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Editorial :- माओ की हथेली और कांग्रेस के पंजे में क्या अंतर है?

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2 March 2020

देशद्रोह किस चिडिय़ा का नाम है? पूछेगी कांग्रेस

भारत कभी सोने की चिडिय़ा नहीं रहा : पी चिदंबरम

मुस्लिम लीग के सहयोग से राहुल गांधी केरल से सांसद बनने के बाद और बंगाल तथा अन्य जगह पर लेफ्ट से हाथ मिलाने के कारण कांग्रेस का पंजा लाल हो चुका है।

माओ ने हथेली की छवि का उपयोग किया:तिब्बत ५ पांच उंगलियां भूटान सिक्किम हृश्वस्न्र लद्दाख नेपाल।

कांगे्रस की १९६२ के बाद अब जो गतिविधियां चल रही हैं उससे जनता के मन में सहज ही यह प्रश्र उठता है कि क्या कांग्रेस के लाल पंजे और माओ ने जो हथेली की छवि का उपयोग कर भूटान  सिक्किम हृश्वस्न्र लद्दाख नेपाल को हथियाने का लक्ष्य रखा था उसमें कुछ अंतर है? क्या कांगे्रस माओत्से तुंग के लक्ष्य को साकार करने में सहयोग प्रदान कर रही है?

>> मानसरोवर यात्रा के समय चीन के राजदूत से गुपचुप मिलना और डोकलाम विवाद के समय भी चीनी राजदूत से दो-दो बार गुप्त मुलाकात करना और अभी कांगे्रस जिस प्रकार से लेफ्ट के साथ गलभिया मिलाकर पूछ रही है कि देशद्रोह किस चिडिय़ा का नाम है?

>>  इसी प्रकार से पी चिदंबरम ने भी लखनऊ मेें अपने दिये भाषण में ये आव्हान किया था कि भारत कभी सोने की चिडिय़ा नहीं रहा और भारत के गौरवशाली यदि कोई इतिहास की किताबे हैं तो उसे जला देना चाहिये।

>> कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में लोकसभा चुनाव के समय यह लिखा था कि वह सत्ता में आई तो देशद्रोह की धारा को समाप्त कर देगी।

कांग्रेस के अनुसार देशद्रोह कुछ भी नहीं है चाहे जो भी हरकत जो भी कृत्य या नारे हम देश के खिलाफ लगाये वह सेक्युलरिज्म और संविधान के अंतरगत है।

इसीलिये वह लेफ्ट पार्टी के साथ मिलकर कन्हैय्या कुमार उमर खालिद आदि पर जो देशद्रोह का मुकदमा चल रहा है उसका विरोध कर रही है।

>> कांगे्रस की इसी पॉलिसी से उत्साहित होकर   अभी केरल में वामपंथी छात्र संगठन एसएफआई ने  देशविरोधी पोस्टर लगाये हैं।

>> कांग्रेस और लेफ्ट के इन्हीं विचारों से उत्साहित होकर ओवैसी के मंच से अमूल्या ने पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाये।

अमूल्या की सभी में ही उपस्थित अरुद्र नारायण ने भी मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया में प्रदर्शन के दौरान जिस प्रकार से फ्री कश्मीर की तख्ती लहराई गई थी उसी प्रकार से फ्री कश्मीर और पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाये थे.., 

>>  चालाकी तो देखिये आजादी चाहने वालों की । पाकिस्तान जिंदाबाद के बाद हिन्दुस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने लग जाते हैं और इसी प्रकार फ्री कश्मीर, कश्मीर की आजादी के नारे लगाने के तुरंत बाद सफाई देने लगते हैं कि हमने तो आजादी चाहिये अपने मन का खाने की, बोलने की, पहनने की… आदि।

उनके अनुसार ये सब आजादी संविधान के अंतर्गत हैं।

उनका तर्क है कि जब तक इस प्रकार की हरकतों से हिंसा न हों तब तक वह संविधान के अंतर्गत है।  इसका हवाला वे ४०-५० साल पहले के सुप्रीम कोर्ट के एक केस का देते हैं।

