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गैस्ट्रोकॉन-2022 : विभिन्न राज्यों से आए 9 एक्सपर्ट डॉक्टरों ने बीमारी और इलाज पद्धति पर डाला प्रकाश

Ranchi : बिहार-झारखंड की संयुक्त पहल से रांची में आयोजित पेट, आंत आदि बीमारियों के विशेषज्ञ डॉक्‍टरों का दो दिवसीय राष्ट्रीय महासम्मेलन रविवार को संपन्न हुआ. होटल रेडिशन ब्लू में आयोजित कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन मुख्य वक्ता के रूप में एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी, हैदराबाद के संस्थापक और चेयरमैन डॉ. डी. नागेश्वर रेड्‌डी शामिल हुए. उन्होंने एंडोस्कोपी के भविष्य विषय पर अपना प्रेजेंटेशन साझा किया. उन्होंने बताया कि फ्यूचर ऑफ एंडोस्कोपी का वर्तमान समय में क्या महत्व है. सीएमई में जानकारी देते हुए कहा कि एंडोस्कोपी का महत्व वर्तमान चिकित्सा पद्धति में काफी बढ़ गई है. इस विधि से सिर्फ बीमारी को ही नहीं पकड़ा जाता है, बल्कि आगे चलकर होने वाली बीमारियों को भी पकड़ा जा सकता है. पहले एंडोस्कोपी में काफी पाबंदियां थी, इससे सीमित जांच की किया जा सकता है. लेकिन अब इससे सभी आंत से संबंधित जांच संभव है. उन्होंने बताया कि अब इतनी अत्याधुनिक तकनीक आ गई है कि अब एंडोस्कोपी से न सिर्फ डायग्नोसिसि थेरेपी कर सकते हैं, बल्कि पहले से प्रिडिक्ट कर सकते हैं कि पांच साल बाद कैंसर हो सकता है. 20 मिनट के प्रेजेंटेशन सेशन में डॉ. डीएन रेड्‌डी ने मोटाबोलिक एंडोस्कोपी, रोबोटिक एंडोस्कोपी समेत कई विधाएं की जानकारी चिकित्सकों के साथ साझा की.

SGPGI के डॉ. यूसी घोषाल ने मोटर डिस्फेजिया विषय पर दी जानकारी

सम्मेलन के दूसरे दिन मोटर डिस्फेजिया (भोजन घोटने में परेशानी) विषय पर जानकारी देते हुए एसजीपीजीआई के डॉ. यूसी घोषाल ने बताया कि कई लोगों को देखा होगा जो अपने गले से कुछ भी निगलने में कठिनाई महसूस करते हैं, जिसे हर कोई एक आम समस्या समझ बैठता है, जिसके कारण ज्यादातर लोग इसे नजरअंदाज करने की कोशिश करते हैं. जबकि ये कोई सामान्य या आम समस्या नहीं है, बल्कि ये डिस्फेजिया से संबंधित हो सकती है. ज्यादातर मामलों में ये आपकी तंत्रिका या मांसपेशियों में समस्या के कारण होता है. डॉ. घोषाल ने भोजन घोटने में परेशानी हो तो किन किन उपायों को करने की जरुरत है, इसकी जानकारी साझा की. बताया कि इसमें एकलासियाकार्डिया नामक बीमारी है, इसमें भी क्या-क्या उपाय करने की जरूरत है, यह भी बताया. साथ ही दिल्ली की डॉ. सौम्या जगन्नाथ ने एक्यूट पैनक्रियाइटिस को एंडोस्कोपी विधि से कैसे मैनेज किया जा सकता है, इसके बारे में बताया. इस सम्मेलन के सफल आयोजन में बिहार-झारखंड के चिकित्सकों के अलावा ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. मनोहर लाल प्रसाद, चेयरमैन डॉ. रमेश चंद्रा, को-चेयरमैन डॉ. जयंत कुमार घोष समेत अन्य की भूमिका रही.

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इन डॉक्टरों ने इस विषय पर दिया प्रजेंटेशन

-डॉ. डी. नागेश्वर रेड्‌डी – एआईजी, हैदराबाद – फ्यूचर ऑफ एंडोस्कोपी- एडवांसेज इन इमेज इनोवेशन.

-डॉ. यूसी घोषाल – एसजीपीजीआई – मोटर डिडिस्फेजिया, ओवरव्यू एंड डिफाइनिंग ए प्रैक्टिकल अप्रोच.

-डॉ. अमित दत्ता – डिफ्रेंसिएटिंग इसेंसियल ट्यूबरक्लोसिस एंड क्रॉन्स डिजिज.

-डॉ. सौम्या जगन्नाथ – दिल्ली – एंडोस्कोपिक मैनेजमेंट ऑफ पैनक्रियाइटिस फ्लूइड कलेक्शन इन एक्यूट पैनक्रियाइटिस.

-डॉ. मोहन रामचंदानी – एआईजी, हैदराबाद – मैनेजमेंट ऑफ बिलियरी स्ट्रीक्चर.

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