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नवजात शिशु की मृत्युदर में कमी लाने के लिये भारत सरकार व उत्तर प्रदेश सरकार वचनबद्ध है

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री श्री ब्रजेश पाठक की अध्यक्षता में आज गोमतीनगर स्थित होटल लीजेन में भारतीय बाल अकादमी व चिकित्सा शिक्षा विभाग उ0प्र0 के संयुक्त प्रयास से प्रदेश के सभी राजकीय व निजी क्षेत्र के मेडिकल कालेजों के बाल रोग व स्त्री रोग विभाग के चिकित्सा शिक्षकों के लिये नवजात शिशु पुनजीवनीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें प्रदेश के लगभग 200 चिकित्सा शिक्षकों ने प्रतिभाग किया।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि नवजात शिशु की मृत्युदर में कमी लाने के लिये भारत सरकार व उत्तर प्रदेश सरकार वचनबद्ध है। एक वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु में दो तिहाई बच्चों की मृत्यु जन्म के प्रथम माह में व प्रथम माह में होने वाली मृत्यु में दो तिहाई मृत्यु प्रथम सप्ताह में होती है। विशेषज्ञों द्वारा किये गये विश्लेषण में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि नवजात शिशु के लिये प्रथम सप्ताह, प्रथम दिवस व पहले कुछ मिनट बहुत ही ध्यान देने योग्य हैं। इस समय ध्यान देने से काफी नवजात शिशुओं को मृत्यु से बचाया जा सकता है। उत्तर प्रदेश में अभी नवजात शिशुओं की मृत्युदर 32 प्रति एक हजार जन्म है जिसे 2030 तक 10 से कम किये जाने का लक्ष्य है।
श्री पाठक ने कहा कि देश के किसी भी प्रदेश में इस प्रकार के सभी राजकीय व निजी मेडिकल कालेजों के वरिष्ठ चिकित्सकों को एक साथ टेªनिंग देने की यह अनूठी पहल है। जिसमें चिकित्सा शिक्षा, चिकित्सा स्वास्थ्य व भारतीय बाल रोग आकदमी एक साथ योगदान कर रहे हैं व इसे आगे और विस्तारित किया जायेगा। उन्होंने आयोजकों के इस कार्य की सराहना करते हुए आश्वस्त किया की सभी चिकित्सालयों में आवश्यक टेªनिंग संसाधन उपलब्ध कराये जायेंगे व वे स्वयं इस की मोनीटरिंग भी करेगे। उन्होंने प्रदेश के सभी मेडिकल कालेज में स्किल सेंन्टर बनाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि बच्चों का स्वास्थ्य उ0प्र0 सरकार की प्राथमिकता है।
अपर मुख्य सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने प्रदेश में अब तक के अथक प्रयास व उनके परिणाम बताते हुए अवगत कराया की बाल मृत्यु दर में गत वर्ष 03 अंकों की कमी आयी है जिससे प्रतिवर्ष लगभग 17000 बच्चों को अकाल मृत्यु से बचाया गया। इस कार्यशाला में नवजात शिशुओं को जन्म पर सांस लेने में सहायता करने व आक्सीजन की कमी (हाईपोक्सिया) व कम तापमान (हाईपोथर्मिया) से बचाने और स्तनपान को बढावा देने के उद्देश्य से आयोजित की गयी है। आज टेªंन किये गये चिकित्सक अपने मेडिकल कालेजों में अन्य चिकित्सकों को व उत्तीर्ण हो रहे इंटर्स को टेªनिंग देंगे और अपने नजदीकी जनपदों में जिला चिकित्सालयों, सी0एच0सी0 व पी0एच0सी0 के चिकित्सकों और प्रसूति कार्य में सम्मिलित स्वास्थ्य कर्मियों को नियमित अंतराल पर हैंडस-आन टेªनिंग प्रदान करते रहेंगे।
डा0 एन0सी0 प्रजापति महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा ने सभी मेडिकल कालेज के सहयोग के संकल्प की सराहना करते हुए इस मिशन को आगे जारी रखते हुए लक्ष्य की प्राप्ति पर बल दिया। भारतीय बाल रोग अकादमी के रार्ष्टीय अध्यक्ष डा0 रमेश कुमार ने उ0प्र0 में अब तक के किये गये प्रयास की सराहना करते हुए उ0प्र0 के लिये मार्गदर्शिका का विमोचन मुख्य अतिथि द्धारा कराया।
इस अवसर पर राष्ट्रीय नवजात शिशु फोरम के अध्यक्ष डा0 सिर्द्धाथ रामजी, राष्ट्रीय भारतीय बाल रोग अकादमी के महासचिव डा0 विनीत सक्सेना, प्रदेश अध्यक्ष भारतीय बाल अकादमी उ0प्र0 डा0 अल्का अग्रवाल, डा0 नवीन ठक्कर अन्तर राष्ट्रीय बाल अकादमी के अध्यक्ष, डा0 सी0पी0 बंसल, चेयर परसन एन0आर0पी0, डा0 संजय निरंजन संयोजक, डा0 अजय श्रीवास्तव सचिव भारतीय बाल अकादमी उ0प्र0, डा0 दिनेश तोमर, डा0 शलभ अग्रवाल, डा0 विकास गोयल, डा0 निम्बालकर, डा0 जगदीश चन्द्रा, डा0 प्रमित श्रीवास्तव व अन्य मौजूद रहे।