>> इसी को आधार बनाकर कांग्रेस, आप पार्टी और लेफ्ट आदि ने पीएफआई तथा आईएसआई के स्लीपर सेल की मदद से १५ दिसंबर से  शुरू शाहीनबाग को शांतिप्रिय प्रदर्शन का प्रतीक बताया गया। वहॉ किस ्रप्रकार से शरजिल इमाम ने आव्हान किया और  थरूर की उपस्थिति में जिन्ना वाली आजादी के नारे लगे तथा गांधी परिवार के भक्त मणिशंकर अय्यर ने   बिना नाम लिये पीएम मोदी को कातिल तक कहा था।

इसी शाहीनबाग से नेहरू को प्रतीक मानकर शांति के कबूतर उड़ाये गये वे जेएनयू, जामिया में पहुचे और हिंसक प्रदर्शन हुए।

इसी सिलसिले में उत्तर प्रदेश विशेषकर अलीगढ़ में भी हिंसक प्रदर्शन हुए। ये सब कृत्य इन्हीं शांति के प्रतीक कबूतरों के थे।

>> हिंसक प्रदर्शनों को रोकने में पुलिस जब प्रयास कर रही थी तो उन्हें बदनाम करने का सुनियोजित प्रयास राहुल गांधी, प्रियंका वाड्रा तथा अन्य इसी प्रकार के विपक्षी नेताओं ने सुनियोजित ढ़ंग से  उसी प्रकार से किया जिस प्रकार से सेना को बदनाम करने का प्रयास गुलामनबी आजाद हो या संदीप दीक्षित ने किया। पूर्व आर्मी चीफ को सड़क का गुंडा तक कहा। अधीररंजन चौधरी ने वर्तमान में किस प्रकार से आर्मी चीफ के लिये अपशब्दों का प्रयोग किया यह हम सब जानते हैं।

>> यह सब संविधान के अंतर्गत हुआ है उक्त लोकतांत्रित लबादा ओड़े नेताओं और उनकी पार्टियों का कहना है।

दिल्ली में दंगे की भूमिका १५ दिसंबर से ही रची जाती रही है। किस प्रकार से देशी पिस्तौल असमाजिक तत्वों के हाथों में आई यह सब तथ्य सामने आयेगा। इससे भी अधिक खतरनाक हथियार का उपयोग दंगों में हुआ है वह बाहुबली की फिल्म वाली गुलेल है।

कांग्रेस तथा अन्य उक्त सभी पार्टियों ने नेताओं ने अपने कृत्यों से जो हिंसा का वातावरण पैदा किया और असमाजिक तत्वों को उपद्रव करवाने का हौसला दिया उसी का नतीजा शाहीनबाग के बाद जाफराबाद में महिलाओं का इक_ा होना शुरू हुआ। सड़के जाम हुई ।

इसी प्रकार से पूरे हिन्दुस्तान में सड़के जाम करने का षडयंत्र था चिकनगलियारे को काटकर गृहयुद्ध की स्थिति उत्पन्न करने का।

अब यह वहॉ की जनता जो तकलीफें सह रही थी वह कैसे बर्दाश्त करती? कपिल मिश्रा ने पुलिस को आव्हान किया वह ३ दिन में रास्ते को साफ करवाये।

उनके इस कथन को आधार बनाकर कांग्रेस तथा अन्य ऊपर लिखे नेता तथा पार्टियां अपना खूनी पंजा  कपिल मिश्रा के पीछे छिपाना चाहती हैं।

अब कांग्रेस दोषी है या और कोई यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा। परंतु हम जैसे सभी भारत वासियों की यही अपील है कि किसी भी हालत में शांति और सौहाद्र का वातावरण बना रहे।

इसी लक्ष्य को सामने रखकर रामदेव बाबा आज इंडिया टीवी में दिखे। और आज ही श्री-श्री रविशंकर जी भी दंगग्रस्त इलाकोंं में जाकर वहॉ के लोगों से मिले।