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Rajya Sabha MP: वेस्ट यूपी का बढ़ा सियासी रुतबा, 11 में चार राज्यसभा सांसद मिले, संसद में रालोद का सूखा भी हुआ खत्म

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मेरठ: यूपी के राज्यसभा के सभी 11 सदस्यों का निर्वाचन निर्विरोध होने के चलते देश की संसद में वेस्ट यूपी की सियासी रुतबा बढ़ा है। वेस्ट यूपी के तीन और राज्यसभा सांसद चुने गए हैं। इसी के साथ संसद में राष्ट्रीय लोकदल का सूखा भी समाप्त हो गया है। पार्टी के अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह अब दिल्ली में आवाज बुलंद करेंगे। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में रालोद नेता अजित सिंह और उनके पुत्र चौधरी जयंत सिंह चुनाव हार गए थे।

राज्यसभा के चुनाव में वेस्ट यूपी के भाजपा से मेरठ के लक्ष्मीकांत वाजपेयी, गौतमबुद्ध नगर से सुरेंद्र नागर, बागपत से रालोद मुखिया चौधरी जयंत सिंह, संभल से समाजवादी पार्टी के जावेद अली चुने गए हैं। सुरेंद्र नागर लगातार तीसरी बार राज्यसभा में गए हैं। वह चुनाव से पहले तक भी भाजपा से राज्यसभा सांसद थे। वेस्ट यूपी से भाजपा ने लक्ष्मीकांत वाजपेयी को राज्यसभा भेजकर वेस्ट यूपी में सियासी समीकरण साधे हैं। इसी के साथ पूर्व राज्यसभा सांसद संभल के जावेद अली को दोबारा से सपा ने राज्यसभा भेज दिया है। वेस्ट यूपी से कई चेहरों को संसद में जाने के कारण अब वेस्ट की आवाज वहां गूंजेगी।

रालोद को संसद में जाने के लिए करना पड़ा लंबा इंतजार
रालोद संसद से काफी दिन से दूर है। 2009 में रालोद नेता अजित सिंह बागपत से और उनके पुत्र चौधरी जयंत सिंह मथुरा से सांसद चुने गए थे, लेकिन 2014 की मोदी लहर में दोनों चुनाव हार गए थे। अजित सिंह को बागपत में पुलिस अधिकारी रहे सत्यपाल सिंह और चौधरी जयंत को मथुरा से फिल्म अभिनेत्री हेमा मालिनी ने हराया था। उसके बाद 2019 में भी रलोद के दोनों नेता पिता अजित सिंह मुजफ्फरनगर से और चौधरी जयंत सिंह बागपत से हार गए थे। जयंत को भी सत्यपाल सिंह ने हराया था। अजित सिंह को संजीव बालियान ने शिकस्त दी थी। इस बीत 2017 में जरूर कैराना लोकसभा सीट पर बीजेपी के हुकुम सिंह के निधन के कारण हुए उपचुनाव में सपा के समर्थन से रालोद की तबस्सुम हसन जरूर जीती थीं, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में वह भी हार गई थी। दरअसल, वेस्ट यूपी में चुने गए चार राज्यसभा सांसदों के अलावा मेरठ जिले से विजयपाल सिंह तोमर और कांता कर्दम भाजपा के पहले से राज्यसभा सांसद हैं।

लक्ष्मीकांत पहली बार करेंगे दिल्ली की सियासत
भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर लक्ष्मीकांत वाजपेयी राज्यसभा के लिए निर्वाचित होने के बाद पहली बार नई दिल्ली की राजनीतिक पिच पर खेलेंगे। वह मेरठ शहर सीट पर कई बार जीते और लखनऊ में विधानसभा पहुंचे। यूपी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रहे। 2017 में हार गए। 2022 में चुनाव नहीं लड़े।