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392 स्तंभों पर खड़ा होगा राम मंदिर, 1 जून को CM योगी आदित्यनाथ रखेंगे गर्भगृह की आधारशिला

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अयोध्या: श्रीराम जन्मभूमि के गर्भगृह की आधार शिला रखने के कार्यक्रम तैयारी जोरों पर है। मंदिर ट्रस्ट हर हाल में 29 मई तक इसकी तैयारी पूरी करने की कोशिश में लगा है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य डॉक्टर अनिल मिश्र के मुताबिक जब सीएम योगी आदित्यनाथ मुख्य मंदिर के 403 वर्गफुट क्षेत्र के गर्भगृह की आधार शिला रखेंगे, तब मौके पर वरिष्ठ संत धर्माचार्यों के साथ ही मंदिर आंदोलन से जुड़े हिंदू संगठनों के पदाधिकारी, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य, पदाधिकारी मौजूद रहेंगे।

इस समय मंदिर ट्रस्ट, गर्भगृह के निर्माण के अवसर पर आयोजित वैदिक पूजन कार्यक्रम को स्मरणीय बनाने की तैयारी में जुटा है। इसके साथ ही मंदिर निर्माण का कार्य भी तीव्रता के साथ दिन रात चल रहा है। मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय ने बताया कि मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र से निर्माण कार्यों के प्रत्येक पहलुओं पर वार्ता कर कार्यदाई संस्था को आवश्यक दिशा निर्देश दिए जा रहें हैं।

गर्भगृह की डिजाइन में परिवर्तन नहीं- मंदिर ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल का कहना है कि मंदिर के गर्भगृह के नक्शे और डिजाइन के कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। यह पहले से तराशे गए पत्थरों से बनेगा। हर हाल में गर्भगृह का निर्माण कार्य दिसंबर 2023तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। यह संभव है कि वैदिक आचार्यों की सलाह पर रामलला को उसी के बाद पड़ने वाली शुभ तिथि पर स्थापित कर दर्शन शुरू किया जाए।

प्लिंथ का कार्य पूरा- बताया गया कि जिस स्थल गर्भ गृह का निर्माण शुरू होना है। उस क्षेत्र में प्लिंथ का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। अब बुधवार, 1 जून को कुशल शिल्पकारों ने जिन पत्थरों को सितंबर 1990 में तराश कर तैयार किया था। उन्हें में से ही गर्भगृह की प्रथम शिला को प्लिंथ के फर्श पर रखा जाएगा। यह कार्यक्रम शुभ मुहूर्त में वैदिक पूजन के साथ संपन्न होगा। उन्होंने बताया कि मंदिर का निर्माण पीएम मोदी द्वारा 5 अगस्त, 2020 को इसके भूमिपूजन के साथ शुरू हुआ था।

पहले एल एंड टी ने मंदिर की नींव के लिए एक डिजाइन का प्रारूप बनाया था। वह टेस्ट में फेल हो गया तो आईआईटी के पूर्व निदेशक की अध्यक्षता में विशेषज्ञ तकनीकी समिति गठित कर नए सिरे से मंदिर की नींव की तकनीक पर अध्ययन किया गया, जिसकी रिपोर्ट के आधार पर मंदिर निर्माण की प्राचीन तकनीक को आधुनिक तकनीक से जोड़ कर मंदिर की नींव का निर्माण शुरू हुआ। चंपतराय ने बताया की मंदिर को हजार साल की मजबूती को आधार बनाकर निर्माण कार्य चल रहा है।

उत्खनन- उन्होंने बताया कि मंदिर स्थल और उसके आसपास लगभग छह एकड़ भूमि से 1.85 लाख घन मीटर मलबा हटाया गया। इस काम में करीब 3 महीने लगे। गर्भगृह में 14 मीटर की गहराई और उसके चारों ओर 12 मीटर की गहराई वाला मलबा और बालू हटाई गई तो एक बड़ा गहरा गड्ढा बन गया, जिसमें रोलर कॉम्पैक्ट कंक्रीट (आरसीसी) का उपयोग कर आरसीसी कंक्रीट का प्लेटफार्म निर्माण किया गया।

12 इंच की एक परत को 10 टन भारी क्षमता वाले रोलर से 10 इंच तक दबा कर 48 लेयर में नींव खड़ी की गई। अक्टूबर 2021 से- जनवरी 2022 के बीच भूमिगत RCC की ऊपरी सतह पर, अधिक उच्च भार वहन क्षमता की एक और 1.5 मीटर मोटी डाली गई, जो बैचिंग प्लांट बूम प्लेसर मशीन और मिक्सर की मदद से सेल्फ-कॉम्पैक्टेड कंक्रीट राफ्ट के 9 मी गुणे 9 मी के आकार के खंडों में डाला गया।

