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विश्व तंबाकू निषेध दिवस: संकल्प और अपनों की समझाइश से छूटी तंबाकू की लत, स्वस्थ हुआ जीवन

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सार
आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज की नशा मुक्ति ओपीडी में हर महीने 90 से अधिक लोग तंबाकू की लत छुड़वाने के लिए आ रहे हैं। इलाज के साथ इनकी बाकायदा काउंसिलिंग की जा रही है। 

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छोटी उम्र में शौकिया तंबाकू खाना शुरू किया। बाद में लत पड़ गई और फिर मात्रा भी बढ़ती गई। शरीर में दिक्कत और मुंह न खुलने की समस्या आने पर बीमारियों ने घेर लिया। ऐसे में दृढ़ संकल्प और अपनों की समझाइश काम आई और देखते ही देखते तंबाकू छूट गई। यह कहना है आगरा के खतैना निवासी 52 साल के मुकेश कुमार का। 

तंबाकू की लत से जूझने वाले मुकेश अकेले नहीं, शहर व ग्रामीण क्षेत्र के कई और लोग भी हैं जो तंबाकू के चलते बीमारी से घिर गए हैं। एसएन मेडिकल कॉलेज के नशा मुक्ति केंद्र से हर महीने 20-25 मरीज तंबाकू की लत छोड़ रहे हैं। इलाज के साथ इनकी बाकायदा काउंसिलिंग की जा रही है। परिवार का साथ भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा। 

मानसिक रोग विभागाध्यक्ष और नशा मुक्ति केंद्र के प्रभारी डॉ. विशाल सिन्हा ने बताया कि हर महीने 90 से अधिक नए लोग तंबाकू की लत छुड़वाने के लिए नशा मुक्ति ओपीडी में आ रहे हैं। ये 10 साल से अधिक समय से तंबाकू के लती हैं। जब मुंह के छाले ठीक न होने, जख्म बनने, मुंह कम खुलने के लक्षण दिखे, कैंसर का खतरा मंडराया तो इनकी समझ में आया है। 

कैंसर में महिलाएं भी

एसएन के कैंसर रोग विभाग की डॉ. सुरभि गुप्ता ने बताया कि ओपीडी में कैंसर की आशंका पर छह से आठ मरीज रोज आते हैं। चार से पांच साल तक लगातार तंबाकू खाने से कैंसर का खतरा शुरू हो जाता है। महिलाओं में भी तंबाकू की लत बढ़ी है, अब कैंसर मरीजों में 20 फीसदी महिलाएं हैं, जिनमें से नौ फीसदी को तंबाकू की वजह से कैंसर हुआ।

सात दिन तक ये रहती है परेशानी

मानसिक स्वास्थ्य संस्थान के प्रमुख अधीक्षक डॉ. दिनेश राठौर ने बताया कि तंबाकू की लत छुड़ाने में इलाज और काउंसिलिंग के असर से तीन महीने में तंबाकू छोड़ी जा सकती है। शुरुआत में तंबाकू न खाने से पांच से सात दिन तक मुंह सूखना, नींद न आना, काम में मन न लगना, गुस्सा होना, भोजन में स्वाद न आना, चिड़चिड़ापन जैसी परेशानी होती हैं।

छोटी उम्र में लग रही तंबाकू की लत

सीएमओ डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि गांव में 12 से 14 साल और शहर के 17-18 साल की उम्र में तंबाकू खाना शुरू कर रहे हैं। राष्ट्रीय पारिवारिक सर्वे-पांच के अनुसार जिले में 15 साल से अधिक उम्र के 46.1 फीसदी पुरुष और 8.9 फीसदी महिलाएं तंबाकू खाती हैं। इसमें गुटका, खैनी समेत अन्य उत्पाद शामिल हैं।

केस एक: 

खतैना के 52 साल के मुकेश कुमार ने बताया कि वह करीब 18 साल की उम्र से तंबाकू खा रहे हैं। रोजाना 10 से अधिक पाउच खाते थे। जब खुद तकलीफ बढ़ी तो तंबाकू छोड़ने का निर्णय लिया। शुरू में दिक्कत रही। इलाज से दो-तीन महीने के बाद पूरी तरह से तंबाकू छोड़ दी है।  

केस दो:

सिविल लाइन के 46 साल के अब्दुल जब्बार 28 साल से तंबाकू खा रहे हैं। जब इनके मुंह में जख्म बन गया तो कैंसर की आशंका हुई। तंबाकू से तौबा की। उपचार चला और जख्म का ऑपरेशन किया। अब वह पूरी तरह से ठीक हैं औरों को भी तंबाकू छोड़ने को प्रेरित कर रहे हैं। तंबाकू छोड़ने में अपनों की समझाइश ने बहुत सहारा दिया। 

सावधानी 

– तंबाकू में दो हजार से अधिक घातक तत्व, इसे कतई न खाएं। 
– तंबाकू की लत छोड़ने को मानसिक रोग विभाग और पंजीकृत नशामुक्ति केंद्र में इलाज कराएं। 
– नशाखोर साथियों से दूरी बनाएं। शौकिया तौर पर भी तंबाकू न खाएं। 
– काला मंजन और तंबाकू वाला मंजन कतई न करें। 

विस्तार

छोटी उम्र में शौकिया तंबाकू खाना शुरू किया। बाद में लत पड़ गई और फिर मात्रा भी बढ़ती गई। शरीर में दिक्कत और मुंह न खुलने की समस्या आने पर बीमारियों ने घेर लिया। ऐसे में दृढ़ संकल्प और अपनों की समझाइश काम आई और देखते ही देखते तंबाकू छूट गई। यह कहना है आगरा के खतैना निवासी 52 साल के मुकेश कुमार का। 

तंबाकू की लत से जूझने वाले मुकेश अकेले नहीं, शहर व ग्रामीण क्षेत्र के कई और लोग भी हैं जो तंबाकू के चलते बीमारी से घिर गए हैं। एसएन मेडिकल कॉलेज के नशा मुक्ति केंद्र से हर महीने 20-25 मरीज तंबाकू की लत छोड़ रहे हैं। इलाज के साथ इनकी बाकायदा काउंसिलिंग की जा रही है। परिवार का साथ भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा। 

मानसिक रोग विभागाध्यक्ष और नशा मुक्ति केंद्र के प्रभारी डॉ. विशाल सिन्हा ने बताया कि हर महीने 90 से अधिक नए लोग तंबाकू की लत छुड़वाने के लिए नशा मुक्ति ओपीडी में आ रहे हैं। ये 10 साल से अधिक समय से तंबाकू के लती हैं। जब मुंह के छाले ठीक न होने, जख्म बनने, मुंह कम खुलने के लक्षण दिखे, कैंसर का खतरा मंडराया तो इनकी समझ में आया है।