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मातृ दिवस 2022: एक मां ऐसी भी, बेटे की मौत के बाद विधवा बहू को बेटी बनाकर किया कन्यादान

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सार
बच्चों के लिए हर मां अपना सबकुछ न्योछावर करने के लिए हमेशा तैयार रहती है। वहीं कुछ मां ऐसी भी हैं, जिन्होंने पुराने रीति रिवाजों को तोड़कर ऐसे काम किए़, जो एक उदाहरण बन गए।

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उत्तर प्रदेश में आगरा जिले के करीब 90 किमी दूर बाह के गांव पुरा वीरबल में एक ऐसी मां है, जिनके त्याग और ममता की कहानी सभी की जुबान पर रहती है। इस मां ने बेटे की मौत के बाद बेरंग हुए बहू के जीवन में खुद ही खुशियों को रंग भर दिए। विधवा होने का दंश झेलने वाली बहू को बेटी बनाकर कन्यादान किया, तो हर कोई हैरान रह गया। कहने वाले क्या कहेंगे, इस फिक्र को छोड़कर बहू के लिए एक मां का फर्ज निभाया।

पांच साल पहले हुई थी बेटे की मौत 

बाह के पुरा वीरबल गांव की 70 वर्षीय गंगाश्री के बेटे की मौत पांच साल पहले हुई थी। जिसके बाद गंगाश्री ने पीड़ा के पहाड़ को भुलाकर बहू को बेटी बना लिया। कन्यादान कर मां का फर्ज निभाया। हर तीज-त्योहार पर वह यह फर्ज अभी भी निभा रही हैं। बताया गया है कि गंगाश्री के बेटे सोनू की शादी वर्ष 2017 में हुई थी। शादी के तीन साल बाद ही बेटे का निधन हो गया। गोद में दो साल के बेटे के साथ बहू नीलम का दर्द उनसे देखा नहीं गया। 

बहू का किया कन्यादान 

बेटे की मौत के गम को भुलाकर बहू को संभाला। उसको बेटी मानते हुए वर की तलाश की। कोल्हूपुरा गांव का उनका भांजा मुकेश नीलम का हाथ थामने को तैयार हो गया। गंगाश्री ने मां की भूमिका निभाई और कन्यादान किया। नाती को गंगाश्री ने अपने पास रखा है। बोलीं कि विधवा होने का दंश खुद झेला है, इसलिए बहू को बेटी बनाकर उसकी शादी करा दी। नीलम के साथ आज भी सास-बहू नहीं, मां-बेटी जैसा रिश्ता कायम है। नीलम कहती है कि गंगाश्री उनके लिए मां हैं और हमेशा उनसे मां की तरह स्नेह मिला है।                                  