प्लिंथ कार्य- मंदिर के फर्श को ऊंचा करने का कार्य 24 जनवरी 22 को शुरू हुआ और यह अभी भी प्रगति पर है। प्लिंथ को RAFT की ऊपरी सतह के ऊपर 6.5 मीटर की ऊंचाई तक उठाया जाएगा। प्लिंथ को ऊंचा करने के लिए कर्नाटक और तेलंगाना के ग्रेनाइट पत्थर के ब्लॉक का इस्तेमाल किया जा रहा है। एक ब्लॉक की लंबाई 5 फीट, चौड़ाई 2.5 फीट और ऊंचाई 3 फीट है। इस कार्य में लगभग 17,000 ग्रेनाइट ब्लॉकों का उपयोग किया जा रहा है।

राय के मुताबिक राजस्थान के भरतपुर जिले में बंसी-पहाड़पुर क्षेत्र की पहाड़ियों से गुलाबी बलुआ पत्थरों का उपयोग मुख्य मंदिर के मंदिर के निर्माण में किया जाएगा। मंदिर में करीब 4.70 लाख क्यूबिक फीट नक्काशीदार पत्थरों का इस्तेमाल किया जाएगा। राजस्थान से अयोध्या नक्काशी के पत्थर आने लगे हैं।

परकोटा-(बाहरी परिक्रमा मार्ग)- मंदिर निर्माण क्षेत्र और उसके प्रांगण के क्षेत्र सहित कुल 8 एकड़ भूमि को घेरते हुए एक आयताकार दो मंजिला परिक्रमा मार्ग परकोटा बनेगा। इसे भी बलुआ पत्थर से बनाया जाएगा। यह परकोटा भीतरी भूतल से 18 फीट ऊंचा है। चौड़ाई में 14 फीट होगा। इस परकोटा में भी 8 से 9 लाख घन फीट पत्थर का उपयोग होगा।

राम मंदिर परियोजना में – परकोटा (नक्काशीदार बलुआ पत्थर) के लिए उपयोग किए जाने वाले पत्थरों की मात्रा लगभग 8 से 9 लाख क्यूबिक फीट है, 6.37 लाख घन फीट बिना नक्काशी वाला ग्रेनाइट प्लिंथ के लिए, लगभग 4.70 लाख क्यूबिक फीट नक्काशीदार गुलाबी बलुआ पत्थर मंदिर के लिए, 13,300 घन फीट मकराना सफेद नक्काशीदार संगमरमर गर्भगृह निर्माण के लिए और 95,300 वर्ग फुट फर्श और क्लैडिंग के लिए प्रयोग किया जाएगा।

रिटेनिंग वॉल- मंदिर के चारों ओर मिट्टी के कटान को रोकने और भविष्य में संभावित सरयू बाढ़ से बचाने के लिए दक्षिण, पश्चिम और उत्तर में रिटेनिंग वॉल का निर्माण भी चल रहा है। सबसे निचले तल पर इस वॉल की चौड़ाई 12 मीटर है और नीचे से इस वॉल की कुल ऊंचाई लगभग 14 मीटर होगी। तीर्थ यात्रियों के लिए सुविधा केंद्र-बताया गया कि प्रथम चरण में एक तीर्थ सुविधा केंद्र लगभग 25,000 तीर्थयात्रियों को आवश्यक सुविधाएं प्रदान करेगा। इसे पूर्व की दिशा में मंदिर पहुंच मार्ग के निकट बनाया जाएगा।

यह मंदिर भी बनेंगे परिसर में- भगवान वाल्मीकि, केवट, माता शबरी, जटायु, माता सीता, विघ्नेश्वर (गणेश) और शेषावतार (लक्ष्मण) के मंदिरों के निर्माण भी योजना में हैं । इनका निर्माण 70 एकड़ क्षेत्र के भीतर परन्तु परकोटा के बाहर मंदिर के आसपास के क्षेत्र में किया जाएगा।

मंदिर के आयाम:
(i) भूतल पर पूर्व-पश्चिम दिशा में लंबाई – 380 फीट।
(ii) भूतल पर उत्तर-दक्षिण दिशा में चौड़ाई – 250 फीट।
(iii) गर्भगृह पर जमीन से शिखर की ऊंचाई – 161 फीट
(iv) बलुआ पत्थर के स्तंभ- भूतल-166; प्रथम तल -144; दूसरा तल – 82 (कुल-392)