तरह की जानकारी देना अपने आप में कई सवालों को जन्म दे रहा है। जबकि विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि छापों में इन घरों से कुछ हजार रूपयों के अलावा कुछ भी बड़ा हाथ नही लगा है। इससे आयकर विभाग के अधिकारी भी सकते में हैं जिसके कारण वो सामने आकर कुछ बोल भी नही पा रहे हैं।
इन छापों में न तो सीबीआई आयी और न ही ईडी और न ही नोटो को गिनने की मशीनें लगायी गई। इन सबको लेकर स्थानीय स्तर पर जबदस्त दहशस्त फैलायी गई। इस छापे की कार्रवाई में सीआरपीएफ के इस्तेमाल को लेकर भी सवाल उठ रहे है कि जिस सीआरपीएफ को प्रदेश में नक्सल आॅपरेशन के लिए रखा गया है उसे राज्य सरकार की अनुमति के बिना कैसे इस अभियान में शामिल किया गया।
यहां यह भी विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि इस पूरे वाकये में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और मंत्रिमण्डल के कड़े तेवर को देखकर आयकर अधिकारी रातों रात निकल लिए, नही तो 30 से 40 वरिष्ठ अधिकारियों और व्यवसायियों के यहां और छापे की तैयारी आयकर विभाग ने कर रखी थी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार ने जिस तरह से पिछले करीब डेढ़ साल के कार्यकाल में उल्लेखनीय काम किए और लगातार केन्द्र की नीतियों की आलोचना करते रहे है, जिसे देखते हुए भी उनकी सरकार को अस्थिर करने की यह साजिश तो नहीं है। इन सब बातों को लेकर लोगों के मन में कई तरह के प्रश्न हैं, जिनका खुलासा जल्द जनता के सामने होना चाहिए।

You may have missed