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आखिर क्या है यूपी की नई तबादला नीति? जिस पर इतना मचा है हंगामा

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश में जब से योगी सरकार सत्ता में दोबारा आई है, तब से ऐक्शन में दिखाई दे रही है, लेकिन योगी सरकार की सबसे ज्यादा किरकिरी स्वास्थ्य विभाग में हुए तबादलों ने करवाई और रही सही कसर पीडब्ल्यूडी में हुए तबादलों ने कर दी। कहा जा रहा है कि दोनों विभागों में किए गए तबादलों में नई ट्रांसफर पॉलिसी का पालन नहीं किया गया है। आखिर क्या है नई ट्रांसफर पॉलिसी आइए जानते हैं…

योगी सरकार ने नई तबादला नीति बनाई थी। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने नई तबादला नीति 2022-23 के शासनादेश में है कि समूह ग और घ के कर्मचारी पति-पत्नी अगर दोनों सरकारी सेवा में हैं तो उन्हें एक ही जिले, नगर और स्थान पर ट्रांसफर किया जा सकता है। इसके साथ ही दो वर्ष में रिटायरमेंट होने वाले ग के कर्मचारियों को उनके गृह जनपद और समूह क और ख के कर्मचारियों को उनके गृह जिले को छोड़कर उनकी इच्छा से किसी जिले में तैनात किया जाएगा।

वहीं, तबादला नीति के तहत जिलों में समूह क और ख के अधिकारी, जो एक ही जिले में तीन वर्ष और मंडल में सात वर्ष के सेवा पूरी कर चुके हैं, उनके ट्रांसफर किए जाएंगे। साथ ही विभागाध्यक्ष या मंडलीय कार्यालयों में की गई तैनाती अवधि को इस अवधि में शामिल नहीं किया जाएगा। मंडलीय कार्यालय में तैनाती की अधिकतम अवधि सात वर्ष होगी, लेकिन सर्वाधिक समय कार्यरत अधिकारियों का तबादला प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा।

विभागाध्यक्ष कार्यालयों में विभागाध्यक्ष को छोड़कर यदि समूह क और ख के अधिकारी समकक्ष पद मुख्यालय से स्वीकृत है तो मुख्यालय से तीन वर्ष की सेवा पूरी कर चुके उनके समकक्ष अधिकारियों को मुख्यालय से बाहर स्थानांतरित किया जाएगा। समूह क और ख के ट्रांसफर संवर्गवार कार्यरत अधिकारियों की संख्या के अधिकतम 20 प्रतिशत की सीमा में शामिल किए जाएंगे। अपरिहार्य स्थिति में 20 प्रतिशत की सीमा में अधिक ट्रांसफर सीएम की मंजूरी से किए जाएंगे।

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