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साइबर अपराधी लोगों को ठगने के लिए नए-नए तरीके अपनाते हैं। एक तरीका कॉल करके परिचित बताकर ठगने का है। इसमें अपराधियों के लिए कॉलर आईडी एप मददगार साबित हो रहा है। एप की मदद से लोगों के नाम और निवास स्थान के क्षेत्र का पता कर लेते हैं। इसके बाद कॉल करके परिचित और रिश्तेदार बताते हैं। इससे लोग विश्वास करके बात करने लगते हैं। कई बार ठगी का शिकार हो जाते हैं। ऐसे में पुलिस लोगों को इस तरह के कॉल आने पर सावधान रहने की सलाह दे रही है।
पुलिस के मुताबिक, मोबाइल पर कौन कॉल कर रहा है। कहां का रहने वाला है? यह पता करने के लिए लोग अपने मोबाइल पर कॉलर आईडी एप डाउनलोड करते हैं। एप पर लोगों के नाम, निक नेम और रहने वाले क्षेत्र के बारे में जानकारी मिल जाती है। इसका फायदा साइबर अपराधी भी उठाते हैं। पुलिस की जांच में यह बात सामने आई है। वह कॉल करने पर वही नाम बताते हैं, जिस नाम को एप दिखाता है। इससे लोग समझते हैं कि कोई जानने वाला कॉल कर रहा है। इसके बाद ठगी का शिकार हो जाते हैं।
प्रत्येक थाने में बनाई हेल्प डेस्क
एडीजी जोन राजीव कृष्ण ने बताया कि लोग किसी अंजान नंबर से कॉल करके रिश्तेदार और परिचित बताने वाले से सावधान रहें। उनके बारे में ठीक से पता कर लें। इसके बाद ही बात करनी चाहिए। मोबाइल पर कोई अंजान सोर्स से कोई लिंक आता है, उस पर क्लिक नहीं करना चाहिए। कॉलर आईडी एप सहित अन्य एप पर अपनी निजी जानकारी शेयर नहीं करनी चाहिए। साइबर ठगी होने पर पुलिस से शिकायत करें। प्रत्येक थाने में हेल्प डेस्क बनाई गई हैं।
जीजाजी बनकर निकाल ली रकम
सिकंदरा क्षेत्र के एक युवक के पास 15 दिन पहले एक कॉल आया। कॉल करने वाले ने युवक का नाम लिया। इसके बाद कहा कि जीजाजी बोल रहा हूं। आवाज साफ नहीं आने की वजह से युवक जीजाजी ही सुन पाया। घर परिवार का हाल चाल लेने के बाद युवक से कहा कि वह खाते में रुपये भेज रहे हैं। इसे घर आने पर ले लेंगे। युवक के व्हाट्सएप पर एक बार कोड आया। इसे स्कैन करते ही युवक के खाते से 8800 रुपये निकल गए। पीड़ित ने साइबर सेल में शिकायत की है।
ग्राहक बनकर मंगाया सामान
हरीपर्वत क्षेत्र के एक दुकानदार के खाते से 12600 रुपये निकाल लिए गए। दुकानदार ने अपनी शिकायत में बताया कि उनके पास किसी ने कॉल किया। कहा कि वह आपकी दुकान पर अक्सर सामान खरीदने आता है। घर का सामान चाहिए। इस बार आ नहीं सकता है। सामान लिखा देता है। उसे घर पहुंचा देना। पेमेंट आनलाइन कर देता है। दुकानदार ने हां बोल दिया। इस पर उनके मोबाइल पर एक क्यूआर कोड आया। उन्होंने क्यूआर कोड को ई वालेट से स्कैन किया। उनके खाते से रकम कट गई। उन्होंने पुलिस से शिकायत की है।
विस्तार
साइबर अपराधी लोगों को ठगने के लिए नए-नए तरीके अपनाते हैं। एक तरीका कॉल करके परिचित बताकर ठगने का है। इसमें अपराधियों के लिए कॉलर आईडी एप मददगार साबित हो रहा है। एप की मदद से लोगों के नाम और निवास स्थान के क्षेत्र का पता कर लेते हैं। इसके बाद कॉल करके परिचित और रिश्तेदार बताते हैं। इससे लोग विश्वास करके बात करने लगते हैं। कई बार ठगी का शिकार हो जाते हैं। ऐसे में पुलिस लोगों को इस तरह के कॉल आने पर सावधान रहने की सलाह दे रही है।
पुलिस के मुताबिक, मोबाइल पर कौन कॉल कर रहा है। कहां का रहने वाला है? यह पता करने के लिए लोग अपने मोबाइल पर कॉलर आईडी एप डाउनलोड करते हैं। एप पर लोगों के नाम, निक नेम और रहने वाले क्षेत्र के बारे में जानकारी मिल जाती है। इसका फायदा साइबर अपराधी भी उठाते हैं। पुलिस की जांच में यह बात सामने आई है। वह कॉल करने पर वही नाम बताते हैं, जिस नाम को एप दिखाता है। इससे लोग समझते हैं कि कोई जानने वाला कॉल कर रहा है। इसके बाद ठगी का शिकार हो जाते हैं।
प्रत्येक थाने में बनाई हेल्प डेस्क
एडीजी जोन राजीव कृष्ण ने बताया कि लोग किसी अंजान नंबर से कॉल करके रिश्तेदार और परिचित बताने वाले से सावधान रहें। उनके बारे में ठीक से पता कर लें। इसके बाद ही बात करनी चाहिए। मोबाइल पर कोई अंजान सोर्स से कोई लिंक आता है, उस पर क्लिक नहीं करना चाहिए। कॉलर आईडी एप सहित अन्य एप पर अपनी निजी जानकारी शेयर नहीं करनी चाहिए। साइबर ठगी होने पर पुलिस से शिकायत करें। प्रत्येक थाने में हेल्प डेस्क बनाई गई हैं।
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