Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

OP Rajbhar: भरोसेमंद नहीं, विवादित बयानों के ‘वीर’…ओम प्रकाश राजभर से क्यों दूरी बना रही BSP?

Reported by दीप सिंह | Edited by वैभव पांडेय | नवभारत टाइम्स | Updated: Jul 27, 2022, 10:36 AM

कुछ दिन पहले समाजवादी ने एक पत्र जारी कर ओमप्रकाश राजभर से साफ कह दिया कि अगर उनको किसी अन्‍य पार्टी में ज्‍यादा सम्‍मान मिलता हो तो वह वहां जाने के लिए स्‍वतंत्र हैं। इसके बाद राजभर ने कहा था कि वह बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम सकते हैं।

 

राजभर से बसपा की दूरीलखनऊ : बीएसपी के राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद (Akash Anand) ने सोमवार को ट्वीट किया-‘बीएसपी की राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री आदरणीय मायावती जी के शासन-प्रशासन, अनुशासन की पूरी दुनिया तारीफ करती है। लेकिन कुछ अवसरवादी लोग भी बहनजी के नाम के सहारे अपनी राजनीतिक दुकान चलाने की कोशिश करते हैं। ऐसे स्वार्थी लोगों से सावधान रहने की जरूरत है।’ यूपी की राजनीति में उनके इस ट्वीट के मायने तलाशे जा रहे हैं। आखिर कौन है वह स्वार्थी और अवसरवादी जो बहनजी के नाम के सहारे अपनी दुकान चला रहा है? वह किससे पार्टी नेताओं को सावधान कर रहे हैं?

राजभर ने कहा था उनकी पहली पसंद बसपा
इस ट्वीट के बाद लोगों का अनुमान एक ही तरफ जा रहा है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि आकाश के इस ट्वीट में निशाने पर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के मुखिया ओमप्रकाश राजभर ही हैं। इसकी वजह भी साफ है। हाल ही में सपा से ब्रेकअप कुबूल करने पर राजभर से विकल्प के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बहुजन समाज पार्टी जिंदाबाद का नारा लगाया। उन्होंने बसपा प्रमुख मायावती की खुलकर तारीफ की। यहां तक कहा कि उनकी पहली पसंद बसपा ही है। इतना ही नहीं अखिलेश की तरह मायावती पर भी एसी से बाहर न निकलने की बात पर उन्होंने कहा कि वह लगातार लोकसभा चुनाव की बैठकें कर रही हैं। संगठन को मजबूत कर रही हैं और पार्टी पदाधिकारियों को काम सौंप रही हैं। राजभर की तरफ से बसपा की इतनी तारीफ के बावजूद पार्टी इनसे दूरी बना रही है। आइए जानते हैं क्या है वजह-

वह पुराने बसपाई हैं और उनका इतिहास पता है।बसपा का मानना है कि वह भरोसमंद नहीं हैं। राजभर ने भाजपा और सपा के साथ भी गठबंधन किया लेकिन किसी के साथ टिके नहीं।जिसके साथ रहे, उसके लिए अपने बयानों से मुश्किलें खड़ी करते रहे।
मायावती से रहे विवादित रिश्ते
ओम प्रकाश राजभर के मायावती से रिश्ते बहुत अच्छे नहीं रहे। मायावती से विवाद के बाद ही उन्होंने बसपा छोड़ी थी। बसपा और मायावती से राजभर के रिश्तों को कुछ इस तरह समझ सकते हैं-राजभर ने 1981 में बसपा संस्थापक कांशीराम के साथ राजनीति की शुरुआत की।वह 2001 में मायावती से विवाद के बाद पार्टी से अलग हुए थे।भदोही का नाम संत कबीर नगर रखे जाने से वह नाराज थे और अलग होकर अपनी पार्टी बना ली थी।वह 2017 में बीजेपी के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़े और जीतने के बाद मंत्री भी बने। वहां भी मंत्री रहते हुए सरकार के खिलाफ बयानबाजी करते रहे।2022 के चुनाव से पहले वह सपा में शामिल हो गए। सपा सत्ता में नहीं आई। तब से वह सपा मुखिया अखिलेश के खिलाफ लगातार बयान दे रहे हैं।
राजभर के लिए आसान नहीं बसपा की राह
बसपा प्रमुख मायावती खुद लगातार मिशनरी कार्यकर्ताओं और नेताओं को तवज्जो देने की बात कर रही हैं। वह विभिन्न राज्यों के पदाधिकारियों के साथ बैठकों में स्वार्थी, बिकाऊ और विश्वासघाती लेागों से सचेत रहने की हिदायत दे रही हैं। मायावती की हिदायतों के बाद आकाश का यह ट्वीट बताता है कि राजभर की बसपा में जाने की राह आसान नहीं है।

हमने अपनी प्राथमिकता बताई : अरुण राजभर
आकाश आनंद के बयान पर सुभासपा प्रवक्ता अरुण राजभर का कहना है कि यह आकाश की अपनी राय है। हमने सिर्फ अपनी प्राथमिकताओं की बात की है। हम न तो बसपा के पास गए हैं और न ही उसके नेतृत्व से कोई बात की है। सियासत में सब कुछ अनिश्चित है। राजनीतिक समीकरण बदलते रहते हैं और उन्हीं के मुताबिक फैसला लिया जाता है।
अगला लेखSP attacks Yogi government: ‘कस्टोडियल डेथ के आंकड़ों में यूपी नंबर वन’, सपा का योगी सरकार पर हमला Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म… पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐपलेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें Web Title : Hindi News from Navbharat Times, TIL Network