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वेस्टर्न कॉरिडोर के ट्रैक पर पहली बार दौड़ा इंजन, 30 जून तक सरकार को सौंपने की तैयारी

ग्रेटर नोएडा: ग्रेटर नोएडा के बोड़ाकी गांव के पास से मुंबई के जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह तक बनाए जा रहे डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन (डीएफसीसी) के वेस्टर्न कॉरिडोर पर मंगलवार को रेल का इंजन दौड़ाकर ट्रायल हुआ। यह ट्रायल यमुना नदी से लेकर दादरी के पाली गांव तक हुआ। कोविड-19 चलते प्रॉजेक्ट 1 साल लेट हो गया है। अधिकारियों का दावा है कि अब 30 जून तक वेस्टर्न कॉरिडोर के रेलवे ट्रैक का काम पूरा हो जाएगा।

डीएफसीसी के वेस्टर्न कॉरिडोर का रेलवे ट्रैक ग्रेटर नोएडा एरिया में 17 किलोमीटर लंबा है। मंगलवार को डीएफसीसी के अधिकारियों ने पाली गांव से लेकर यमुना नदी के पास तक रेलवे ट्रैक का ट्रायल करने के लिए इंजन को पटरी पर दौड़ाया। अधिकारी रेलवे इंजन पर सवार होकर रेलवे ट्रैक की खामियों को देखा। जहां जो कमी दिखाई दी उसे नोट किया और संबंधित इंजीनियर को दिशा निर्देश दिए।

पिछले वर्ष दिसंबर तक कॉरिडोर बनकर तैयार हो जाना था, लेकिन कोविड के कारण ऐसा नहीं हो सका। कॉरिडोर पर पांच जगह ओवरब्रिज व 13 अंडरपास बनाए गए हैं, ताकि आसपास रहने वाले लोगों को किसी तरह की दिक्कत नहीं हो। नोएडा एक्सप्रेसवे पर बना ओवरब्रिज खास है। यहां पर ओवरब्रिज एक साथ एक्सप्रेसवे और एक्वा मेट्रो लाइन को पार कर रहा है। अफसरों ने बताया कि 30 जून तक कॉरिडोर का हिस्सा पूरी तरह तैयार कर सरकार को सौंप दिया जाएगा। इस ट्रैक से विदेशों से मुंबई बंदरगाह पर आने वाले माल मालगाड़ी के जरिए यहां के उद्योगों तक पहुंच पाएगा। साथ ही, दिल्ली एनसीआर की इंडस्ट्री में भी उनकी जरूरत का सामान पहुंच पाएगा। इससे माल ढुलाई की लागत कम होगी।