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गैस्ट्रोकॉन-2022 : डॉ डीएन रेड्‌डी ने की लाइव सर्जरी

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Ranchi : बिहार- झारखंड इंडियन सोसायटी ऑफ गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी के द्वारा पेट, लीवर, आंत और पेनक्रियाज रोग के राष्ट्रीय विशेषज्ञों का महासम्मेलन गैस्ट्रोकॉन- 2022 का शुभारंभ शनिवार को होटल रेडिशन ब्लू में हुआ. कार्यक्रम का उद्घाटन स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता और उपस्थित चिकित्सकों ने सामूहिक रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया. इसमें देश के विभिन्न राज्यों के 200 से ज्यादा गैस्ट्रोइंस्टोलॉजिस्ट और लीवर के एक्सपर्ट डॉक्टर शामिल हुए. कॉन्फ्रेंस का शुभारंभ विभिन्न बीमारियों से जुड़े उपचार और अत्याधुनिक तकनीकों पर चिकित्सकों ने प्रजेंटेशन प्रस्तुत कर किया. डॉ डीएन रेड्‌डी ने लाइव सर्जरी कर झारखंड के डॉक्टरों को नयी एडवांस इंडोस्कोपिक तकनीक की जानकारी दी.

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा- रिम्स में भी गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग की स्थापना की जाए

महासम्मेलन के उद्घाटन के दौरान स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि आज एक बड़ी समस्या के समाधान के लिए हम सभी यहां पर बैठे हुए हैं. गैस्ट्रोकॉन- 2022 के आयोजन से चिकित्सा की नयी पद्धति से लोग अवगत होंगे और इससे देश का भला होगा. उन्होंने कहा कि पेट संबंधी विकार से कई बार लोग हार्ट अटैक के शिकार होते हैं. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि वरीय चिकित्सकों का झारखंड आना और अनुभव साझा करने से राज्य का भला होगा. बन्ना गुप्ता ने कहा कि स्वास्थ्य एक ऐसा विषय है, जिसमे हर रोज एक नए सोच के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों से बात कर रिम्स में भी गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग की स्थापना की जाए.

आंत के अल्सर और उपयोगी दवाओं पर हुई चर्चा

पीजीआई चंड़ीगढ़ के डॉ. सरोजकांत सिन्हा ने आंत के अल्सर के इलाज और इलाज में उपयोग होने वाला नयी बायोलॉजिक्स दवाओं पर चर्चा की. बायोलॉजिक्स दवाओं का अल्सरेटिव कोलाइटिस में उपयोग विषय पर प्रेजेंटेशन प्रस्तुत करते हुए बताया कि यह एक ऐसी आम समस्या है, जिसकी वजह से बड़ी आंत में सूजन और जलन की शिकायत होती है. इस बीमारी के लक्षण अचानक से सामने आते हैं, जिसकी वजह से कोलन में छाले हो जाते हैं और उस हिस्से में सूजन रहती है. इस बीमारी की वजह से बॉडी में कमजोरी हो सकती है. उन्होंने इसमें उपयोगी दवा टॉप सुटिव, इनफ्लेक्सिमेब और इनजेथियोपीन पर जानकारी साझा की. बताया कि इसे समय पर दिए जाने से रेमिशन की अवधि बढ़ जाती है और ओलेप्थोमी को रोका जा सकता है.

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अल्सर का इलाज कैसे करना है- डॉ. वीके दीक्षित ने दी जानकारी

बीएचयू के डॉ. वीके दीक्षित ने नॉन वेरिसील जीआई ब्लीड मैनेजमेंट टॉपिक पर प्रस्तुति देते हुए बताया कि किस अल्सर का ट्रीटमेंट करना है और किसका नही. जीआई ब्लीडिंग मैनेजमेंट के बारे बताया कि ब्लीडिंग दो तरीके का होता है. पहला- यह वेरिसल सिरोसिस वाले रोगियों को होता है, जिससे उसकी मृत्यु ज्यादा होती है. वहीं नॉन वेरिसल ब्लीड में अल्कोहल, तंबाकू, तीखा खाना, दर्द की दवा और एनएएसएआईडी रिस्पॉन्सिवल के कारण होता है. नई पद्धति हिमोस्प्रे (एक तरह का पाउडर) क्लीपिंग (इंडोस्कोपी के द्वारा क्लीपिंग) और ओटीसी क्लीपिंग के जरिए इलाज किया जाता है.

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फैटी लीवर की बीमारी को कम करने के लिए एडवांस चिकित्सा पद्धति व नयी दवाओं पर चर्चा

कॉन्फ्रेंस के दौरान कोलकाता के डॉ. सुजीत चौधरी ने रिसेंट अपडेट और नॉन अल्कोहलिक फैटी लीवर डिजीज के बारे में जानकारी दी. सेरोग्लीटाजार नामक नई दवाई का उपयोग नॉन अल्कोहलिक फैटी लीवर डीजीज में किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि नॉन अल्कोहलिक फैटी लीवर डिजीज से लीवर सिरोसिस और लीवर कैंसर होने की संभावना होती है.

इन्होंने भी साझा की जानकारी

आईएलबीएस दिल्ली के वाइस चांसलर (पद्श्री) डॉ. एसके सरीन ने हेपेटाइटिस बी से होने वाली बीमारी, इसके लाइफ साइकिल और इसमें दवा कैसे काम करता है, इस पर चर्चा की. साथ ही बताया कि भविष्य में हेपेटाइटिस बी को कैसे हटाया जाए.

प्लाज्माफेरेसिस से घटाया जा सकता है लीवर सिरोसिस के मरीजों की मृत्युदर ग्राफ

दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल के डॉ. पियूष रंजन ने रोल ऑफ थेरेप्यूटिक प्लाज्माफेरेसिस इन एसीएलएफ टॉपिक पर अपना प्रजेंटेशन प्रस्तुत किया. बताया कि प्लाज्माफेरेसिस एक नई पद्धति है, जिसमें ब्लड से प्लाज्मा को अलग कर लीवर सिरोसिस का उपयोग करने पर मरीज की मृत्युदर ग्राफ को घटाया जा सकता है. अभी इस पद्धति पर शोध जारी है. डॉ. पियूष के अलावा बैंगलुरु के डॉ. नवीन गंजू ने बताया कि पेट में पानी बार-बार भर जाए तो इसे कैसे रोका जा सकता है. इसमें उपयोगी नई दवा मीडोड्रीम पर चर्चा हुई. डॉ. नवीन ने बताया कि यह दवा इस बीमारी में काफी कारगर साबित होती है. उन्होंने अपने रिसर्च और पेपर प्रजेंटेशन के माध्यम से आंकड़ों के साथ इस पर परिचर्चा की.

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