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कोरोना टीकाकरण: लोग नहीं दिखा रहे दिलचस्पी, यही स्थिति रही तो 34 लाख से ज्यादा डोज हो जाएगा बर्बाद

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Ranchi: झारखंड कोविड-19 की धीमी वैक्सीनेशन की समस्या से जूझ रहा है. झारखंड को आवंटित वैक्सीन के 30 लाख से अधिक खुराक का एक बड़ा हिस्सा उपयोग नहीं होने के वजह से बर्बाद होने का डर है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कुछ लोग वैक्सीन लेने से इंकार करते है. जिस वजह से इस विशेष अभियान की गति धीमी हो गई है. झारखंड की लेटेस्ट खबरों के लिए यहां क्लिक करें…

01 जून से हर घर दस्तक अभियान

झारखंड ने मिशन मोड पर टीकाकरण कवरेज में सुधार के लिए एक जून से हर घर दस्तक कार्यक्रम शुरू किया है. हालांकि 12-14 और 15-17 आयु वर्ग के लोगों के साथ-साथ एहतियाती खुराक के लिए लाभुकों के बीच गति धीमी रहती है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने राज्य को आवंटित खुराक जो अगले 6 महीने में एक्सपायर हो जाएगी पर चिंता व्यक्त किया है. उन्होंने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को राज्य में टीकाकरण में तेजी लाने का निर्देश दिया है. जो इसके उपयोग नहीं होने के कारण खराब हो सकता है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजी गई रिपोर्ट से लिया गया है आंकड़ा

राज्य के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार कुल 34,76,340 खुराक का उपयोग नहीं होने पर दिसंबर 2022 में एक्सपायर होने का खतरा है. 34,76,340 में से 1,03,300 जुलाई में समाप्त होने की उम्मीद है. जबकि अगस्त में 69,570 खुराक, सितंबर में 6,41,860, नवंबर में 4,80,130 और दिसंबर में 7,45,400 खुराक हैं. आंकड़े राज्य के स्वास्थ्य विभाग द्वारा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजी गई रिपोर्ट से ली गई है.

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आंकड़ों की पड़ताल

इस बीच हमने ने पिछले 14 दिनों के दौरान राज्य में टीकाकरण कवरेज की पड़ताल की है. (चूंकि हर घर दस्तक 1 ​​जून को शुरू हुआ था) और यह कम रहा. राज्य के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार पिछले 14 दिनों में कुल 2,36,198 खुराकें दी गयी. 14 जून को कुल खुराक 4,03,75,549 थी. जबकि 31 मई को यह 4,01,39,351 थी. यह प्रति दिन औसतन लगभग 16,800 खुराक राज्य में छूट जाता है, जो कि कम है. राज्य में टीकाकरण के नोडल अधिकारी डॉ राकेश दयाल ने कहा कि सभी खुराक का उपयोग करने में सक्षम होंगे. क्योंकि उनके पास अभी भी समय है और कोई भी खुराक बेकार नहीं जाएगी. हालांकि कुछ श्रेणियों में धीमी कवरेज के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि लोग एहतियाती खुराक लेने के लिए अनिच्छुक हो गए हैं और यह उनके लिए एक बड़ी चुनौती है. 60 साल से अधिक आयु के लोग पूरी तरह से वैक्सीन के प्रति दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं. उन्हें लगता है किन कोरोना खत्म हो गया है. इसने हमारे कवरेज को काफी हद तक प्रभावित किया है.

टीकाकरण कवरेज बढ़ाये जाने के लिए विभाग उठा रहा है कदम

इसके अलावा फ्रंट लाइन वर्कर और हेल्थ केयर वर्कर जो टीका के लिए पात्र हैं, वे भी अपनी एहतियाती खुराक के लिए नहीं आए हैं. जिससे रफ्तार धीमा हो रही है. उन्होंने सभी लोगों से अपना टीका जल्द से जल्द लेने का आग्रह किया. यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठा रहे हैं कि कवरेज बढ़े.

एक्सपायर होने से पहले टीका लगा देने का लक्ष्य

यह पूछे जाने पर कि खुराक की समय सीमा समाप्त न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं इस पर डॉ दयाल ने कहा कि जिलों को उन खुराकों का उपयोग करने के लिए निर्देशित किया गया है जिसका एक्सपायरी का समय कम बचा हैं, ताकि यह बेकार न जाए.

एमडी एनएचएम से नहीं हो सका संपर्क

टीकाकरण अभियान में कवरेज की धीमी गति राज्य के स्वास्थ्य विभाग के साथ काम कर रहे 12,000 से अधिक संविदा कर्मचारियों को हटाने का भी परिणाम है. इस विषय पर एमडी एनएचएम आदित्य आनंद से संपर्क किया, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका.

इन श्रेणियों के लोग टीकाकरण में पीछे

इस बीच जो श्रेणियां अभी भी टीकाकरण के कवरेज से पीछे है उनमें 12-14 आयु वर्ग के साथ-साथ 15-17 आयु वर्ग के अलावा एहतियाती खुराक के लिए पात्र लोग जिनमें हेल्थ वर्कर, फ्रंटलाइन वर्कर और 60 वर्ष से अधिक आयु के लोग शामिल हैं.

प्रिकॉशनरी डोज सबसे कम

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार 12-14 आयु वर्ग के लाभार्थियों में से 49 प्रतिशत को पहली खुराक दी गई है. जबकि दूसरी खुराक में यह मात्र 17 प्रतिशत है. वहीं 15-17 आयु वर्ग में पहली और दूसरी खुराक के लिए कवरेज 61 और 36 प्रतिशत है. सभी में सबसे कम एहतियाती खुराक कवरेज है. जिसमें राज्य में कुल लाभार्थियों में से केवल नौ प्रतिशत ही लाभ उठा रहे हैं.

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