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आत्मनिर्भरता की ओर भारत के बढ़ते कदम

            प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सपना भारत और उसके नागरिकों को आत्मनिर्भर बनाना है। आठ साल पहले 2014 में आज के ही दिन प्रधानमंत्री मोदी ने केंद्र की सत्ता संभाली थी। इसके साथ ही उन्होंने आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने का प्रयास शुरू कर दिया था, लेकिन 2020 में कोरोना महामारी और उसके बाद रूस-यूक्रेन युद्ध ने इस दिशा में पूरी प्रतिबद्धता और तेजी के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। मोदी सरकार अब देश की विकास यात्रा को एक नई गति देकर आत्मनिर्भर नये भारत के निर्माण के लिए लगातार बड़े-बड़े फैसले कर रही हैं। ऐसी नीतियों को बनाने और उन्हें लागू करने पर जोर दे रही, जिनसे जनता और देश हर परिस्थिति में अपने हितों की पूर्ति कर सके। हर गांव और शहर अपने दम पर खड़ा हो और देश अपनी रक्षा करने में खुद सक्षम हो।

प्रधानमंत्री मोदी ने भरोसा जताया कि आज हमारे पास साधन है, हमारे पास सामर्थ्य है, हमारे पास दुनिया का सबसे बेहतरीन टैलेंट है, हम बेस्ट प्रोडक्ट बनाएंगे, अपनी क्वालिटी और बेहतर करेंगे, सप्लाई चेन को और आधुनिक बनाएंगे, ये हम कर सकते हैं और हम जरूर करेंगे। उन्होंने कहा है कि भविष्य का हमारा रास्ता और मंज़िल दोनों स्पष्ट है- आत्मनिर्भर भारत रास्ता भी है और संकल्प भी। प्रधानमंत्री मोदी के अत्मनिर्भर भारत की संकल्पना वसुधैव कुटुंबकम पर आधारित है। उनके मुताबिक भारत जब आत्मनिर्भरता की बात करता है, तो आत्मकेंद्रित व्यवस्था की वकालत नहीं करता। भारत की आत्मनिर्भरता में संसार के सुख, सहयोग और शांति की चिंता भी निहित है। 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आर्थिक क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए स्थानीय उत्पादों के इस्तेमाल के साथ ही उन्हें अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने पर जोर भी दिया। इसके लिए उन्होंने ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘लोकल फॉर ग्लोबल’ का मंत्र दिया। उन्होंने स्वदेशी उत्पाद खरीदने के साथ ही उनका गर्व से प्रचार करने की भी अपील की। उन्होंने हर वो चीज, जिसे आयात करने के लिए देश मजबूर है, वो भारत में ही कैसे बने और भविष्य में भारत उसका निर्यातक कैसे बने, इस दिशा में तेजी से काम करने पर बल दिया।प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत के विजन को साकार करने के लिए 2022-23 के बजट में जो लक्ष्‍य रखा गया और वे हैं:*वृहद-अर्थव्‍यवस्‍था स्‍तर के विकास पर फोकस करने के साथ-साथ सूक्ष्‍म-अर्थव्यवस्‍था स्‍तर के समावेशी कल्‍याण पर फोकस करना

*डिजिटल अर्थव्‍यवस्‍था एवं फिनटेक, प्रौद्योगिकी आधारित विकास, ऊर्जा संबंधी बदलाव, और जलवायु कार्रवाई को बढ़ावा देना, और*निजी निवेश से शुरू होने वाले लाभप्रद आर्थिक चक्र पर भरोसा करना और इसके साथ ही सार्वजनिक पूंजीगत निवेश के बल पर निजी निवेश जुटाने में मदद मिलना।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब आत्मनिर्भर भारत की बात करते हैं तो उनका उद्देश्य सिर्फ बाजार की आत्मनिर्भरता नहीं होता, बल्कि वे आम कुम्हार से लेकर किसान तक, गांवों से लेकर आकांक्षी जिलों तक, विमानन से लेकर रक्षा क्षेत्र तक में चौतरफा आत्मनिर्भरता का विजन देते हैं। प्रधानमंत्री मोदी के विजन पर ही चलते हुए भारत ने पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों का निर्माण शुरू किया है। अपनी हवाई क्षमता में उल्लेखनीय रूप से वृद्धि के लिए भारत उन्नत सुविधाओं के साथ पांचवीं पीढ़ी के मध्यम वजन वाले लड़ाकू जेट विकसित करने की परियोजना पर काम कर रहा है। परियोजना पर प्रारंभिक अनुमानित खर्च 1500 करोड़ रुपये है।

