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राज्यसभा और यूपी विधान परिषद चुनाव का दिखने लगा असर, अखिलेश यादव के सामने गठबंधन बचाने की खड़ी हुई चुनौती

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के लिए नई चुनौती खड़ी होती दिख रही है। यूपी चुनाव के दौरान रालोद, सुभासपा, महान दल आदि से गठबंधन करने वाले अखिलेश यादव के राज्यसभा चुनाव और एमएलसी चुनाव के दौरान लिए गए निर्णय सहयोगियों की नाराजगी की वजह बनते दिख रहे हैं। एक तरफ महानदल ने सपा से गठबंधन तोड़ने का ऐलान कर दिया है। वहीं सपा के प्रमुख सहयोगी दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर की भी नाराजगी की बात सामने आ रही है।

दरअसल एक तरफ अखिलेश यादव ने 8 विधायकों वाले राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी को राज्यसभा भेजा। वहीं दूसरी तरफ यूपी चुनाव से पहले भाजपा छोड़कर सपा में शामिल हुए स्वामी प्रसाद मौर्य को विधान परिषद के लिए भेजा है। अखिलेश के इस निर्णय पर एक तरफ महान दल के नेता केशव देव मौर्य तो आरोप लगा दिया है कि अखिलेश यादव को कठपुतली नेता पसंद हैं, इसलिए उन्हें टिकट न देकर स्वामी प्रसाद मौर्य को विधान परिषद भेज दिया है। हम गठबंधन से अलग हो रहे हैं।
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ओम प्रकाश राजभर भी खफा, बेटे ने किया ये ट्वीट
वहीं अखिलेश के टिकट चयन से सुभासपा के ओम प्रकाश राजभर की भी नाराजगी की चर्चा है। दरअसल ओम प्रकाश राजभर अपने बेटे के लिए टिकट मांग रहे थे। सपा के गठबंधन में सुभासपा के पास 6 विधायक हैं, ऐसे में उनकी दावेदारी मजबूत भी मानी जा रही थी लेकिन अखिलेश यादव ने चार सीटों के लिए स्वामी प्रसाद मौर्य, जासमीर अंसारी, मुकुल यादव और शाहनवाज खान को तरजीह दी है।
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इस संबंध में ओम प्रकाश राजभर के बेटे अरुण राजभर ने बुधवार को ट्वीट किया, “भागीदारी देने की बात सिर्फ जुबा तक सीमित रखने से जनता उनको सीमित कर देती है, जो मेहनत करे ताकत दे उनको नजरअंदाज करो, जो सिर्फ बात करे उसको आगे बढ़ाओ, यह आगे के लिए हानिकारक है।”

दरअसल स्वामी प्रसाद मौर्य विधानसभा चुनाव हार गए थे लेकिन इसके बाद भी अखिलेश ने उन पर भरोसा जताया है। वहीं शाहनवाज खान को आजम खान का करीबी माना जाता है। चर्चा में इमरान मसूद का भी नाम था लेकिन आखिरकार शाहनवाज के नाम पर मुहर लगी।