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मंत्री डॉ. टेकाम ने वीरांगना रानी दुर्गावती को किया नमन

अनुसूचित एवं जनजाति विकास मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने आज रायपुर के केनाल लिंकिंग रोड स्थित वीरांगना रानी दुर्गावती के 459वें बलिदान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने वीरांगना रानी दुर्गावती की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर नमन किया। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग की उपाध्यक्ष डॉ. सुश्री राजकुमारी दीवान, सदस्य श्रीमती अर्चना पोर्ते, सर्व आदिवासी समाज के संरक्षक श्री बी. पी. एस. नेताम, उपाध्यक्ष श्री आनंद टोप्पो एवं सचिव श्री के.एस. ध्रुव सहित सर्व आदिवासी समाज, छत्तीसगढ़ आदिवासी शासकीय सेवक संघ एवं आदिवासी छात्र संगठन के अनेक पदाधिकारी एवं सदस्य उपस्थित थे।
मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में रानी दुर्गावती की वीरगाथा को याद करते हुए उनके अदम्य साहस और पराक्रम को नमन करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि आज ही के दिन गोंडवाना साम्राज्य की वीरांगना रानी दुर्गावती ने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वाेच्च बलिदान दिया। डॉ. टेकाम ने कहा कि रानी दुर्गावती भारत की एक प्रसिद्ध वीरांगना हैं, जो गोंडवाना राज्य की उत्तराधिकारी बनीं। उन्होंने लगभग 15 साल तक गोंडवाना में शासन किया। रानी दुर्गावती हमारे देश की वो वीरांगना है, जिन्होंने अपने राज्य की रक्षा के लिए मुगलों से युद्ध कर वीरगति को प्राप्त हो गई।
छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग की उपाध्यक्ष डॉ. सुश्री राजकुमारी दीवान ने कहा कि वीरांगना रानी दुर्गावती ने मुगल शासकों से लोहा लिया और उनकी पराधीनता को स्वीकार नहीं करते हुए बहादुरी से लड़ते हुए वीरगति प्राप्त की। राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग की सदस्य श्रीमती अर्चना पोर्ते ने कहा कि रानी दुर्गावती का विवाह गोंड राजा दलपत शाह के साथ हुआ था। विवाह के चार वर्ष के बाद उनके पति की असामयिक मृत्यु हो गई। उन्होंने अपने पुत्र वीर नारायण को सिहासन पर बैठाकर संरक्षक के रूप में मध्यप्रदेश राज्य के गोंडवाना क्षेत्र गढ़मण्डला में शासन किया। रानी दुर्गावती ने मातृभूमि के रक्षा के लिए अंतिम सांस तक मुगल सेना का बहादुरी से मुकाबला किया।