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Editorial: भोले-भाले छात्रों को भड़काने की साजिश होगी नाकाम

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18-6-2022

पैसा ही पैसे को खींचता है संवाद को कुछ लोगों ने अलग ही लेवेल पर ले लिया है। किसी को युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ का अधिकार नहीं मिला है, परंतु इसके नाम पर देश में आगजनी करने का अधिकार भी किसी को नहीं दिया जाना चाहिए।

इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे अग्निपथ योजना के नाम पर हो रहे हिंसक प्रदर्शन वास्तव में बिहार के कोचिंग माफिया की कुंठा है जो अपने ग्राहकों को अपने हाथ से फिसलता देख व्यथित हो रहा हैं।

छात्रों को बरगलाओ, भड़काओ, उकसाओ और फिर आग लगवाओ, कोचिंग माफियाओं ने इसे अपना मॉडल बना लिया है। अब अग्निपथ स्कीम के नाम पर इन कोचिंग माफियाओं ने छात्रों को उकसाकर देश को फिर एक बार हिंसा की आग में झोंक दिया। इस वक्त अग्निपथ स्कीम को लेकर देशभर में बवाल मचा हुआ है। उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार तक कई राज्यों में योजना के विरोध में सड़कों पर संग्राम मच गया। छात्रों की आड़ में उपद्रवी आगजनी, पत्थरबाजी और तोडफ़ोड़ कर रहे हैं। सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। ट्रेनों में आग लगाई जा रही हैं।

परंतु अग्निपथ योजना मामले में जिस तरह अचानक तेजी से युवाओं में प्रतिरोध देखने को मिला, बड़े पैमाने पर युवा इक_ा होकर सड़कों पर उतरे, और हिंसक विरोध प्रदर्शन भी शुरू कर दिए, यह किसी बड़े षड्यंत्र का हिस्सा लगते हैं। अचानक उग्र हुए इस प्रदर्शन में सबसे बड़ा हाथ कोचिंग माफिया का माना जा रहा है। इसी ओर संकेत देते हुए प्रसार भारती के पूर्व सीईओ शशि शेखर वेमपति ने ट्वीट किया, “यह विश्वास करना असंभव कि ये सभी प्रदर्शन एक साथ एक ही जगह हो जाए। ये निस्संदेह एक सुनियोजित योजना के अंतर्गत हो रहे हैं। अन्यथा इतनी जल्दी कुछ अभ्यर्थी इतने कम समय में प्रदर्शन के लिए कैसे इक_ा हो सकते हैं?”

यहां साफ-साफ पता चलता है कि मामला लाखों की कोचिंग फीस से संबंधित है। देखा जाए तो अग्निपथ स्कीम से सबसे ज्यादा नुकसान कोचिंग माफिया को ही होने वाला है। छात्रों से फीस के नाम पर यह कोचिंग माफिया मोटी कमाई करते हैं। अगर कम उम्र में ही युवा सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करने लगेंगे, तो इन कोचिंग माफियाओं का धंधा चौपट हो जाएगा और इन कोचिंग माफियों की दुकान बंद हो जाएगी। इसलिए युवाओं में झूठ फैलाकर देश को हिंसा की आग में यह कोचिंग माफिया झोंकने की प्रयास कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी अनेक यूजर्स ने इसी दिशा में विभिन्न ट्वीट्स और थ्रेड्स के माध्यम से कोचिंग माफिया पर निशाना साधा है –

अब आप भी सोच रहे होंगे, ये सब संभव कैसे है? यदि अग्निपथ योजना प्रारंभ होगी तो इससे देश के युवाओं को रोजगार के अनेक अवसर मिलेंगे, सरकारी एजेंसियों एवं सुरक्षाबलों में प्राथमिकता मिलेगी, और कोचिंग माफिया को निल बट्टे सन्नाटा! 4 से 6 वर्ष जो युवा उच्च से उच्चतम कौशल सीख कर ऐसे कार्य करे, जिससे वह न केवल अपना, अपितु अपने आसपास के लोगों का भला कर लें, तो वह भला क्यों किसी माफिया के चंगुल में फंसेगा?

यहां गौर करने वाली बात एक यह भी है कि अग्निपथ योजना को लेकर सबसे अधिक उबाल बिहार में ही देखने को मिल रहा है। तीन दिनों से बिहार में स्कीम के विरोध में हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। बिहार वो राज्य है, जहां यह कोचिंग माफिया सबसे अधिक सक्रिय हैं। बिहार में ही सबसे पहले ऐसे मामलों में विरोध शुरू होते हुए देखने को मिलता है। कई हिंसक आंदोलन यहीं से भड़काए जाते हैं। जनवरी 2022 में क्रक्रक्च-हृञ्जक्कष्ट परीक्षा परिणामों को लेकर उग्र विरोध प्रदर्शन हुए थे, जिसकी चिंगारी भी बिहार से ही उठी थीं। इन दंगों को कोचिंग माफिया द्वारा भड़काया जाता हैं।

लाखों युवाओं को यह अपने चुंगल में फंसाए हुए हैं, और वैसे भी जब धंधे पानी पर ही लात पड़े तो आदमी बिलबिलाएगा नहीं क्या?

इसीलिए जब अग्निपथ से जुड़े हिंसक प्रदर्शन से यदि आप व्यथित हो रहे हों, तो तनिक ध्यान से देखें। यदि ये वास्तव में देश के युवा होते, तो क्या इनका क्रोध सत्ता के अत्याचारी अधिनियमों अथवा इस योजना की उन खामियों के प्रति होता जो वास्तव में हैं ही नहीं, सोचने वाली बात हैं कि वास्तिक युवा जो अपने जीवन में कुछ करना चाहते तो वे इस योजना में परिवर्तन लाने की बात करते, देश की संपत्ति को स्वाहा करने की नहीं। ये काम कोचिंग माफिया के लिए ही उपयुक्त है जिन्हें बिहार में कुछ ज्यादा ही आश्रय मिल रहा है।