पत्थरबाजों की शिनाख्त के बीच पूरे अटाला क्षेत्र में लोगों की मुसीबत बढ़ गई है। हर कोई कार्रवाई के डर से सहमा हुआ है। पुलिस-पीएसी की घेरेबंदी के बीच शनिवार को सैकड़ों लोगों ने घर छोड़ दिया। मिर्जा गालिब रोड, शौकत अली मार्ग से लेकर मजीदिया इस्लामिया इंटर कॉलेज वाली गली में तमाम घरों पर ताले लटक रहे हैं।
तुलसीपुर से कादिर बख्श स्वीट तक सैकड़ों लोग घर छोड़ कर भाग गए हैं। कादिर बख्श इलाके के इम्तियाज अली बताते हैं कि पत्थर किसी और ने चलाए, लेकिन, अब कार्रवाई का डर अब हर किसी को सता रहा है। इसी वजह से लोग घरों से पलायन कर रहे हैं। कोई दूसरे मुहल्लों में शरण ले रहा है तो कोई रिश्तेदारों के यहां जा रहा है।
पत्थरों की बारिश के बाद अब अटाला की सूनी गलियों में पसरा खौफ
कच्चे मकान जिनके जलेे थे फसाद में/अफसोस उनका नाम ही बलवाइयों में था…। यह शेर संगम के शहर की फिजा बिगाड़ने की कोशिश में हुए बवाल को बयां करने के लिए काफी है। अटाला की जिन गलियों में शुक्रवार को पांच घंटे तक लगातार पत्थर बरसते रहे, वहां अब 24 घंटे बाद घरों में कैद लोगों की सांसें खौफ के साए में कटने के लिए मजबूर हैं। पत्थरबाजी, आगजनी और उपद्रव के निशान अभी भी वहां जस के तस पड़े हैं। जगह-जगह भागते समय गिरी मोटर साइकिलें, पैरों से छूटी चप्पलें और साइकिलें उस चीख-चिल्लाहट और दर्द की गवाही दे रही हैं। चाहे सड़कें हों या फिर गलियां, हर तरफ ऐसा सन्नाटा पसरा गया है, जैसे कर्फ्यू लगा हो। इसका अंजाम चाहे जो भी हो लेकिन, वहां के लोग मानते हैं कि जो भी हुआ वह संगम के शहर के मिजाज के लिहाज से अच्छा नहीं हुआ।
घरों से निकलने के लिए तैयार नहीं है कोई
अटाला के हालात बयां करने के लिए न तो लोगों के होठ हिल रहे हैं और ना ही कोई घरों से बाहर निकलने के लिए तैयार है। भीड़ से हमेशा ठसमठस रहने वाला अटाला बवाल के दूसरे दिन इसी तरह डरा-सहमा सा नजर आया। शुक्रवार को जहां भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा के बयान के विरोध में दुकानें बंद की गई गई थीं, वहां अब न तो घरों की खिड़कियां खुल पा रही हैं न दरवाजे। बीच-बीच में उन्हीं सूनी सड़कों पर पुलिस-पीएसी के दौड़ते वाहनों के गूंजते सायरन लोगों के दिलों की धड़कनें बढ़ा रहे हैं। अटाला में जहां बवाल हुआ वहां से महज सौ मीटर की दूरी पर रहने वाले फैयाज अहमद बुड्ढा ताजिया के पास उदास खड़े नजर आए।
उपद्रवियों को चिन्हित करने की मांग
काफी कुरेदने के बाद वह कहते हैं कि कितना अच्छा चल रहा था। क्या कहा जाए कि किसकी नजर लग गई। अब इस बवाल के बाद के अंजाम को सोच कर लोग सिहर जा रहे हैं। कोई कह रहा है कि घरों-मकानों पर बुलडोजर चलेंगे तो कोई सख्ती का अंदाजा लगाकर डरा हुआ है। शौकत अली मार्ग पर ही पुलिस-पीएसी के गश्त के बीच मोइनुद्दीन अहमद मिलते हैं। अटाला में उपद्रव की बात शुरू होते ही वह कहते हैं कि इस घटना से अटाला के लोगों का ताल्लुक नहीं है। इस बवाल का बीजारोपण करने वाले असल में वो कौन लोग थे, उनको चिह्नित किया जाना चाहिए। कोई फूलपुर से आया था तो कोई रसूलपुर से।
कुछ घरों में महिला और लड़कियां ही मौजूद
अटाला के जिन लोगों ने भी झगड़ा -फसाद करने वालों को रोका, वह उनसे ही उलझने लगे। फिलहाल अटाला में चाहे शौकत अली मार्ग हो या फिर मिर्जा गालिब रोड। तुलसीपुर से कादिर बख्श स्वीट तक सैकड़ों लोग घर छोड़ कर भाग गए हैं। कुछ घरों में सिर्फ बहन, बेटियां बची हैं तो कुछ घरों पर ताले लटक रहे हैं। दोपहर दो बजे तक नुरूल्लाह रोड बैरियर के पास आलम अस्पताल के अलावा अन्य अस्पतालों और स्कूलों में भी सियापा छाया रहा।
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