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सदर अस्पताल में ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट का उ

Ranchi : विश्व रक्तदाता दिवस के अवसर पर सदर अस्पताल में ऑनलाइन कार्यक्रम के माध्यम से ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट का शुभारंभ किया गया. कार्यक्रम का आयोजन प्रोजेक्ट भवन में किया गया था. इस ऑनलाइन कार्यक्रम में रांची, गिरिडीह और जमशेदपुर में ब्लड कंपोनेंट्स सेपरेशन यूनिट की शुरुआत की गई.

बिना ट्रांसफार्मर के ब्लड को शीत गृह में रखने में होगी दिक्कत

सदर अस्पताल में आयोजित कार्यक्रम के दौरान रांची के विधायक सीपी सिंह ने कहा कि ब्लड और ब्लड कंपोनेंट को सुरक्षित रखने के लिए शीतगृह की जरूरत है, लेकिन सदर अस्पताल में ट्रांसफार्मर के अभाव में ब्लड खराब हो जाएगा. उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री से आग्रह करते हुए कहा कि जल्द ही ट्रांसफार्मर की व्यवस्था की जाए. अन्यथा मैं अपने विधायक निधि से ट्रांसफार्मर खरीद कर सदर अस्पताल को दूंगा. हालांकि स्वास्थ्य मंत्री ने तुरंत ट्रांसफार्मर की खरीद के लिए विभाग को निर्देश देते हुए पैसे का भुगतान करने की बात कही.

रिम्स पर निर्भरता हुआ खत्म

वहीं रांची के सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार ने कहा कि थैलेसीमिया के सभी मरीजों को सदर अस्पताल से ब्लड दिया जाता है. ऐसे मरीजों को पैक्ड सेल की जरूरत होती है. अभी तक उन्हें होल ब्लड दिया जाता था. क्योंकि हमारे पास ब्लड सेपरेशन की व्यवस्था नहीं थी. जिस कारण हमें रिम्स पर निर्भर रहना पड़ता था. उन्होंने कहा कि अब सेपरेशन यूनिट के शुरू हो जाने से सभी मरीजों को सुविधा मिलेगी. कैंसर के पेशेंट को प्लेटलेट मिल सकेगा. जरूरतमंदों को प्लाज्मा भी दिया जाएगा.

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ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट से होगा ये फायदा
थैलेसीमिया : ऐसे मरीजों को लाल रक्त कणिकाएं (आरबीसी) की जरूरत होती है. अब ब्लड से आरबीसी अलग करके थैलेसीमिया के मरीजों को चढ़ाना आसान होगा.
डेंगू : डेंगू के मरीजों को प्लेटलेट्स चढ़ाए जाते हैं. इस मशीन से खून से प्लेटलेट्स अलग किए जाएंगे.
बर्न केस यानी जले हुए : बर्न केस के मरीजों को बचाने के लिए प्लाजमा की जरूरत होती है. यहां पर इस तरह की व्यवस्था नहीं है. इस मशीन से अब प्लाजमा और फ्रेश फ्रोजन प्लाजमा (एफएफपी) को अलग कर चढ़ाए जा सकेंगे.
एड्स : एड्स के मरीजों को श्वेत रक्त कणिकाएं (डब्ल्यूबीसी) की जरूरत होती है. यह मशीन खून से डब्ल्यूबीसी को अलग करने में भी कारगर साबित होगी.

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