वाराणसी: मां श्रृंदगार गौरी-ज्ञानवापी सर्वे (Gyanvapi Survey) से एडवोकेट कमिश्नर अजय मिश्रा (Advocate Commissioner Ajay Mishra Removed) को हटा दिया है। इस पद से हटने के बाद अजय मिश्रा ने 18 मई को सर्वे से संबंधित अपने दो पन्नों की रिपोर्ट सिविल जज सीनियर डिवीजन जज रवि कुमार दिवाकर को सौंप दी है। आपको बता दें कि कमिश्नर मिश्रा की अगुवाई में 6 और 7 मई को कमीशन की कार्यवाही हुई थी। इसके बाद 14 से 16 मई तक तीन एडवोकेट कमिश्नर की मौजूदगी में ज्ञानवापी परिसर का सर्वे हुआ था।
एडवोकेट कमिश्नर ने रिपोर्ट में क्या बताया
कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा ने बताया कि वीडियोग्राफी से संबंधित चिप को राजकीय कोषागार के लॉकर में सुरक्षित रख दिया गया है। सूत्रों की मानें तो एडवोकेट मिश्रा ने अपनी रिपोर्ट में खंडित देव आग्रह, मंदिर का मलबा, हिंदू देवी-देवताओं और कमल की आकृति और शिल्पापट्ट का जिक्र किया है।
दूसरे दिन के सर्वे में डीएम और पुलिस कमिश्नर ने नहीं किया सहयोग- अजय मिश्रा
एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार ने अपनी रिपोर्ट में दूसरे दिन के सर्वे का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि दूसरे दिन के सर्वे में प्रदेश की सरकार, डीएम, पुलिस कमिश्नर ने सहयोग नहीं किया। रिपोर्ट में बताया गया कि अदालत के आदेशानुसार सभी पक्षकारों के साथ 6 मई की दोपहर 3:30 बजे कमीशन शुरु किया गया था। पहले दिन कार्यवाही ज्ञानवापी बैरिकेडिंग के बाहर से शुरु की गई थी और यह शाम 5:45 तक चली थी। 7 मई के दोपहर 3 बजे कमीशन की कार्यवाही में मुस्लिम पक्ष यानि अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी मौजूद नहीं था।
एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा ने आगे कहा कि विवादित स्थल में मुस्लिम समुदाय के 100 लोग के एकसाथ खड़े थे। पुलिस और प्रशासन ने इस कारण असमर्थता जताई। कमीशन की कार्यवाही भी इसके चलते पूरी नहीं हो सकी। मिश्रा ने अपनी रिपोर्ट में आगे बताया कि बैरिकेडिंग कें अंदर प्रवेश पर प्रतिबंध के चलते और कोर्ट का स्पष्ट आदेश न होने के कारण शासन और प्रशासन ने 4:50 बजे कमीशन की कार्रवाई बंद कर दी।
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