मध्य प्रदेश के सियासी ड्रामे के बीच भाजपा का दावा है कि कांग्रेस के 15 से 20 विधायक उनके संपर्क में हैं। वहीं, कमलनाथ सरकार में मंत्री कमलेश्वर पटेल ने दावा किया कि भाजपा के 6 विधायक मुख्यमंत्री कमलनाथ के संपर्क में हैं। कमलनाथ सरकार को समर्थन दे रहे कुल 9 विधायकों के नाराज होने की खबर है। इनमें से 4 बेंगुलरु में हैं। बसपा से निलंबित विधायक रामबाई के वापस भोपाल आने की खबर है। लेकिन वे अभी नजर नहीं आईं।
फिलहाल, जिन छह विधायकों के नाम सामने आए हैं। उनमें 3 कांग्रेस और 2 बसपा और एक निर्दलीय विधायक है। इनमें 3 दिग्विजय सिंह के करीबी हैं, बाकी के 2 विधायक मंत्री नहीं बनाए जाने से मुख्यमंत्री कमलनाथ से नाराज बताए जा रहे हैं। वहीं, एक विधायक ज्योतिरादित्य सिंधिया का करीबी है। पार्टी से जुड़े लोगों का कहना है कि कमलनाथ सरकार के कुल 14 विधायक नाराज चल रहे हैं, जिन पर भाजपा की नजर है। खबर ये भी है कि नाराज विधायकों से मुख्यमंत्री कमलनाथ अब तक संपर्क नहीं कर पाए हैं।
जिन विधायकों के नाम सामने आए उनमें कौन किसका करीबी
रामबाई: बसपा विधायक रामबाई प्रदेश में सरकार बनने के बाद अपने बयानों से अक्सर सरकार के लिए परेशानी खड़ी करती रही हैं। पति पर हत्या का मामला दर्ज होने के बाद उनके सुर बदले और वे मुख्यमंत्री कमलनाथ की तारीफ करने लगीं। रामबाई कई बार कह चुकी हैं कि मुख्यमंत्री ने उन्हें मंत्री बनाने का वादा किया था। लेकिन एक साल बाद भी मंत्री नहीं बनाए जाने के बाद रामबाई कमलनाथ से नाराज हैं।
बिसाहूलाल सिंह: दिग्विजय सिंह गुट से हैं। बिसाहूलाल 1980 में पहली बार विधायक चुनकर आए थे। अभी तक वे 5 बार कांग्रेस के विधायक बने हैं। दिग्विजय सिंह सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री, ऊर्जा मंत्री और आदिवासी विकास मंत्री रहे हैं। वरिष्ठ होने के बाद भी मंत्री नहीं बनाए जाने से कमलनाथ से नाराज चल रहे हैं।
हरदीप सिंह: कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह दोनों के करीबी हैं। कहा जाता है कि पार्टी में संतुलन के लिए मुख्यमंत्री ने हरदीप सिंह से भी मंत्री बनाए जाने का वादा किया था। लेकिन मुख्यमंत्री ने वादा पूरा नहीं किया। मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज चल रहे हैं।
सुरेंद्र सिंह शेरा: बुरहानपुर सेनिर्दलीय विधायक हैं। मुश्किल दौर में मुख्यमंत्री का साथ दिया। कई मौकों पर मंत्री बनाए जाने की मांग कर चुके हैं। लोकसभा चुनाव में पत्नी के लिए कांग्रेस से टिकट मांगा, नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ाया। कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष भी बनना चाहते थे। कुछ दिन पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की मांग का समर्थन किया था।
ऐंदल सिंह कंसाना : दिग्विजय सिंह के बेहद करीबी हैं। दिग्विजय सिंह सरकार में पॉवरफुल मंत्रियों में शामिल थे। कई मौकों पर मंत्री नहीं बनाए जाने पर अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं।
संजीव कुशवाह : भिंड से बसपा के टिकट पर जीते हैं। दिग्विजय सिंह के करीबी हैं। मंत्री बनना चाहते थे। मुख्यमंत्री कमलनाथ से नाराज चल रहे हैं।
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