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Yogi Adityanath: दशकों से बंद पड़ी सरकारी टेक्सटाइल मिलों की भूमि पर लगेंगे औद्योगिक प्लांट, योगी का ये है प्लान

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Textile Industry: मेरठ, हरदोई, झांसी, प्रयागराज, बांदा बलिया, मऊ, रायबरेली और बाराबंकी, अमरोहा, बरेली, गाजीपुर, फतेहपुर, फर्रुखाबाद, सीतापुर, बिजनौर, संतकबीरनगर और बुलंदशहर में है 1461 एकड़ भूमि

 

लखनऊ: सीएम योगी आदित्यनाथ की दूरदर्शी नीतियों के कारण प्रदेश में लग रहे नए उद्योगों को भूमि की समस्या न हो, इसके लिए दशकों से बंद पड़ी सरकारी टेक्सटाइल मिलों (कपड़ा मिल) की भूमि का उपयोग किया जाएगा। औद्योगिक और अवस्थापना विभाग अगले दो सालों में मिलों की देनदारी चुकाकर भूमि का व्यावसायिक कार्यों में उपयोग करेगा। इससे एक तो उद्यमियों और कारोबारियों को आसानी से भूमि मिलेगी तो वहीं दूसरी मिलों की भूमि को अवैध कब्जे और गतिविधियों से बचाया जा सकेगा।

सीएम योगी ने हाल ही में ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट की बैठक में कहा था कि औद्योगिक इकाइयों के लिए भूमि प्राथमिक आवश्यकता है। प्रदेश में करीब एक लाख हेक्टेयर भूमि का लैंड बैंक है। प्रयास यह रहे कि समिट से पहले हम लैंड बैंक को और विस्तार दें, इसके लिए राजस्व विभाग की एक टीम गठित करें, जो निवेश के लिए उपयुक्त लैंड का चिह्नांकन करे, जिससे जो निवेशक यहां आएं, उन्हें भूमि की समस्या न हो। सरकार की ओर से नए उद्योगों की स्थापना को लेकर लैंड बैंक बनाया गया है और एक्सप्रेसवे के किनारे औद्योगिक गलियारे भी बनाए जा रहे हैं। इसके अलावा प्रदेश में दशकों से बंद पड़ी सरकारी मिलों की भूमि के उपयोग की भी कार्य योजना बनाई गई है। इसी तर्ज पर जौनपुर में यार्न मिल की 50 एकड़ भूमि हाल ही में मेडिकल कॉलेज को दी गई है।

इन जिलों में है भूमि
प्रदेश में उत्तर प्रदेश राज्य वस्त्र निगम लिमिटेड की 22.89 एकड़, उत्तर प्रदेश राज्य स्पिनिंग मिल लिमिटेड की 322.35 एकड़, उत्तर प्रदेश राज्य यार्न लिमिटेड की 212.79 एकड़, उत्तर प्रदेश सहकारी कताई मिल्स संघ लिमिटेड की 705.27 एकड़ कुल 1461 एकड़ भूमि है। यह भूमि मेरठ, हरदोई, झांसी, प्रयागराज, बांदा, बलिया, मऊ, रायबरेली, बाराबंकी, अमरोहा, बरेली, गाजीपुर, फतेहपुर, फर्रुखाबाद, सीतापुर, बिजनौर, संतकबीरनगर और बुलंदशहर जिले में है। इन मिलों पर देनदारी भी है, जिसके भुगतान की व्यवस्था अवस्थापना और औद्योगिक विकास विभाग कर रहा है।

दशकों से बंद पड़ी मिलों का होगा उद्धार
प्रदेश में दशकों से सरकारी टेक्सटाइल मिलें बंद हैं, लेकिन किसी सरकार ने इसकी सुध नहीं ली। योगी सरकार इन मिलों की देनदारी भी चुकाने का प्रयास कर रही है। साथ ही इन मिलों की भूमि का सदुपयोग व्यावसायिक कार्यों में हो सके, इसके लिए भी कार्य कर रही है।

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