मदर्स डे के उपलक्ष्य में स्कूलों में आयोजन

मदर्स डे के उपलक्ष्य में शनिवार को शहर के स्कूलों में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। विद्यार्थियों ने अपनी मां के लिए कार्ड बनाए, उनके लिए स्लोगन लिखे। नृत्य, गीत, कविता, भाषण आदि माध्यमों से भी अपनी भावनाएं व्यक्त कीं।
1- कर्नल्स ब्राइटलैंड पब्लिक स्कूल में विद्यार्थियों ने मां के लिए सुंदर कार्ड बनाए और उन्हें भेंट किए। पोस्टर के माध्यम से भी मां के प्रति भावनाएं व्यक्त कीं। प्रधानाचार्या रूबीना खानम ने प्रेरक प्रसंग सुनाए।
2- सिंपकिंस स्कूल में कक्षा नर्सरी से आठवीं तक विद्यार्थियों ने रंगोली, नृत्य, सलाद मेकिंग, मेहंदी और फैंसी ड्रेस गतिविधियों में अपनी माताओं के साथ हिस्सा लिया। कक्षा एक से आठ तक के विद्यार्थियों ने कार्ड और कोलॉज बनाने के साथ, मां को धन्यवाद पत्र लिखने, मां के लिए हाथ से बना उपहार भेंट करने व अन्य गतिविधियों में हिस्सा लिया। 
3- होली पब्लिक किड्स स्कूल, आलमगंज, लोहामंडी में कक्षा प्ले ग्रुप और नर्सरी के विद्यार्थियों और उनकी माताओं ने मदर्स डे के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। बैलून बस्टिंग, पेपर डांस, कुकिंग विदाउट फायर, बेस्ट आउट ऑफ बेस्ट गतिविधियों में हिस्सा लिया। प्रियांशी गर्ग को बेस्ट मदर का पुरस्कार दिया गया। संचालन शिखा भारद्वाज ने किया। स्कूल के चेयरमैन संजय तोमर, प्रधानाचार्या नम्रता अग्रवाल की उपस्थिति रही।
4- बोस्टन पब्लिक स्कूल, पश्चिमपुरी में आयोजित कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने रंगारंग प्रस्तुति दी। प्रबंध निदेशक पृथ्वीराज सिंह चाहर और प्रधानाचार्या राजरानी सिंह ने विद्यार्थियों को बड़ों का सम्मान करने के लिए प्रेरित किया। 
5- जीडी गोयनका स्कूल, जूनियर विंग, कमला नगर में विद्यार्थियों ने सुंदर कार्ड बनाकर अपनी माताओं को भेंट किया। विद्यार्थियों और उनकी माताओं ने बॉटल डेकोरेशन, बेस्ट आउट ऑफ बेस्ट, हेल्दी टिफिन गतिविधियों के साथ खेलकूद प्रतियोगिताओं में भी हिस्सा लिया। 

विस्तार

उत्तर प्रदेश में आगरा जिले के करीब 90 किमी दूर बाह के गांव पुरा वीरबल में एक ऐसी मां है, जिनके त्याग और ममता की कहानी सभी की जुबान पर रहती है। इस मां ने बेटे की मौत के बाद बेरंग हुए बहू के जीवन में खुद ही खुशियों को रंग भर दिए। विधवा होने का दंश झेलने वाली बहू को बेटी बनाकर कन्यादान किया, तो हर कोई हैरान रह गया। कहने वाले क्या कहेंगे, इस फिक्र को छोड़कर बहू के लिए एक मां का फर्ज निभाया।

पांच साल पहले हुई थी बेटे की मौत 

बाह के पुरा वीरबल गांव की 70 वर्षीय गंगाश्री के बेटे की मौत पांच साल पहले हुई थी। जिसके बाद गंगाश्री ने पीड़ा के पहाड़ को भुलाकर बहू को बेटी बना लिया। कन्यादान कर मां का फर्ज निभाया। हर तीज-त्योहार पर वह यह फर्ज अभी भी निभा रही हैं। बताया गया है कि गंगाश्री के बेटे सोनू की शादी वर्ष 2017 में हुई थी। शादी के तीन साल बाद ही बेटे का निधन हो गया। गोद में दो साल के बेटे के साथ बहू नीलम का दर्द उनसे देखा नहीं गया। 

बहू का किया कन्यादान 

बेटे की मौत के गम को भुलाकर बहू को संभाला। उसको बेटी मानते हुए वर की तलाश की। कोल्हूपुरा गांव का उनका भांजा मुकेश नीलम का हाथ थामने को तैयार हो गया। गंगाश्री ने मां की भूमिका निभाई और कन्यादान किया। नाती को गंगाश्री ने अपने पास रखा है। बोलीं कि विधवा होने का दंश खुद झेला है, इसलिए बहू को बेटी बनाकर उसकी शादी करा दी। नीलम के साथ आज भी सास-बहू नहीं, मां-बेटी जैसा रिश्ता कायम है। नीलम कहती है कि गंगाश्री उनके लिए मां हैं और हमेशा उनसे मां की तरह स्नेह मिला है।