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रांची: बच्चों का भविष्य संवारने की कोशिश, जोड़े गए 60 पैरा-लीगल वालंटियर

Shruti prakash singh

Ranchi: राजधानी रांची में बच्चों के भविष्य को संवारने की कोशिश की गई है. सीनी ( Child in need institute) में पहली बार 60 पीएलवी यानी पैरा-लीगल वालंटियर को जोड़ा गया है. पीएलवी को जोड़ने का मुख्य कारण है लोगों के बीच बच्चों के साथ हो रहे अपराध को रोकना और लोगों को जागरूक करना. बता दें कि हमारे आसपास छोटे बच्चे काम करते हुए दिखाई देते हैं. इसकी मुख्य वजह ये है कि या तो वे बच्चे गरीब हैं या उनमें जागरूकता की कमी है. जागरूकता को लेकर एनजीओ सीनी ने एक अच्छी पहल की शुरुआत की है. बता दें कि रांची में पहली बार बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए समाज को प्रेरित करने का काम किया गया है. एनजीओ सीनी ने पीएलवी को जोड़ा है. इससे पहले खूंटी जिले में भी पीएलवी को जोड़ा गया था. 60 पीएलवी हैं जो ग्राउंड लेवल पर काम करेंगे.

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PLV होता है क्या, कैसे करता है काम ?

साल 2009 में पैरा-लीगल वालंटियर नाम की एक स्कीम शुरू की गयी थी. जिसके तहत समाज के विभिन्न क्षेत्रों से आये लोगों का चयन करके उन्हें न्यायिक प्रशिक्षण दिया जाता है. इन्हीं चयनित एवं प्रशिक्षित लोगों को हम आम भाषा में “पैरा-लीगल वालंटियर”(PLV) बोलते हैं. पैरा-लीगल वालंटियर” का मतलब यह है कि एक ऐसा व्यक्ति जिसे क़ानून की बुनियादी जानकारी तो है लेकिन वह पूर्ण रूप से वक़ील नहीं है. इनका मुख्य काम समाज और न्याय संस्थाओं के बीच की दूरी को कम करना है.

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CINI टीम लीडर अनीता सिन्हा इस संबंध में क्या कहती हैं CINI टीम लीडर अनीता सिन्हा

सवाल: PLV को CINI के साथ जोड़ने की कोई खास वजह ?

जवाब: सबसे खास वजह ये है कि PLV चाइल्ड अप्रोच पर काम करती है. CINI प्रिवेंशन मोड पर ज्यादा काम करना पसंद करती है. यानी कि ऐसी स्थिति उत्पन ही न हो जिससे बच्चों की सुरक्षा जोखिम में आए. कम्युनिटी स्तर पर जैसे ग्राम बाल संरक्षण समिति, आंगनबाड़ी सेविका होती है. PLV भी वहीं मौजूद होते हैं. समुदाय से एक्सीसेबल होते हैं और स्थानीय समस्यायों का वहीं निराकरण करना और लोगों को जागरूक करना होता है.

सवाल : पैरा लीगल के दैनिक कार्य क्या हैं ?

जवाब: पैरा लीगल नीड बेस असिस्टेंट प्रोवाइड करते हैं. जहां जरूरत होती है, जिस वक्त जरूरत होती है, वो वहां मौजूद रहते हैं. जब लोगों को इसकी जरूरत हुई या ऐसा कोई मामला उनके संज्ञान में आता है तो फिर वो उसपर काम करना शुरू करते हैं.

सवाल: आप लोग कितनी बार इस प्रकार के जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करते हैं ?

जवाब:  रांची जिले की अगर बात करें तो PLV पहली बार जुड़ा हुआ है. इस तरह का प्रशिक्षण हमने खूंटी जिले में भी करवाया है. लोगों को कैंप लगा कर, उनके पास जाकर भी जागरूक किया जाता है. यह काम DALSA और डिस्ट्रिक चाइल्ड प्रोटेक्शन यूनिट रांची के सहयोग से कर रहे हैं.

सवाल: CINI को काम करने के लिए फंडिंग कौन करता है ?

जवाब: हमारे डोनर्स होते हैं. कुछ प्रोजेक्ट हैं जिसमें सरकार फंडिंग करती है. लेकिन अभी झारखंड में ऐसा नहीं है. झारखंड में केवल डोनर्स हैं.

सवाल: आपको इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा क्या प्रेरित करता है ?

जवाब: बच्चे हमारे देश के भविष्य हैं. झारखंड में अभी भी ऐसी जगहें हैं जहां लोगों में बच्चों के साथ होने वाले अपराध को नजरअंदाज किया जाता है. उनको जागरूक करना, उनकी दिक्कतों को समझना जरूरी है. बच्चों को बचपन में ही सिखाना जरूरी है कि उनका काम क्या है ? उनकी जिम्मेदारी क्या है ? जिससे बच्चे अपने भविष्य को संवार सकें. अगर पूरा समाज इस मुद्दे को गंभीरता से लेगा तो झारखंड ही नहीं पूरे देश का भविष्य उज्जवल होगा.

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