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Editorial:अब चीन के दिन लद गए

2-6-2022

व्यापार पर अब धीरे-धीरे चीन का एकाधिकार ख़त्म हो रहा है। चीन के साथ व्यापार करने में भारत हमेशा ही बड़े व्यापार घाटा में रहता है। इसके पीछे एक मुख्य वज़ह यह है कि चीन, निर्यात ज्यादा करता है- आयात बहुत कम करता है। ऐसे में भारत का व्यापार घटता हर वर्ष बढ़ता जा रहा है।

खालिद खान आगे कहते हैं, “आने वाले वर्षों में, भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार बढ़ता रहेगा। भारत एक इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (आईपीईएफ) स्थापित करने के लिए अमेरिका के नेतृत्व वाली पहल में शामिल हो गया है और इस कदम से आर्थिक संबंधों को और बढ़ावा देने में सहायता मिलेगी।”

भारत तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार

भारतीय बागान प्रबंधन संस्थान (आईआईपीएम), बैंगलोर के निदेशक राकेश मोहन जोशी ने कहा कि भारत 1.39 अरब लोगों का घर है और इतनी बड़ी जनसँख्या के साथ यह देश दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार है। तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के चलते भारत और अमेरिका की कंपनियों के पास टेक्नोलॉजी लेन-देन, विनिर्माण, व्यापार और निवेश के बहुत अवसर हैं।

राकेश मोहन जोशी आगे बताते हैं, “भारत से अमेरिका को पेट्रोलियम, पॉलिश किए गए हीरे, दवा उत्पाद, आभूषण, हल्के तेल, जमे हुए झींगा आदि निर्यात किए जाते हैं। जबकि अमेरिका से भारत में प्रमुख तौर पर पेट्रोलियम, कच्चे हीरे, तरल प्राकृतिक गैस, सोना, कोयला, बादाम आदि का आयात होता है।”

अमेरिका उन कुछ देशों में से एक है जिनके साथ भारत का व्यापार अधिशेष है। 2021-22 में भारत का अमेरिका के साथ 32.8 बिलियन डॉलर का व्यापार अधिशेष था।

आंकड़ों से पता चला कि 2013-14 से 2017-18 तक और 2020-21 में भी चीन भारत का शीर्ष व्यापारिक भागीदार था। चीन से पहले संयुक्त अरब अमीरात  भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था।

2021-22 में 72.9 बिलियन डॉलर के साथ संयुक्त अरब अमीरात भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था। इसके बाद सऊदी अरब (42,85 अरब डॉलर), इराक (34.33 अरब डॉलर) और सिंगापुर (30 अरब डॉलर) का स्थान है।
भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) इंदौर और यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिल्वेनिया द्वारा नीति आयोग द्वारा समर्थित शोध पत्र ‘आत्मनिर्भर भारतÓ की दिशा में एक और कदम में व्हार्टन स्कूल ने चीनी आयात पर निर्भरता कम करने के लिए भारत सरकार के लिए छह रणनीतियों का सुझाव दिया है।

चीनी आयात पर निर्भरता कम करने की दिशा में छह चरणों में उत्पाद विभाजन, देश के मौजूदा पारिस्थितिकी तंत्र का उपयोग करना, प्रमुख व्यापार समझौतों का सदस्य बनना और भारत सरकार (भारत सरकार) की कार्य प्रक्रियाओं और संगठनात्मक डिजाइन को संशोधित करना शामिल है।

यदि भारत एक विनिर्माण के रूप में परिपक्व होता है तो यह न केवल भारत की चीन से आयात पर निर्भरता कम करेगा बल्कि भारत अन्य देशों के लिए निर्यात कर सकेगा। ऐसे कई देश हैं जो चीन से आयात पर अपनी निर्भरता कम करना चाहते हैं और उनके लिए भारत से बेहतर विकल्प और हो ही नहीं सकता।