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बगैर जीवन रक्षक उपकरण दिए कर्मचारियों से नालों की सफाई कराने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से कहा है कि वह ऐसे कर्मचारियों को शिक्षित कर उन्हें उनके अधिकारियों के प्रति जागरूक करे। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह पम्फलेट छपवाकर सफाई कर्मचारियों को बांटे, जिसमें उनको मिलने वाली योजनाओं और लाभों की जानकारी दी गई हो। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 13 जून की तिथि निर्धारित की है। यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और चंद्र कुमार राय की खंडपीठ ने स्वत: संज्ञान ली गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
कोर्ट ने कहा कि जब सफाई कर्मचारियों को उनके अधिकारियों के बारे में जागरूक नहीं किया जाएगा, तब तक उन्हें क्या पता उन्हें क्या-क्या हक मिले हैं। कोर्ट ने कहा कि ऐसे कर्मचारी शिक्षित नहीं है तो उन्हें शिक्षित किए बिना सरकार की ओर से बनाई गई स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) और अन्य लाभकारी योजनाओं का उद्देश्य पूरा नहीं होगा।
कोर्ट ने ऐसे कर्मचारियों के लिए बनाई गई योजनाओं को नोटिस बोर्ड पर चस्पा करने, उसका जनसंचार व अन्य माध्यमों के जरिये व्यापक रूप से प्रचारित करने को कहा है। कोर्ट ने प्रयागराज नगर निगम को लोगों की शिकायतों को सुनने के लिए एक पोर्टल विकसित करने को कहा है, जिससे कि आम नागरिक अपनी शिकायतों को सुलभ तरीके से अपलोड कर सके।
कोर्ट ने मामले में राज्य सरकार को उसके एक जिम्मेदार अधिकारी और नगर निगम प्रयागराज के नगर आयुक्त को आदेशों के अनुपालन में व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने को कहा है। इसके पूर्व मामले में सुनवाई के दौरान मामले में सरकार की ओर से शपथ पत्र दाखिल किया गया।
अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल और स्थायी अधिवक्ता रामानंद पांडेय ने कोर्ट को बताया कि प्रदेश के सभी स्थानीय निकायों को सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई में निर्धारित मानक संचालन प्रक्रिया का अनुपालन कराने के लिए सख्त निर्देश दिए गए हैं। इस दौरान नगर निगम प्रयागराज के अधिवक्ता की ओर से सीवर और सेफ्टिक टैंक की सफाई में लगाए गए उपकरणों की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की गई।
विस्तार
बगैर जीवन रक्षक उपकरण दिए कर्मचारियों से नालों की सफाई कराने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से कहा है कि वह ऐसे कर्मचारियों को शिक्षित कर उन्हें उनके अधिकारियों के प्रति जागरूक करे। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह पम्फलेट छपवाकर सफाई कर्मचारियों को बांटे, जिसमें उनको मिलने वाली योजनाओं और लाभों की जानकारी दी गई हो। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 13 जून की तिथि निर्धारित की है। यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और चंद्र कुमार राय की खंडपीठ ने स्वत: संज्ञान ली गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
कोर्ट ने कहा कि जब सफाई कर्मचारियों को उनके अधिकारियों के बारे में जागरूक नहीं किया जाएगा, तब तक उन्हें क्या पता उन्हें क्या-क्या हक मिले हैं। कोर्ट ने कहा कि ऐसे कर्मचारी शिक्षित नहीं है तो उन्हें शिक्षित किए बिना सरकार की ओर से बनाई गई स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) और अन्य लाभकारी योजनाओं का उद्देश्य पूरा नहीं होगा।
कोर्ट ने ऐसे कर्मचारियों के लिए बनाई गई योजनाओं को नोटिस बोर्ड पर चस्पा करने, उसका जनसंचार व अन्य माध्यमों के जरिये व्यापक रूप से प्रचारित करने को कहा है। कोर्ट ने प्रयागराज नगर निगम को लोगों की शिकायतों को सुनने के लिए एक पोर्टल विकसित करने को कहा है, जिससे कि आम नागरिक अपनी शिकायतों को सुलभ तरीके से अपलोड कर सके।
कोर्ट ने मामले में राज्य सरकार को उसके एक जिम्मेदार अधिकारी और नगर निगम प्रयागराज के नगर आयुक्त को आदेशों के अनुपालन में व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने को कहा है। इसके पूर्व मामले में सुनवाई के दौरान मामले में सरकार की ओर से शपथ पत्र दाखिल किया गया।
अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल और स्थायी अधिवक्ता रामानंद पांडेय ने कोर्ट को बताया कि प्रदेश के सभी स्थानीय निकायों को सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई में निर्धारित मानक संचालन प्रक्रिया का अनुपालन कराने के लिए सख्त निर्देश दिए गए हैं। इस दौरान नगर निगम प्रयागराज के अधिवक्ता की ओर से सीवर और सेफ्टिक टैंक की सफाई में लगाए गए उपकरणों की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की गई।
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