मोदी सरकार ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के महत्व को समझते हुए अहम निर्णय लिए हैं। पिछले दिनों प्रधानमंत्री मोदी ने एक वेबिनार में कहा कि देश में ही रक्षा अनुसंधान, डिजाइन और विकास से लेकर उत्पादन का जीवंत इको-सिस्टम विकसित करने का ब्लू प्रिंट है। इसीलिए रक्षा बजट के लगभग 70 प्रतिशत हिस्से को केवल स्वदेशी रक्षा उद्योग के लिए रखा गया है। रक्षा मंत्रालय ने अब तक 200 से अधिक रक्षा उपकरणों की सूची जारी की है, जिन्हें अब विदेश से नहीं खरीदा जाएगा। स्वदेशी कंपनियों से रक्षा खरीद के लिए 54 हजार करोड़ रुपये के अनुबंध हो चुके हैं। वहीं मोदी सरकार ने कई हेलीकॉप्टर और मिसाइल सौदों को रद्द कर दिया।

प्रधानमंत्री मोदी के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के इसी विजन पर चलते हुए रक्षा मंत्रालय ने उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (एएमसीए) के डिजाइन और प्रोटोटाइप डेवलपमेंट के लिए प्रधानमंत्री की अगुआई वाली केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा संबंधी समिति (सीसीएस) से मंजूरी लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अब तक अमेरिका और रूस जैसे देशों के पास ही है पांचवी पीढ़ी के इस तरह के फाइटर जेट बनाने की सुविधा है। रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने परियोजना के बारे में बताया कि अपनी हवाई क्षमता में उल्लेखनीय रूप से वृद्धि के लिए भारत उन्नत सुविधाओं के साथ पांचवीं पीढ़ी के मध्यम वजन वाले लड़ाकू जेट विकसित करने की परियोजना पर काम कर रहा है। परियोजना पर प्रारंभिक अनुमानित खर्च 1500 करोड़ रुपये है। 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आठ साल के शासन में नए इतिहास बने हैं। जो कभी असंभव लग रहा था, वो अब मेड इन इंडिया के तहत मुमकिन हो रहा है। 23 दिसंबर, 2021 को भी एक नया इतिहास रचा गया था। भारत ने 24 घंटे के भीतर लगातार दूसरा अर्ध बैलिस्टिक मिसाइल ‘प्रलय’ का ओडिशा तट के डॉ एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से सफलतापूर्वक परीक्षण किया। इसके अलावा पूरी तरह स्वदेश में बने हाई-स्पीड एक्सपैंडेबल एरियल टारगेट (HEAT) ‘अभ्यास’ का भी सफल टेस्ट किया गया। भारत के इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब 24 घंटे के भीतर दो बैलिस्टिक मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण हुआ हो। स्वदेशी रूप से विकसित ‘प्रलय’ मिसाइल सतह से सतह पर मार करने वाली है और 150 से 500 किलोमीटर के बीच टारगेट को तबाह कर सकती है।

आज भारत की स्टार्टअप कंपनियां रक्षा क्षेत्र की आत्मनिर्भरता में अहम भूमिका निभा रही है। विदेशों से आयात की जाने वाली रक्षा तकनीकों को स्वदेशी स्टार्टअप कंपनियां अब तेजी से तैयार करने लगी हैं। रक्षा मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले एक साल के दौरान 14 ऐसी महत्वपूर्ण रक्षा तकनीकों को भारत में तैयार करने में सफलता मिली है, जिन्हें अभी तक विदेशों से आयात किया जा रहा था। इनके देश में ही निर्माण का रास्ता साफ होने से इन्हें आयात करने की बाध्यता खत्म हो गई है। 14 रक्षा तकनीकों को स्वदेशी स्टार्टअप कंपनियों द्वारा बनाया जा रहा है, उसमें एमसीडी ग्लैंड्स शामिल है। इसे स्वीडन की रोक्सटैक से आयात किया जा रहा था, जिसे फरीदाबाद की मैसर्स वालमैक्स ने बनाना शुरू कर दिया है। इसी प्रकार ब्रिज विंडो ग्लास पहले स्पेन की सेंट गोबैन कंपनी से आयात किया जाता था, लेकिन जयपुर के एक स्टार्टअप मैसर्स जीत एंड जीत ने इसका विकास और निर्माण शुरू कर दिया है।  सैन्य हथियार बनाने में भारत तेजी से आत्मनिर्भर बन रहा है। आज दुनिया भर में मेक इन इंडिया का दबदबा बढ़ा है। सैन्य उपकरण बनाने वाली दुनिया की टॉप 100 कंपनियों में 3 भारतीय कंपनियां शामिल हैं। स्वीडिश थिंक-टैंक स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 के दौरान जहां हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (42वें स्थान पर) और भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड (66वें स्थान पर) की हथियारों की बिक्री में क्रमश: 1.5 प्रतिशत और 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, वहीं इंडियन ऑर्डिनेंस फैक्ट्रीज (60वें स्थान