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Editorial:चीन के ड्रोन निर्यात में सेंध लगाये भारत

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30-5-2022

भारत तकनीकी क्षेत्र में 2014 के बाद जितना आगे बढ़ा है वो किसी से छुपा नहीं है। देश अबतक तकनीक को लेकर जापान और चीन पर अत्यधिक रूप से आश्रित था परंतु अब आत्मनिर्भरता का मंत्र लिए भारत चीन के मंसूबों पर पानी फेरने की योजना बना चुका है। चीनी ड्रोन तकनीक से बढ़ती डाटा चोरी और गंभीर डाटा सुरक्षा चिंताओं ने भारतीय मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) निर्माताओं को नए अवसर प्रदान किए हैं।

जापान की सबसे बड़ी क्षेत्रीय कंपनी एसीएसएल ने भारतीय कंपनी के साथ करार किया है। अब इस कदम के साथ ही भारत ने चीन के ड्रोन निर्यात में सेंध लगाने के लिए बिगुल फूंक दिया है क्योंकि विश्वास के मामले में चीन का हाल कुछ ऐसा हो चुका है कि हर देश उससे यही कहता दिखता है।

यह सर्वविदित है कि आज कई देश असहज हैं क्योंकि कई चीनी ड्रोन कंपनियां विश्वासपात्र नहीं हैं जबकि इस मामले में भारत के प्रति सभी का विश्वास बहुत अधिक है। ड्रोन प्रमुख एरोडाइन इंडिया समूह के एमडी अर्जुन अग्रवाल ने एक मीडिया समूह को बताया, “अमेरिका ने पिछले साल चीनी प्रमुख डीजेआई और वहां की कुछ अन्य कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया था।

उनका भारतीय प्रौद्योगिकी और भारत में जबरदस्त विश्वास है। अब दुनिया के लिए भारत एक ऐसा भारत बन रहा है, जिसे जापान, एशिया और खाड़ी समेत अन्य देशों से ऑर्डर मिलना शुरू हो गए हैं। पारंपरिक ड्रोन आपूर्ति श्रृंखला को खत्म करने का एक स्पष्ट इरादा है।” एरोडीन, जिसने जापान के एसीएसएल के साथ करार किया है, वर्तमान में तमिल में एक विनिर्माण इकाई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में आयोजित ‘भारत ड्रोन महोत्सव 2022Ó प्रतिभाग किया। फेस्टिवल के दौरान पीएम मोदी ने बेंगलुरु की ड्रोन टेक्नोलॉजी कंपनी एस्टेरिया एयरोस्पेस लिमिटेड द्वारा बनाए गए ड्रोन को उड़ाया। पीएम मोदी ने जो ड्रोन उड़ाया, उसका इस्तेमाल उद्योग क्षेत्रों में सुरक्षा और निगरानी के लिए किया जाएगा।

भारत ड्रोन महोत्सव 2022 दो दिवसीय कार्यक्रम है जिसमें 70 से अधिक प्रदर्शक ड्रोन के विभिन्न उपयोग को प्रदर्शित करते हैं। फेस्टिवल का उद्घाटन शनिवार को पीएम मोदी ने किया। फेस्टिवल में पीएम मोदी ने किसान ड्रोन पायलटों के साथ बातचीत की और ओपन-एयर ड्रोन प्रदर्शन देखा। ड्रोन को कृषि में गेम-चेंजर बताते हुए पीएम मोदी ने कहा कि “भारत ने किसानों द्वारा प्रौद्योगिकी और नवाचार को अपनाया है।”

एक तरह से भारत के लिए यह आपदा में सुनहरा अवसर है, क्योंकि जिसकी नींव में ही खोट हो उससे कोई देश क्यों ही व्यावहारिक और व्यावसायिक संबंध बनाएगा। यह भारत के कौशल का ही कमाल है जो नई-नई आई ड्रोन तकनीक के लिए अन्य देश अब चीन का नहीं भारत का रुख करने के लिए तैयार हैं। अगर इसी तरह का माहौल बना रहा तो वो वक्त दूर नहीं है जब भारत ड्रोन तकनीकी में महाशक्ति बनकर सामने आएगा।

ड्रोन प्रमुख एरोडाइन इंडिया समूह के एमडी अर्जुन अग्रवाल ने कहा, “हम ड्रोन उद्योग के सामने आने वाली बैट्री की कमी के मुद्दे से निपटने और विनिर्माण में तेजी लाने के लिए अब भारत में अपनी बैटरी निर्माण इकाई स्थापित कर रहे हैं।” यदि ऐसा होता है तो बैटरी का त्रास झेल रहे देश इस कमी से भी पार पा लेंगे।

टेक ईगल के संस्थापक विक्रम सिंह ने कहा, “भारतीय ड्रोन की गुणवत्ता सबसे अच्छी है। जबकि उनकी लागत वैश्विक समकक्षों के एक-पांचवें से एक-आठवें हिस्से तक है। हमने खाड़ी और उससे आगे ड्रोन निर्यात करने के लिए करार किया है। अब तक हम एक महीने में पांच ड्रोन बनाते हैं, अब हमारा लक्ष्य है कि 6 महीने के अंदर-अंदर हर महीने 15 ड्रोन बनाएं, इसके बाद 1 साल के अंदर-अंदर एक दिन में एक ड्रोन तक बनाएंगे।

केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिर्रादित्य सिंधिया ने हाल ही में कहा था, “हमारा उद्देश्य भारत को दुनिया के ड्रोन हब के रूप में देखना है। यहां निर्माता न केवल भारत के लिए निर्माण करेंगे बल्कि दुनिया के लिए भारत में बनाएंगे।

गरुड़ एयरोस्पेस के संस्थापक-सीईओ ने कहा, “चीनी ड्रोन अब किसी भी देश के लिए अनिच्छा का ही पात्र है। उनके बारे में डेटा सुरक्षा संबंधी चिंताएँ हैं। हमें अब तक मलेशिया, दक्षिण अमेरिका, पनामा और अफ्रीका से 12,000 ड्रोन के ऑर्डर मिले हैं, मुख्य रूप से कृषि के लिए। बता दें, निर्यात के तीन-चौथाई ऑर्डर कृषि ड्रोन के लिए हैं और बाकी मैपिंग और निरीक्षण के लिए हैं। भारतीय कृषि स्प्रे बाजार का मूल्य 3.2 बिलियन डॉलर है क्योंकि यहां 40 करोड़ एकड़ में खेती होती है। ड्रोन कम रसायनों और पानी का उपयोग करके अधिक कुशल तरीके से कीटनाशकों का छिड़काव करते हैं और छिड़काव करने वाले व्यक्ति के लिए हानिकारक नहीं होते हैं क्योंकि शारीरिक संपर्क नहीं होता है।”

सरकार ने अपनी पीएलआई योजनाओं के माध्यम से देश में ड्रोन बनाने को बढ़ावा दिया है। पीएलआई योजना, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना है, यह योजना न केवल विदेशी कंपनियों को देश में कार्यबल खोजने के लिए प्रोत्साहित करती है और इस तरह रोजगार पैदा करती है, बल्कि घरेलू और स्थानीय उत्पादन को सूक्ष्म बनाने और नौकरियों के नए अवसर खोलने के लिए प्रोत्साहित करती है। ऐसे में एक ओर चीन के ड्रोन से विश्वास उठने के बाद भारत का ड्रोन महाशक्ति बनना उसके एक बड़े व्यापारिक जगत में सेंध लगाने जा रहा है और ड्रोन ही भारत की वैश्विक कूटनीति को मजबूत करने के काम भी आएगा।