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रांची: मौसीबाड़ी से घर लौटे भगवान जगन्नाथ, प्रभु के दर्शन के लिए उमड़ी भारी भीड़

कौशल

Ranchi: मौसीबाड़ी में नौ दिनों तक आतिथ्य स्वीकार करने के बाद भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ जगन्नाथ धाम लौट आये. नियमित पूजा-अर्चना और महाआरती के बाद राजधानी के जगन्नाथपुर में भगवान जगन्नाथ की घुरती रथयात्रा निकली.

रास्ते भर भगवान की पूजा-अर्चना

भगवान को विदा करने श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी. मौसीबाड़ी से जगन्नाथ मंदिर के बीच रास्ते में कई जगहों पर भगवान की आरती उतारी गयी. पुष्प की बारिश कर श्रद्धालु सर्व मंगल की कामना की. शाम 6 बजे भगवान का रथ मंदिर पहुँचा. बारी-बारी से रथारूढ़ तीनों विग्रहों को रथ से उतार कर मंदिर में विराजमान कराया गया. जयकारे के बीच भगवान की 108 मंगल आरती उतारी गई. रात आठ बजे तक दर्शन-पूजन चला. भोग लगाने के बाद भगवान का शयन कराया गया.

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देवशयनी एकादशी के दिन लौटे भगवान

बता दे कि 1 जुलाई को रथयात्रा निकाली गई थी. वहीं नौ दिनों के बाद 10 जुलाई को घुरती रथयात्रा के साथ मेला का समापन हो गया. अंतिम दिन मेले में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे. मंदिर के पुजारी कौस्तुभ मिश्रा के अनुसार रविवार को सुबह से मौसीबाड़ी में भगवान की पूजा हुई. वहीं, दोपहर में पट बंद कर घुरती रथयात्रा की तैयारी शुरु हो गई. संध्या में दर्शन-पूजन के बाद भगवान जगन्नाथ की घुरती रथयात्रा निकली. देवशयनी एकादशी के दिन मौसीबाडी से भगवान अपने धाम लौट गये. उनके साथ बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा भी लौटे.

4 मास भगवान करेंगे विश्राम

सावन मास की शुरुआत 14 जुलाई से आरंभ हो रहा है. रात आठ बजे के बाद चातुर्मास आरंभ हो गया. मान्यता है कि चातुर्मास के चार माह भगवान विष्णु क्षीर सागर में विश्राम करते हैं. इस दौरान भगवान का दर्शन वर्जित रहता है. ऐसे में विष्णु रूप भगवान जगन्नाथ का भी दर्शन वर्जित हो जाएगा. सिर्फ नियमित पूजा-अर्चना होगी. पंडित कौस्तुभ मिश्रा के अनुसार चार नवंबर को देवोत्थान एकादशी के दिन भगवान क्षीर सागर से वापस लौटेंगे. इसी के साथ दर्शन-पूजन आरंभ हो जाएगा.

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अंतिम दिन मेले की चमक चरम पर

रथमेला के अंतिम दिन मेले की रौनक देखते ही बन रहा था. दोपहर बाद से ही मेले में भीड़ जुटनी शुरु हो गई, जो रात तक रही. दर्शन पूजन के बाद लोगों ने मेले का जमकर आनंद उठाया. साथ ही मनपसंद व्यंजन के लुत्फ उठाये. जमकर खरीदारी भी की. वहीं बच्चों ने झूला, सर्कस का मजा लिया. घुरती रथयात्रा के बाद मेला भी खत्म हो गया.

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