राज्यसभा चुनाव के लिए 10 उम्मीदवारों की सूची जारी होते ही कांग्रेस में एक और बगावत की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। कांग्रेस की सूची में छत्तीसगढ़ से राजीव शुक्ला और रंजीत रंजन (पप्पू यादव की पत्नी), हरियाणा से अजय माकन, कर्नाटक से जयराम रमेश, मध्य प्रदेश से विवेक तन्खा, महाराष्ट्र से इमरान प्रतापगढ़ी, राजस्थान से रणदीप सुरजेवाला, मुकुल वासनिक, प्रमोद तिवारी और तमिलनाडु से पी चिदंबरम का नाम है। लिस्ट में अपना नाम ना देखकर दुखी कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने रात के 11 बजे ट्वीट करते हुए लिखा कि शायद मेरी तपस्या में कुछ कमी रह गई सबसे चौंकाने वाला नाम महाराष्ट्र से इमरान प्रतापगढ़ी का है।
इसको लेकर महाराष्ट्र कांग्रेस में भारी गुस्सा है। कुछ कांग्रेस नेताओं ने तो सीधे तौर पर उत्तर प्रदेश के इमरान प्रतापगढ़ी का नाम लेकर पार्टी आलाकमान पर निशाना साधा है। राज्य के नेता इसको लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात कर विरोध जताने के बारे में भी सोच रहे हैं। महाराष्ट्र से टिकट की उम्मीद लगाए रखने वाली नगमा ने पवन खेड़ा के ट्वीट का रिप्लाई करते हुए लिखा कि हमारी भी 18 साल की तपस्या कम पड़ गई इमरान भाई के आगे।नगमा ने एक अन्य ट्वीट में सीधा सोनिया गांधी पर निशाना साधा। उन्होंने लिखा कि सोनिया जी, हमारी कांग्रेस अध्यक्ष ने 2003 के अप्रैल में मुझे पर्सनली राज्यसभा दिलाने की बात कही थी।
जब मैंने उनकी वजह से कांग्रेसस ज्वाइन की उस समय हम सत्ता में भी नहीं थे। लेकिन उसके 18 साल बाद से आज तक उन्हें मुझे राज्यसभा भेजने का मौका नहीं मिला। इमरान प्रतापगढ़ी को राज्यसभा सीट मिली है। मैं पूछती हूं क्या मैं कम काबिल थी।राज्यसभा टिकट को लेकर आचार्य प्रमोद ने भी नाराजगी जाहिर की है। नगमा के ट्वीट पर उन्होंने लिखा कि सलमान खुर्शीद, तारिक अनवर और आजाद साहब की तपस्या तो 40 साल की है, वो भी शहीद हो गए।इसके साथ ही उन्होंने पवन खेड़ा के ट्वीट पर रिप्लाई करते हुए लिखा कि प्रतिभाओं का ‘दमन’ करना पार्टी के लिए ‘आत्मघाती’ कदम है।
ट्विटर पर एक ट्वीट का रिप्लाई करते हुए उन्होंने पार्टी आलाकमान पर निशाना साधते हुए लिखा कि सच बोलने वाले सजा की परवाह नहीं किया करते लेकिन राज्यसभा की रेस में मैं था ही नहीं, क्योंकि उसके लिए कुछ विशेष योग्यताएं होना जरूरी हैं जो मुझमें नहीं हैं।आचार्य प्रमोद ने दो दिन पहले ही एक ट्वीट के जवाब में लिखा था कि राज्यसभा जाने के लिए भाजपा या ‘सपा’ का ‘दलाल’ होने के साथ साथ गूंगा होना जरूरी है, जो मैं हूं नहीं, दूसरे हिंदू धर्म गुरु होना सबसे बड़ा माइनस प्वाइंट है, अब इतने सारे ‘अवगुणों’ के होते हुए मुझे वहां कौन भेजेगा।
राजस्थान के कांग्रेस नेताओं में भी इसको लेकर भारी नाराजगी है। राज्यसभा के तीनों उम्मीदवारों के राजस्थान से बाहर के होने और राज्य के एक भी नेता के नाम ना होने पर भी कार्यकर्ताओं में गुस्सा है। वे पार्टी आलाकमान से इसको लेकर सवाल कर रहे हैं। राज्य के एक विधायक ने तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बेटे राहुल गांधी और बेटी प्रियंका गांधी को टैग करते हुए ट्वीट किया कि कांग्रेस पार्टी को यह बताना चाहिए कि राजस्थान के किसी भी कांग्रेस नेता/कार्यकर्ता को राज्यसभा चुनाव में प्रत्याशी नहीं बनाने के क्या कारण हैं?
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