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रांची : रातू किले का ऐतिहासिक रथयात्रा, हजारों श्रद्धालु होंगे शामिल

Ranchi : कोरोना काल के बाद यानी दो साल बाद इस वर्ष बड़े ही धूमधाम से 1 जुलाई को रथयात्रा  का आयोजन होगा. राज्य सरकार की ओर से सारी पाबंदी हटा ली गई है. छोटानागपुर के ऐतिहासिक रातू किले में लगने वाले रथयात्रा का अपना ही खास महत्व है. आषाढ़ मास की द्वितीया तिथि में रथ मेला का आयोजन होता है.

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सुरक्षा के रहेंगे पुख्ता इंतजाम

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दो साल से मेला आयोजन पर राज्य सरकार की ओर से रोक लगायी गई थी क्योंकि कोरोना काल के दौरान लोगों को भीड-भाड़ वाले जगहों में बचने की सलाह दी जा रही थी. इस वर्ष लोगों में रथ मेला को लेकर अभी से ही खास उत्साह देखने को मिल रहा है. लकड़ी से बने भगवान के रथ को विशेष रुप से सजाया जाता है. पारंपारिक वाद्य यंत्र से पूरा वातावरण इस दिन गूंज उठता है. भक्त मंदिर में पूजा -अर्चना करने के बाद रथ को स्पर्श कर आर्शीवाद लेते हैं.  बच्चों के लिए  मेला में झूला और खिलौना आकर्षण का केंद्र होता है.  कई लोग व्यवसाय भी करते हैं जिससे उनकी अच्छी खासी कमायी हो जाती है. इस वर्ष भी सुरक्षा को लेकर पुलिस प्रशासन चौकस औऱ मुस्तैद दिखेगी.

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छोटकागढ़ के नाम से प्रसिद्ध है रातू रथयात्रा

भगवान जगन्नाथ रथ पर सवार होकर नौ दिन के लिए मौसीबाड़ी जाते हैं, नौ दिन बाद ही मौसीबाड़ी से उनका आगमन मुख्य मंदिर में होता है. रथयात्रा के दिन सुबह चार बजे से ही राजपुरोहित द्वारा विधि विधान पूर्वक पूजा-अर्चना कर मंदिर का मुख्य गेट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाता है. भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र की जयकारे से मंदिर परिसर गूंज उठता है. छोटकागढ़ के नाम से रातू किला की रथ यात्रा को जाना जाता है. महाराज और युवराज की मृत्यु होने के बाद इस प्रथा को उनकी पुत्री और पुत्रवधू द्वारा आज भी जारी रखा गया है.

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