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झारखंड : धान के बीज के दाम 20% तक बढ़े, खेती- किसानी पर महंगाई का दिख रहा असर

Vijay Kumar

Ranchi : झारखंड में मॉनसून की आहट के साथ ही किसान खरीफ फसल की तैयारी में जुट जाते हैं. इस बार समय से मॉनसून आने की संभावना से किसानों में उम्मीद जगी है. झारखंड में खरीफ फसल में धान, मक्का, अरहड़ और उड़द की खेती होती है, जबकि पहाड़ी इलाकों में ज्वार की खेती की जाती है. लेकिन झारखंड में खरीफ का मुख्य फसल धान को माना जाता है. इसी लिहाज से धान की खेती को लेकर किसान तैयारी में जुट गए हैं. लेकिन बढ़ती महंगाई और पेट्रोल- डीजल की बढ़ती कीमतों की वजह से प्रति किलो धान के बीज में 15 से 20% की वृद्धि पिछले साल की अपेक्षा इस वर्ष देखने को मिल रही है. जिसके कारण किसानों को धान के बीज के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ रही है.

धान बेचकर घर का चलता है राशन- हीरामणि

किसान धान का बिछड़ा तैयार करने के लिए धान के बीज शहर में थोक विक्रेता से खरीदते हैं या फिर ग्रामीण इलाकों में खुदरा विक्रेता से खरीदते हैं. चान्हो की महिला किसान हीरामणि उरांव ने बताया कि प्रत्येक वर्ष 2 एकड़ खेत के लिए 20 से 22 किलो धान का बीज खरीद कर लगाना पड़ता है. लेकिन इस बार प्रत्येक किलो में 15 से 20 रुपये की वृद्धि देखने को मिल रही है. पिछले साल अच्छी खेती हुई थी. इसलिए खेत को तैयार कर पहली ही बरसात में धान की रोपाई का प्लान है. बारिश अच्छी होती है, तो खेती अच्छा होता है. उन्होंने बताया कि खाने भर धान रख लेते हैं. बाकी को बेच देते हैं. उससे घर का राशन- पानी चल जाता है. लेकिन सारा कुछ मौसम पर निर्भर है. ऊपर से बढ़ती महंगाई हम किसानों पर दोहरा बोझ डाल देता है.

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उपज का नहीं मिलता सही दाम

वहीं ओरमांझी के किसान सोहनलाल की मानें तो खेती में जितना लागत आता है, उतना मुनाफा नहीं होता है. उपज को जब बाजार में बेचने जाते हैं, तो उसकी कीमत नहीं मिलती है. लगभग 1 एकड़ खेत में धान की खेती करते हैं. लेकिन लगता है अब धीरे-धीरे खेती किसानी को छोड़ना पड़ेगा.

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पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमत का है असर

धान के थोक विक्रेता संगीत कुमार डालमिया ने बताया कि पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमत के कारण ट्रांसपोर्टिंग का अधिक किराया लगता है. जिसके कारण कृषि उपकरण से लेकर खाद -बीज तमाम चीजों में वृद्धि हुई है. वहीं थोक विक्रेता न्यू धरती धान दुकान के दुकानदार जयंत झा की मानें तो बाजार में सैकड़ों कंपनी के धान के बीज उपलब्ध हैं. किसी कंपनी के धान की कीमत में वृद्धि हुई है तो कोई कंपनी अपने दाम को कम कर रखी है. जिस धान के बीज की अधिक बिक्री होती है, उसकी कीमत अधिक है.

राज्य में 18 लाख हेक्टेयर में होती है धान की खेती

झारखंड के कुल क्षेत्रफल का 80 फीसदी कृषि ग्रामीण क्षेत्र में होती है. झारखंड में कृषि योग्य भूमि लगभग 28 से 30 लाख  हेक्टेयर है. लगभग 18 लाख हेक्टेयर में सिर्फ धान की खेती की जाती है. झारखंड की कृषि योग्य जमीन को तीन कैटेगरी में बांटा गया है- एक नंबर खेत, दो नंबर खेत, तीन नंबर खेत. उसी के आधार पर किसान धान का बिचड़ा तैयार कर खेती करते हैं.

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